तमिलनाडु में वर्तमान सत्ता पर ईसाई मिशनरियों का कैसा दबदबा है उसका एक उदाहरण वहां के विधानसभा अध्यक्ष के एक बयान से मिल जाता है। उन्होंने प्रदेश के विकास को ईसाई मिशनरियों की देन बताया है। उनके ऐसे बयान का हिन्दू संगठनों और भाजपा ने तीखा विरोध करते हुए इसे ‘सांप्रदायिक सोच’ और तुष्टीकरण की हद बताया है।
तमिलनाडु में खुद को अनिश्वरवादी बताने वाले स्व. पेरियार की बनाई पार्टी द्रमुक की सरकार है। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. करुणानिधि के बेटे स्टालिन मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में राज्य में ईसाई मिशनरियों को कथित खुली छूट ही नहीं मिली हुई है बल्कि वे सरकार की नीतियों तक पर प्रभाव रखते हैं। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष अप्पावु का यह दावा है कि राज्य में आज अगर विकास है तो उसके पीछे ईसाई मिशनरियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने एक कदम आगे बढ़ते हुए कैथोलिकों की तारीफ करते हुए स्पष्ट कह दिया कि ‘सरकार तो उन लोगों की है, जो उपवास रखते हैं और प्रार्थना करते हैं’।
उल्लेखनीय है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भी ईसाइयत के प्रति अपना अनुराग कभी छुपाया नहीं है और न ही हिन्दू धर्म के प्रति अपनी दुर्भावना छुपाई है। पंथनिरपेक्ष रहकर सरकार चलाने की शपथ लेने के बावजूद द्रमुक के नेता और मंत्री खुलेआम हिन्दू विरोधी मानसिकता दर्शाते रहे हैं। विधानसभा अध्यक्ष एम. अप्पावु का विवादित बयान इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
कल दिए अपने बयान में अप्पावु यहां तक बोल गए कि ‘तमिलनाडु के विकास के लिए ईसाई मिशनरियों ने महत्वपूर्ण काम किए हैं। ये न होते तो ये प्रदेश भी बिहार बन गया होता’। उनके बयान पर नाराजगी जताते हुए भाजपा ने अप्पावु को हिदायत दी है कि अपनी इस ‘सांप्रदायिक टिप्पणी’ के लिए वे माफी मांगें।
इस प्रकरण पर एक टीवी चैनल से बात करते हुए प्रदेश भाजपा प्रवक्ता मोहन कृष्ण ने कहा है कि तमिलनाडु के विधानसभा अध्यक्ष को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने जिस तरह के शब्द इस्तेमाल किए हैं वे सांप्रदायिक हैं। यह कहना कि कैथोलिक ईसाइयों के बिना तमिलनाडु बिहार बन जाता, यह कहना स्पष्टत: तुष्टीकरण की मानसिकता झलकाता है। मोहन कृष्ण ने द्रमुक की भर्त्सना करते हुए कहा कि पार्टी हिंदू विरोधी मानसिकता रखती है। दरअसल प्रदेश में सत्ता में आने के बाद से ही द्रमुक विवादों में घिरी रही है। उसका एजेंडा सिर्फ और सिर्फ हिंदुओं को नीचा दिखाना है। वे राज्य में हिंदू विरोधी प्रचार को बढ़ावा देते हैं।
अप्पावु ने कुछ दिन पहले तिरुचिरापल्ली स्थित सेंट पॉल सेमिनरी के एक कार्यक्रम में दिए अपने उस वक्तव्य में संकेत में कहा था कि ‘सरकार उन लोगों की है, जो उपवास रखते हैं और प्रार्थना करते हैं।’ इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि ‘मुख्यमंत्री जानते हैं कि यह सरकार आप सभी ने बनाई है। आप (ईसाई मिशनरी) अपने सीएम से सीधे बात कर सकते हैं। आपके बिना तमिलनाडु की तरक्की नहीं हो सकती। कैथोलिक मिशनरियों ने तमिलनाडु की मजबूत नींव रखी है’। दरअसल उनका ये ईसाई मिशनरी वाला वक्तव्य कुछ दिन पहले का है लेकिन इसके सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विरोध उठ खड़ा हुआ है।
इस पर विवाद उठता देख एक पत्रिका से बात करते हुए अप्पावु ने कहा कि उन्होंने तो केवल ‘इतिहास का उल्लेख’ किया है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि ईसाई मिशनरियों ने ही सभी के लिए शिक्षा का इंतजाम किया है, सामाजिक समानता का काम किया है और द्रविड़ आंदोलन उनके काम का ही विस्तार है’।
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