प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार राज्यों से दुनियाभर में फैले भारतीय मिशनों के माध्यम से व्यापार, पर्यटन, प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर ध्यान केन्द्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि राज्यों को चाहिए कि वे अपने यहां आयात कम करें, निर्यात बढ़ायें और इसके लिए अवसरों की पहचान करें।
उन्होंने कहा, “हमें लोगों को जहां भी संभव हो स्थानीय सामानों का उपयोग करने को प्रोत्साहित करना चाहिए। ‘वोकल फॉर लोकल’ किसी एक राजनीतिक दल का एजेंडा नहीं है, बल्कि एक साझा लक्ष्य है।”
केंद्र और राज्यों के बीच प्रमुख नीति संबंधी मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में नीति आयोग की सातवीं शासी परिषद की बैठक की अध्यक्षता की। शासी परिषद की बैठक में 23 मुख्यमंत्रियों, 3 उपराज्यपालों और 2 प्रशासकों सहित केन्द्रीय मंत्रियों ने भाग लिया। इसमें केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, निर्मला सीतारमण, एस जयशंकर, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल और धर्मेंद्र प्रधान शामिल रहे। बैठक का संचालन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया।
जीएसटी संग्रह में हुआ सुधार लेकिन क्षमता बहुत अधिक- प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने बैठक के समापन भाषण में कहा कि भले ही जीएसटी संग्रह में सुधार हुआ है, लेकिन हमारी क्षमता बहुत अधिक है। जीएसटी संग्रह बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्यों को सामूहिक प्रयास करना होगा। यह हमारी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने और 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए महत्वपूर्ण है।
शिक्षा नीति को लागू करने पर स्पष्ट समयबद्ध रोडमैप हो तैयार- प्रधानमंत्री
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर प्रधानमंत्री ने कहा कि एनईपी-2020 काफी विचार-विमर्श के बाद तैयार की गयी है। हमें इसके कार्यान्वयन में सभी हितधारकों को शामिल करना चाहिए और इसके लिए एक स्पष्ट, समयबद्ध रोडमैप विकसित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनईपी के कार्यान्वयन पर हर महीने निगरानी रखने की जरूरत है।
इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सीखने के परिणामों, शिक्षकों के क्षमता निर्माण और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए की गई कई पहलों पर प्रकाश डालते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सफल कार्यान्वयन के लिए राज्यों को धन्यवाद दिया और आगे समर्थन का अनुरोध किया।
कोविड से निपटने में राज्यों से सहयोग की सराहना की
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कोविड महामारी से उबरने में सभी राज्यों की सहयोगी संघवाद की भावना की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत का संघीय ढांचा और सहकारी संघवाद कोविड संकट के दौरान दुनिया के लिए एक मॉडल के रूप में उभरा। उन्होंने कहा, “हर राज्य ने अपनी ताकत के अनुसार महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और कोविड के खिलाफ भारत की लड़ाई में योगदान दिया। इसने भारत को विकासशील देशों के लिए एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया।”
महामारी की शुरुआत के बाद से गवर्निंग काउंसिल की यह पहली आमने-सामने बैठक थी। पिछली 2021 की बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई थी।
अपने उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने दुनिया के विकासशील देशों को एक शक्तिशाली संदेश दिया है कि संसाधनों की कमी के बावजूद चुनौतियों से पार पाना संभव है। उन्होंने इसका श्रेय राज्य सरकारों देते हुए कहा कि राजनीतिक दायरों से ऊपर उठकर सहयोग के माध्यम से लोगों को सार्वजनिक सेवाओं के जमीनी स्तर पर वितरण पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सातवीं बैठक राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की पहचान करने के लिए केंद्र और राज्यों के बीच महीनों के कठोर विचार-मंथन और परामर्श की परिणति थी। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के 75 साल में पहली बार भारत के सभी मुख्य सचिवों ने एक जगह एक साथ मुलाकात की और तीन दिनों तक राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। इस सामूहिक प्रक्रिया से इस बैठक के एजेंडे का विकास हुआ।
फसल विविधीकरण, शिक्षा नीति और शहरी शासन रहा एजेंडा
बैठक के बारे में नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि इस वर्ष शासी परिषद ने चार प्रमुख एजेंडा पर चर्चा की। पहला फसल विविधीकरण और दलहन, तिलहन और अन्य कृषि-वस्तुओं में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना। दूसरा स्कूली शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का कार्यान्वयन। तीसरा उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन तथा चौथा शहरी शासन।
नीति आयोग के सीईओ परेमश्वरन अय्यर ने बताया कि प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से भारत को आधुनिक कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला ताकि भारत कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर और वैश्विक नेतृत्व कर सके। उन्होंने कहा कि शहरी भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए जीवन की सुगमता, पारदर्शी सेवा वितरण और जीवन की गुणवत्ता में सुधार सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर तेजी से शहरीकरण कमजोरी के बजाय भारत की ताकत बन सकता है।
जी20 प्रेसीडेंसी दुनिया को दिखाने का अनूठा अवसर कि भारत सिर्फ दिल्ली नहीं- प्रधानमंत्री
अय्यर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 2023 में भारत के जी20 प्रेसीडेंसी के बारे में भी बात की और इसे दुनिया को यह दिखाने का एक अनूठा अवसर बताया कि भारत सिर्फ दिल्ली नहीं है – यह देश का हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें जी20 के इर्द-गिर्द एक जन आंदोलन विकसित करना चाहिए। इससे हमें देश में उपलब्ध सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं की पहचान करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि इस पहल से अधिकतम संभव लाभ प्राप्त करने के लिए राज्यों में जी20 के लिए एक समर्पित टीम होनी चाहिए। इस बारे में केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “जी 20 प्रेसीडेंसी एक महान अवसर और एक बड़ी जिम्मेदारी प्रस्तुत करता है। जी20 के इतिहास में पहली बार भारत न केवल दिल्ली में बल्कि हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में साल भर में जी20 बैठकों की मेजबानी करेगा।
बैठक में चर्चा किए गए मुद्दे अगले 25 वर्षों के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को परिभाषित करेंगे- प्रधानमंत्री
नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने बैठक में कहा कि भारत का परिवर्तन उसके राज्यों में होना है। उन्होंने महामारी के बाद भारत के पुनरुत्थान के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए केंद्र और राज्यों के संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता की पुष्टि की।
बैठक में उपस्थित प्रत्येक मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल ने चार प्रमुख एजेंडा मदों पर विशेष ध्यान देने के साथ अपने-अपने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्राथमिकताओं, उपलब्धियों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला।
इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि नीति आयोग राज्यों की चिंताओं, चुनौतियों और सर्वोत्तम प्रथाओं का अध्ययन करेगा और बाद में आगे की योजना बनाएगा। इस बैठक में चर्चा किए गए मुद्दे अगले 25 वर्षों के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को परिभाषित करेंगे, और आज हम जो बीज बोएंगे, वह 2047 में भारत द्वारा काटे गए फलों को परिभाषित करेगा।
बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगन रेड्डी शामिल रहे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री मानिक शाह, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया। इसके अलावा बैठक में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, लद्दाख के उपराज्यपाल राधा कृष्ण माथुर भी मौजूद रहे।
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