3 विधायकों की गिरफ्तारी के बाद गठबंधन की सरकार खतरे में दिखाई दे रही है। इसके पीछे गठबंधन के अंदर आपसी खींचतान को ही मुख्य कारण बताया जा रहा है। जब से राष्ट्रपति चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग का मामला सामने आया है, तभी से झारखंड में राजनीतिक समीकरण बिगड़ता जा रहा है।
झारखंड में 3 विधायकों की गिरफ्तारी के बाद गठबंधन की सरकार खतरे में दिखाई दे रही है। इसके पीछे गठबंधन के अंदर आपसी खींचतान को ही मुख्य कारण बताया जा रहा है। जब से राष्ट्रपति चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग का मामला सामने आया है, तभी से झारखंड में राजनीतिक समीकरण बिगड़ता जा रहा है। इसके बाद 3 विधायकों का कोलकाता में गिरफ्तार होना, उनकी गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस विधायक अनूप सिंह का इन तीनों के खिलाफ अरगोड़ा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराना और कांग्रेस नेता फुरकान अंसारी का कांग्रेस के अंदर चल रही खींचतान की बात करते हुए मोर्चा खोलना कहीं ना कहीं यही इशारा करता है कि झारखंड की राजनीति में सबकुछ ठीक नहीं है। हालांकि इन सबके पीछे वर्तमान झामुमो-कांग्रेस गठबंधन की सरकार भाजपा पर ही आरोप लगा रही है कि भाजपा ही सरकार को अस्थिर करना चाहती है। अब यह राजनीति किस ओर करवट लेगी, यह तो समय बताएगा।
3 कांग्रेस विधायकों की गिरफ्तारी
बंगाल की हावड़ा ग्रामीण पुलिस ने 31 जुलाई को झारखंड के 3 कांग्रेसी विधायकों इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगारी समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया था। गिरफ़्तारी का कारण यह था कि इन विधायकों की गाड़ी से 49 लाख रुपये नकद बरामद हुए थे और ये लोग इतनी बड़ी रकम का स्पष्टीकरण नहीं दे पाए थे। हावड़ा ग्रामीण पुलिस अधीक्षक स्वाति भंगालिया के अनुसार इन तीनों विधायकों से 24 घंटे से अधिक पूछताछ की गई, जिसमें ये लोग नकदी का उचित स्पष्टीकरण देने में विफल रहे। इसके बाद इन पांचों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना के बाद तीनों विधायकों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए हैं। मामला अब सीआईडी को सौंपा जा चुका है जो इन तीनों विधायकों को हिरासत में लेकर पूछताछ करेगी।
आरोप-प्रत्यारोप का दौर
झारखंड के तीनों कांग्रेसी विधायकों की गिरफ्तारी के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। कांग्रेस की ओर से इन तीनों विधायकों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। दूसरी ओर कांग्रेस के ही बेरमो विधायक कुमार जय मंगल उर्फ अनूप सिंह ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा पर सरकार गिराने का आरोप लगाया और रांची के अरगोड़ा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए कहा कि झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में चल रही महागठबंधन की सरकार को गिराने की साजिश रची जा रही है और इसके लिए हर विधायक को दस-दस करोड़ रुपये देने का लालच दिया गया था। अनूप सिंह के अनुसार इन तीनों विधायकों ने उन्हें भी कोलकाता बुलाया था, लेकिन अनूप सिंह ने उनकी बात न मानते हुए इसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। इसके बाद झामुमो और कांग्रेस नेताओं ने एक सुर में भाजपा पर सरकार गिराने का आरोप लगाना शुरू कर दिया।
दो खेमे में बंटी कांग्रेस
इधर बेरमो विधायक की इस प्राथमिकी के बाद कांग्रेस भी दो खेमों में बंटी नजर आ रही है। पश्चिम बंगाल में गिरफ्तार हुए जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी के पिता और कांग्रेस के पूर्व सांसद फुरकान अंसारी ने तो अनूप सिंह पर ही सरकार गिराने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी की पोल खोल दी। फुरकान अंसारी ने कहा कि अनूप सिंह की बात नहीं बनी तो उसने साजिश रच कर कांग्रेस के 3 विधायकों को बंगाल पुलिस से गिरफ्तार करवा दिया है। उन्होंने अपनी प्रेस वार्ता में पूछा कि क्या इन 3 विधायकों से सरकार गिर सकती है, क्या एक विधायक की कीमत सिर्फ 16 लाख रुपये ही है? उन्होंने इस पूरे मामले पर कहा कि कांग्रेस के अंदरूनी मनमुटाव और एक साजिश के तहत इन तीनों विधायकों को गिरफ्तार कराया गया है। फुरकान अंसारी ने यह भी कहा कि भाजपा से हेमंत सरकार को नहीं, बल्कि कांग्रेस की अंतर्कलह से खतरा है। उक्त बातों से तो अब कोई भी समझ सकता है कि झारखंड कांग्रेस के अंदर क्या चल रहा होगा।
भाजपा ने लगाए आरोप
इधर झारखंड में चल रहे मानसून सत्र के दौरान भाजपा ने गिरफ्तार विधायकों के मामले में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के तीनों विधायकों को फंसाने के पीछे कांग्रेस आलाकमान और हेमंत सरकार का ही हाथ है। भाजपा विधायक बिरंचि नारायण के अनुसार कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे पूरे कांड के कर्ताधर्ता हैं। वे हर सप्ताह झारखंड आते हैं और झारखंड से अवैध वसूली करके लौट जाते हैं। इसे लेकर हेमंत सरकार को गिराने के आरोप में असम सरकार में मंत्री पीयूष हजारिका ने भी कांग्रेस के आरोपों को निराधार बताते हुए बेरमो विधायक अनूप सिंह पर ही आरोप लगाते हुए कहा कि वे झारखंड में झामुमो-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिराने की फिराक में हैं।
15 अगस्त के पूर्व झारखंड सरकार के मंत्रिमंडल में उलटफेर होने की संभावना है। इसमें कांग्रेस कोटे के दो मंत्रियों पर गाज गिर सकती है। कहा जा रहा है कि यही दो मंत्री सत्ता परिवर्तन के लिए चल रही कवायद के सूत्रधार हैं। इसे लेकर कांग्रेस आलाकमान ने हरी झंडी दे दी है।
भाजपा पर आरोपों का आधार नहीं
झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि इन सब के पीछे भाजपा का ही हाथ है। लेकिन इन 3 विधायकों की बात की जाए तो इन तीनों का भाजपा के साथ जाना इतना सहज भी नहीं है। तीनों विधायकों की राजनीतिक पृष्ठभूमि अलग-अलग है। जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी लगातार भाजपा के शीर्ष नेताओं के खिलाफ ऊल जुलूल बयान देते रहे हैं। इसके साथ ही उनकी पूरी राजनीति अल्पसंख्यक समाज के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है। दूसरी ओर कोलेबिरा विधायक नमन विक्सल कोंगारी ईसाई मिशनरियों के प्रभाव के कारण अपने क्षेत्र में जीत कर आए हैं। ऐसे में भाजपा के साथ जाने पर उन्हें भी ईसाई मिशनरियों के कोप का भाजन बनना पड़ता जो वह कभी नहीं चाहेंगे। दूसरी ओर खिजरी के विधायक राजेश कच्छप पहली बार विधायक बने हैं। खिजरी से भाजपा एससी/एसटी मोर्चा के प्रदेश प्रभारी रामकुमार पाहन की जगह पर किसी भी नए चेहरे पर दांव नहीं लगा सकती। ऐसे में कांग्रेस और झामुमो का यह आरोप पूरी तरह बेबुनियाद दिखाई दे रहा है।
इन सब के बीच यह भी खबर आ रही है कि 15 अगस्त के पूर्व झारखंड सरकार के मंत्रिमंडल में उलटफेर होने की संभावना है। इसमें कांग्रेस कोटे के दो मंत्रियों पर गाज गिर सकती है। कहा जा रहा है कि यही दो मंत्री सत्ता परिवर्तन के लिए चल रही कवायद के सूत्रधार हैं। इसे लेकर कांग्रेस आलाकमान ने हरी झंडी दे दी है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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