खबरों के अनुसार चीन के 22 शहरों में घरों के खरीदार, घरों पर लिये गए ऋण का भुगतान करने से इनकार कर रहे हैं, जबकि उन घरों का निर्माण अभी अधूरा ही है। यह स्थिति इतनी बिगड़ती हुई दिखाई दे रही है कि अब वित्तीय संस्थानों को इस बात का आभास होने लगा है कि इस प्रकार के ऋणों पर लगाई गई लगभग 6 ट्रिलियन डॉलर की राशि डूब भी सकती है।
ताइवान मामले में मनोवैज्ञानिक युद्ध में झटके के बाद देखें तो आर्थिक मोर्चे पर भी ड्रैगन को झटके पर झटके लग रहे हैं। बैंकिंग क्षेत्र में छाए संकट से 4000 छोटे बैंक बंदी के कगार पर हैं। चीन में बेरोजगारी दर 18.4 प्रतिशत तक पहुंच गई है जो अब तक का सर्वोच्च है। वहीं अब रियल एस्टेट क्षेत्र भी संकट से घिरता दिखने लगा है।
6 ट्रिलियन डॉलर डूबने का खतरा
खबरों के अनुसार चीन के 22 शहरों में घरों के खरीदार, घरों पर लिये गए ऋण का भुगतान करने से इनकार कर रहे हैं, जबकि उन घरों का निर्माण अभी अधूरा ही है। यह स्थिति इतनी बिगड़ती हुई दिखाई दे रही है कि अब वित्तीय संस्थानों को इस बात का आभास होने लगा है कि इस प्रकार के ऋणों पर लगाई गई लगभग 6 ट्रिलियन डॉलर की राशि डूब भी सकती है।
इसका कारण जहां एक ओर निर्माण कार्य पूर्ण होने में होने वाला विलंब है, वहीं इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है कि रियल एस्टेट क्षेत्र में व्यापक रूप से पांव पसार रही मंदी के कारण ग्राहक अब सस्ती परिसंपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं, और पूर्व में महंगे दामों में किए गए सौदे को स्वीकार करने से इनकार कर रहे हैं। वैश्विक बैंकिंग समूह सिटीग्रुप के शोध के अनुसार, 2022 के आस-पास प्रारंभ हुई परियोजनाओं में संपत्तियों का औसत बिक्री मूल्य पिछले तीन वर्ष में खरीद लागत से औसतन 15प्रतिशत कम है। और भविष्य में इसके और अधिक नकारात्मक रुख प्रदर्शित करने की पूर्ण आशंका है।
यह स्थिति जहां एक ओर एक विकट आर्थिक संकट की आहट को व्यक्त कर रही है, वहीं दूसरी ओर चीन सरकार इस समस्या से निपटने के लिए दूसरे अधिक जोखिम भरे आर्थिक उपायों की ओर रुख कर रही है। अखबार फाइनेंशियल टाइम्स द्वारा प्रकाशित समाचार में बताया गया कि चीन की स्टेट काउंसिल ने पिछले हफ्ते कम से कम एक दर्जन रियल एस्टेट कंपनियों की सहायता करने के लिए 300 अरब रॅन्मिन्बी (44.4 अरब डॉलर) का एक रियल एस्टेट फंड स्थापित करने की योजना प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत, प्रारंभ में चाइना कंस्ट्रक्शन बैंक और चीन का केंद्रीय बैंक रुकी हुई निर्माण परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के लिए इस फंड में 80 अरब रॅन्मिन्बी और फिर संभवत: 300 बिलियन रॅन्मिन्बी की रकम डालेगा।
परंतु इस क्षेत्र को वापस पटरी पर लाने का कार्य आसान नहीं है। इसमें जितने धन की मात्रा निवेश करने के लिए आवश्यक है उसका आकार बहुत बड़ा है। ब्लूमबर्ग द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार: निर्माण संबंधी परियोजनाएं रुकने के कारण चीन में 4.7 ट्रिलियन युआन मूल्य के घर प्रभावित हो सकते हैं, और उन्हें पूरा करने के लिए 1.4 ट्रिलियन युआन की आवश्यकता है। उल्लेखनीय है कि यह रकम इस देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 1.3 प्रतिशत है।
चीन का आर्थिक विकास किसी सुदृढ़ पृष्ठभूमि पर आधारित ना होकर तेज विकास और उसके साथ ही साथ उतने ही भयानक जोखिमों की शर्तों के साथ आया है। असामान्य तीव्र गति से चलने के प्रयासों में चीन ने अपने आर्थिक इंजन को स्थाई क्षति पहुंचाने के कगार पर पहुंचा दिया है। परंतु अब खतरा केवल आर्थिक प्रभावों तक सीमित नहीं है, बल्कि अगर यह समस्या बढ़ती है तो यह चीन के जातीय, क्षेत्रीय और सम्पूर्ण रूप में राजनैतिक परिदृश्य को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी।
असामान्य आर्थिक तेजी के खतरे
शी जिनपिंग के कार्यकाल के प्रारंभ में ही चीन सरकार के सामने एक बड़ी मंदी का खतरा मंडरा रहा था और वह उसका सामना नहीं करना चाहती थी। इसलिए, दीर्घावधि में अर्थव्यवस्था को पुनर्संतुलित करने का प्रयास करते हुए इसने आने वाले कुछ वर्षों में बड़ी विनिर्माण परियोजनाओं पर बड़े पैमाने पर खर्च करने की योजनाओं को आगे बढ़ाया। चीनी सरकार के आंकड़ों को देखें तो इसने अपने 2015 के बजट में, बुनियादी ढांचे के विकास के लिए अपने खर्च में 4.4% की वृद्धि की। इसके अलावा, 300 परिवहन अवसंरचना, ऊर्जा और ऐसी अन्य अधोसंरचनाओं पर बल दिया जो उसके अनुसार आर्थिक विकास में प्रेरक की भूमिका निभातीं। और यह न केवल चीन, बल्कि विश्व भर में धूमधाम के साथ शुरू किया गया। बुनियादी ढांचे के बाजार में विकास के लिए मौजूदा परिवहन संबंधी बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए और साथ ही चीनी सरकार के क्षेत्रीय संपर्क में सुधार के लिए ‘वन बेल्ट-वन रोड’ जैसी पहल पर बल दिया गया।
इसका परिणाम यह हुआ कि जब विश्व भर की अर्थव्यवस्थाऐं एक तुलनात्मक रूप से सुधरी हुई विकास दर प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रही थीं, तब चीन की अर्थव्यवस्था कुलांचे भर रही थी। लेकिन यह सामान्य तरीका नहीं था। बल्कि इस विकास में विटामिन की भूमिका चीन की आक्रामक विनिर्माण नीति निभा रही थी।
परंतु ऐसे स्टेरॉइड की तरह के उपाय आपातकालीन स्थितियों के लिए भले ही ठीक हों पर लंबे समय के लिए इन्हें किसी भी तरह से औचित्यपूर्ण नहीं ठहराया जा सकता। और इसका परिणाम आज चीन के सामने विकराल रूप धारण कर प्रकट हुआ है।
चीन का आर्थिक विकास किसी सुदृढ़ पृष्ठभूमि पर आधारित ना होकर तेज विकास और उसके साथ ही साथ उतने ही भयानक जोखिमों की शर्तों के साथ आया है। असामान्य तीव्र गति से चलने के प्रयासों में चीन ने अपने आर्थिक इंजन को स्थाई क्षति पहुंचाने के कगार पर पहुंचा दिया है। परंतु अब खतरा केवल आर्थिक प्रभावों तक सीमित नहीं है, बल्कि अगर यह समस्या बढ़ती है तो यह चीन के जातीय, क्षेत्रीय और सम्पूर्ण रूप में राजनैतिक परिदृश्य को गंभीर रूप से प्रभावित करेगी।
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