भारतीय वायु सेना पहली बार रॉयल ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना के द्विवार्षिक ‘पिच ब्लैक’ वायु युद्ध अभ्यास में भाग लेने ऑस्ट्रेलिया जाएगी। ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र डार्विन और टिंडल में 17 देशों के बीच 19 अगस्त से 6 सितंबर तक होने वाले बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास में लगभग 4,000 सैन्यकर्मी और 140 विमान शामिल होंगे। ‘पिच ब्लैक’ एयर कॉम्बैट ड्रिल में वायु सेना की भागीदारी कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि क्वाड समूह के सदस्य भारत और ऑस्ट्रेलिया ने दोनों सेनाओं के बीच बातचीत को कारगर बनाने के लिए एक मार्गदर्शन दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के अनुसार ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी क्षेत्र में डार्विन और टिंडल में ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना के ठिकानों से होने वाला यह द्विवार्षिक बहुराष्ट्रीय अभ्यास है। प्रतिभागियों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, थाईलैंड, मलेशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के लगभग 4,000 सैन्यकर्मी और 140 विमान शामिल होंगे। दुनिया के सबसे बड़े प्रशिक्षण हवाई क्षेत्र में से एक अभ्यास ‘पिच ब्लैक’ में 17 देशों की सेनाओं के बीच तालमेल, परीक्षण और सुधार करने का अवसर होगा।
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अभ्यास में भारतीय वायु सेना चार मल्टीरोल फाइटर्स सुखोई-30 एमकेआई, एक इल्यूशिन Il-78 टैंकर, एक लॉकहीड मार्टिन सी-130जे सुपर हरक्यूलिस और एक बोइंग सी-17 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के साथ भाग लेगी। वायु सेना की टुकड़ी में 45 गरुड़ विशेष बल के जवान भी शामिल होंगे। भारत से ऑस्ट्रेलिया और वापसी की उड़ान के दौरान सुखोई-30 एमकेआई विमानों को आईएल-78 टैंकर मध्य हवा में ईंधन देगा। अभ्यास पूरा होने के बाद डार्विन से लौटते समय एसयू-30 एमकेआई को पहली बार ऑस्ट्रेलियाई वायु सेना के टैंकर केसी-30 ए हवा में ईंधन देंगे।
भारतीय दल का लक्ष्य नियंत्रित वातावरण में नकली हवाई युद्ध अभ्यास करना और वायु सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाने की दिशा में सर्वोत्तम प्रथाओं का पारस्परिक आदान-प्रदान करना है। वायु सेना ने पिछले तीन वर्षों में दो बहुपक्षीय हवाई युद्ध अभ्यासों में भाग लिया है। इसमें अप्रैल-मई 2016 में संयुक्त राज्य अमेरिका में आयोजित रेड फ्लैग अभ्यास और नवंबर 2017 में इज़राइल में ब्लू फ्लैग एयर कॉम्बैट ड्रिल हैं। ‘पिच ब्लैक’ एयर कॉम्बैट ड्रिल में वायु सेना की भागीदारी कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि क्वाड समूह के सदस्य भारत और ऑस्ट्रेलिया ने दोनों सेनाओं के बीच बातचीत को कारगर बनाने के लिए एक मार्गदर्शन दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं।
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