नैनीताल जिले के हल्द्वानी गौलापार क्षेत्र में वन विभाग की जमीन पर अवैध मजार बनाई गई थी जिसे कुछ समय पहले फॉरेस्ट अधिकारियों ने हटा दिया था,लेकिन इसके कथित कर्ता धर्ता अब फिर से पत्थर जुटाने लगे है ।
हल्द्वानी शहर के किनारे गौला नदी बहती है, जहां रेता बजरी का खनन होता है। खनन करने वाले हजारों के संख्या में मजदूर यहां बाहरी राज्यों से आकर बस गए है जिनमे नब्बे फीसदी मुस्लिम है या फिर उनका कोई सत्यापन नही है।
इन मजदूरों के साथ साथ बरेलवी समुदाय के कुछ हरी पगड़ी धारी भी यहां घुसपैठ कर अपनी अवैध मजारे बनाने लग गए। पिछले दिनों इस आशय की खबरे जब सुर्खियां बनी कि कैसे उत्तराखंड में वन विभाग की जमीनों पर मजार जिहाद का खेल हो रहा है और सकड़ो मजारे फॉरेस्ट विभाग की लापरवाही से बन गई है। इस के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के एक्शन के बाद ये अवैध मजारे वन विभाग ने हटानी शुरू की। तस्वीर में जो पत्थर रखे हुए है वन विभाग की आंवला चौकी क्षेत्र के है। यहां पहले जमीन कब्जा करने को नियत से अवैध मजार बनाई गई थी जिसे वन विभाग ने हटा दिया था लेकिन अब वही पर फिर से पत्थर इकट्ठे कर मजार बनाने की तैयारी होने लगी है ,इन दिनों गौला नदी बंद रहती है और खनन भी बंद रहता है, मजदूर अपने मूल निवास घरों में गए होते है। इसी सन्नाटे का फायदा उठा कर मजार निर्माण का काम फिर से शुरू हो गया है , वन विभाग की चौकी यहां से महज कुछ मीटर की दूरी पर है लेकिन वहां बैठे वन कर्मी इस अवैध कब्जे को होता देख रहे है। ये मजार एक नही कई स्थानों पर बनती दिखाई दे रही है।
रामनगर कोसी नदी के किनारे भी अवैध मजारे
जानकारी के मुताबिक कॉर्बेट पार्क रामनगर के पास कोसी नदी के किनारे भी अवैध मजारे, खनन में लगे मजदूरों की झुग्गी झोपड़ियों के बीचों बीच देखी गई है यहां एक दो नहीं आधा दर्जन मजारे है जिनपर बरेलवी समुदाय के लोगो ने अवैध कब्जे किए हुए है।
हिंदू संगठनों का विरोध
हल्द्वानी के हिंदू संगठन के एक पदाधिकारी कमल जोशी का कहना है कि वन विभाग के आंखे मूंदे रहने से अवैध मजारे सरकारी वन विभाग की जमीन पर बन रही है, इस बारे में डी एफ ओ को ज्ञापन दिया जाएगा।
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