पाकिस्तान के पंजाब सूबे में अभी हाल में चौधरी परवेज इलाही की सरकार बनी है। इस नवनियुक्त सरकार ने कल अपनी जेलों में कैद अल्पसंख्यक वर्गों के कैदियों के लिए एक दिलचस्प प्रस्ताव रखा है। अगर यह पारित हो गया तो हिन्दू और ईसाई समुदायों से आने वाले कैदियों की सजा में छूट दी जा सकती है।
उल्लेखनीय है कि हिन्दू कैदियों के गीता और ईसाई कैदियों के बाइबिल को कंठस्थ करने पर सजा में छह महीने तक की छूट देने की बात की है। प्रस्ताव के साथ उनसे कहा जाएगा कि अगर वे अपने पंथ के धर्मग्रंथ को पक्का याद कर लेंगे तो ऐसे अल्पसंख्यक समुदायों के कैदियों की सजा की अवधि को कम कर दिया जाएगा।
पाकिस्तान के पंजाब सूबे के इस दिलचस्प प्रस्ताव को लेकर काफी चर्चा हो रही है। पंजाब सूबे के आंतरिक सुरक्षा विभाग ने सूबे के मुख्यमंत्री चौधरी परवेज इलाही को अपने प्रदेश की जेलों में बंद ईसाई, हिंदू तथा सिख कैदियों के लिए सजा में तीन से छह महीने तक की कटौती करने के संबंध में इस प्रस्ताव का मजमून भेज दिया है।
सूबे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने वहां समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि पंजाब की सरकार के गृह विभाग ने ईसाई और हिंदू कैदियों को उनके पंथ के ग्रंथों क्रमश: बाइबिल और भगवद्गीता को कंठस्थ करने पर जेल की सजा में कमी करने के बारे में मुख्यमंत्री को एक लिखित प्रस्ताव प्रेषित तो किया जिसके पारित होने पर यह सुविधा लागू कर दी जाएगी। सजा में यह छूट तीन से छह महीने तक की हो सकती है।
इतना ही नहीं, पंजाब की जेल सेवा की आधिकारिक वेबसाइट पर नजर डालें तो मुस्लिम कैदियों को कुरान याद करने पर सजा में छह महीने से दो साल तक की छूट देने की बात की गई है। पंजाब के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मुख्यमंत्री की हामी के बाद प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा। इसके बाद इस संबंध में विभाग अधिसूचना जारी करेगा। अधिकारी का कहना था कि इस प्रस्ताव से अल्पसंख्यक समुदायों से आने वाले कैदियों को अपने पंथ के ग्रंथों को पढ़ने में दिलचस्पी पैदा होगी।
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