केंद्र सरकार ने मंगलवार को तीनों सेनाओं के लिए 28,732 करोड़ रुपये से झुंड ड्रोन, कार्बाइन और बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदने को मंजूरी दे दी है। साथ ही चीन और पाकिस्तान सीमा पर हाइब्रिड युद्ध और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए तीनों सेनाओं में लगभग 4 लाख क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन शामिल करने को भी हरी झंडी दी गई है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में तीनों सेनाओं के लिए 4.2 लाख स्वदेशी कार्बाइन का निर्माण किया जाएगा।
रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई। बैठक में 28,732 करोड़ रुपये के हथियार खरीद प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है, इनमें झुंड ड्रोन, बुलेट प्रूफ जैकेट और कार्बाइन शामिल हैं। यह सभी भारत में बने हैं, जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर को और बढ़ावा दे रहे हैं। पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा पर तैनात भारतीय सैनिकों पर दुश्मन के स्निपर्स खतरे और आतंकवाद विरोधी परिदृश्य में निकट युद्ध अभियानों को देखते हुए डीएसी ने भारतीय मानक बीआईएस VI स्तर की सुरक्षा के साथ बुलेट प्रूफ जैकेट के लिए एओएन प्रदान किया। देश के तटीय क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने के लिए डीएसी ने भारतीय तटरक्षक के लिए 14 फास्ट पेट्रोल वेसल (एफपीवी) की खरीद के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।
एलएसी और पूर्वी सीमाओं पर हाइब्रिड युद्ध और मौजूदा आतंकवाद विरोधी गतिविधियों का मुकाबला करने को तीनों सेनाओं के लिए 4 लाख क्लोज क्वार्टर बैटल कार्बाइन को भी डीएसी ने हरी झंडी दे दी है। इतनी बड़ी संख्या में कार्बाइन के उत्पादन में समय लगेगा, इसीलिए यह परियोजना निजी या सार्वजनिक क्षेत्र के दो निर्माताओं के साथ अनुबंध किये जाने की योजना है। छोटे हथियारों के निर्माण में भारत को ‘आत्मनिर्भर’ बनाने की दिशा में तीनों सेनाओं के लिए 4.2 लाख स्वदेशी कार्बाइन का निर्माण किया जाएगा। सेना, नौसेना और वायु सेना इस हथियार के डिजाइन और विकास में एक साथ काम करेंगी। इससे भारत में छोटे हथियारों के निर्माण उद्योग को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार दुनियाभर में हाल के सैन्य अभियानों और संघर्षों में ड्रोन तकनीक नई प्रौद्योगिकी के तौर पर उभरी है। इसीलिए आधुनिक युद्ध में भारतीय सेना की क्षमता को बढ़ाने के लिए इंडियन-आईडीडीएम श्रेणी के तहत स्वायत्त निगरानी और सशस्त्र ड्रोन स्वार्म्स की खरीद के लिए एओएन प्रदान किया गया है। डीएसी ने भारतीय उद्योग के माध्यम से कोलकाता श्रेणी के जहाजों पर बिजली उत्पादन के लिए एक उन्नत 1250 किलोवाट क्षमता समुद्री गैस टर्बाइन जेनरेटर की खरीद के लिए नौसेना के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। इससे गैस टर्बाइन जनरेटर के स्वदेशी निर्माण को एक बड़ा बढ़ावा मिलेगा।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
टिप्पणियाँ