राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को जनप्रतिनिधियों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि जैसा कि किसी भी परिवार में होता है, कभी-कभी संसद में भी मतभेद हो जाते हैं। लेकिन हम सभी ‘संसद परिवार’ के सदस्य हैं जिनकी सर्वोच्च प्राथमिकता देश के बड़े संयुक्त परिवार के हित में काम करते रहना है।
संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आज राष्ट्रपति कोविंद के सम्मान में विदाई समारोह आयोजित किया गया। राज्यसभा के सभापति एम. वैंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कोविंद का माला पहनाकर उनका स्वागत किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी और संसद के दोनों सदनों के सदस्य उपस्थित रहे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि विशाल संयुक्त परिवार में मतभेदों को सुलझाने के लिए शांति, सद्भाव और संवाद के तरीके अपनाने चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अपनी बात रखने के कई तरीके उपलब्ध है। इसमें शांति और अहिंसा से बना सत्याग्रह एक मजबूत हथियार है। साथ ही हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम दूसरे पक्ष को भी सम्मान दें। हम अपने अधिकारों का प्रयोग गांधीवादी तरीके से करें।
कोविंद ने 2020 में आई वैश्विक महामारी का जिक्र करते हुए कहा कि यह हमारे लिए भविष्य के कुछ सबक छोड़ कर गई है। हमें समझना चाहिए कि हम प्रकृति का अभिन्न हिस्सा है। मनुष्य प्रकृति से अलग और ऊपर नहीं है। पर्यावरण में असंतुलन ही कई समस्याओं का कारक बनता है। साथ ही कोरोना महामारी ने हमें यह भी समझाया है कि विश्व एक परिवार है और आपसी सहयोग पर ही हम सब का अस्तित्व निर्भर है। इस दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने 18 महीनों में 200 करोड़ टीकाकरण की उपलब्धि का विशेष उल्लेख किया।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि हम सब ने मिलकर हाशिए पर गए लोगों के लिए बहुत कुछ किया है, लेकिन अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। अंबेडकर के सपनों को साकार करने के लिए समभाव के साथ सरकार ने प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि मिट्टी के घरों में छत से टपकता पानी, पानी के लिए मीलों पैदल चलना और रात में लालटेन जलाना अब पुरानी यादों का हिस्सा हो गया है। सरकार के प्रयासों से लोगों को पक्के मकान मिल रहे हैं, हर घर बिजली और नल से जल पहुंच रहा है।
कोविंद ने कहा कि लोगों की बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ ही उनमें नई आकांक्षाएं पैदा हो रही हैं। ऐसा भेदभाव रहित सुशासन से ही संभव हो पाया है। महिला सशक्तिकरण से बेटियां आगे बढ़ रही हैं। उन्हें आशा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति इस बदलाव में और तेजी लाएगी।
उन्होंने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बधाई एवं शुभकामनाएं दी और आशा व्यक्त की कि वे सर्वोच्च लोकतांत्रिक परंपराओं को आगे बढ़ाएंगी। उनका अनुभव और विवेक देशवासियों का मार्गदर्शन करेगा। उनका सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचना कई लोगों में नई आकांक्षायें पैदा करता है।
कोविंद ने अपने संबोधन में पुरानी स्मृतियों को याद करते हुए कहा कि इसी केंद्रीय कक्ष में विभिन्न सहयोगियों के साथ उन्होंने कई यादगार पल बिताये हैं। उन्होंने कहा कि देश के सर्वोच्च पद पर अपने दायित्वों का निर्वहन बिना सभी के सहयोग के संभव नही था। कोविंद ने कहा कि उन्होंने अपनी क्षमता से कर्तव्यों के निर्वहन का पूरा प्रयास किया । उन्होंने कहा कि संविधान में अपने अटूट विश्वास और अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों की प्रेरणा से यह संभव हो सका।
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