आर्थिक संकट के जूझ रहे श्रीलंका के बाद पाकिस्तान में नकदी संकट से घिरता जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के संघीय मंत्रिमंडल ने उस अध्यादेश को मंजूरी दे दी है, जिसमें सरकारी संपत्ति को दूसरे देशों को बेचने की बात कही गई है। बताया जा रहा है कि सरकार ने यह फैसला इसलिए उठाया है, ताकि देश के दिवालिया होने से बताया जा सके।
एक समाचार पत्र में छपी खबर के मुताबिक गुरुवार को पाकिस्तान में अंतर सरकारी वाणिज्यिक हस्तांतरण अध्यादेश-2022 को संघीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। इस अध्यादेश में प्रावधान किया गया है कि सरकार की ओर से संपत्ति या हिस्सेदारी दूसरे देशों को बेचने के खिलाफ दायर याचिका पर अदालत सुनवाई नहीं करेगी।
बताया जा रहा है कि पाक सरकार ने यह फैसला तेल और गैस कंपनियों में हिस्सेदारी और सरकारी बिजली कंपनी को संयुक्त अरब अमीरात को 2 से 2.5 अरब डॉलर में बेचने के लिए लिया है। हालांकि राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने अब तक इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर नहीं किया है। खबर तो यह भी है कि एलएनजी से चलने वाले दो बिजली संयंत्रों की जमीन उनकी मशीनरी के साथ विदेशों को बेचने की अनुमति भी मिल गई है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कर्जे की अदायगी नहीं कर पाने पर संयुक्त अरब अमीरात ने मई महीने में पाकिस्तान के बैंकों में नकदी जमा करने से मना कर दिया था।
पाकिस्तान सरकार के पास लगातार चुनौती बढ़ती जा रही है। इस सप्ताह अपने मूल्य से 8.3 प्रतिशत तक पाकिस्तान का रुपया गिर गया, जो कि नवंबर 1998 के बाद से सबसे अधिक है। इधर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने शर्त रखी है कि पाकिस्तान के मामले को तब तक बोर्ड के सामने नहीं ले जाया जा सकता, जब तक कि वह मित्र देशों से फाइनेंशियल गैप को पाटने के लिए 4 बिलियन अमरीकी डॉलर की व्यवस्था नहीं कर देता।
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