फुलवारीशरीफ के नया टोला में पापुलर फ्रंट पर इंडिया (पीएफआइ) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआई) की आड़ में संचालित देश विरोधी गतिविधियों की सच्चाई अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) सामने लाएगी। फुलवारीशरीफ से सामने आये आतंकी माड्यूल की जांच केंद्र सरकार ने एनआईए को सौंप दी है। गृह मंत्रालय ने इसे लेकर आदेश भी जारी कर दिया है। अब एनआईए फुलवारीशरीफ मामले की जांच करेगी। एनआईए सबसे पहले बिहार पुलिस से केस डायरी लेगी और पीएफआई से जुड़े तार को खंगालेगी। मामले में एनआईए अपनी ओर से नई एफआईआर भी दर्ज कर सकती है।
गौरतलब है कि झारखंड पुलिस का रिटायर दारोगा मोहम्मद जलालुद्दीन का फुलवारीशरीफ में मकान है। जहां वह अतहर परवेज के साथ मिलकर पीएफआइ के दफ्तर में आतंकी कैंप चलाता था। यहां केरल से आकर लोग ट्रेनिंग देते थे। यहां से भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने की तैयारी भी चल रही थी।
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन से पहले गुप्त सूचना पर पुलिस ने 12 जुलाई को एफआइआर दर्ज की थी। इसके बाद कार्रवाई में पटना के फुलवारीशरीफ से सुरक्षा बलों ने तीन संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। छापेमारी नया टोला स्थित एसडीआइपी (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया) और पीएफआइ (पापुलर फ्रंट आफ इंडिया) के कार्यालय में की गई थी। गिरफ्तार किए गए तीनों की आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने की जानकारी थी। जांच में तीनों के पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित अन्य देशों से भी जुड़े होने के साक्ष्य मिले थे।
ये तीनो आरोपित संगठन की आड़ में सिमी के पुराने सदस्यों को एकजुट कर उनको गोपनीय रूप से प्रशिक्षण देते थे। हथियार चलाने से लेकर देश में उन्माद पैदा करने की रणनीति बताई जाती थी। इनका मकसद 2047 तक भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना था। नामजद आरोपितों में सबसे ज्यादा 8 लोग फुलवारीशरीफ के ही रहने वाले हैं। तीन नामजद आरोपित दरभंगा के रहने वाले हैं। इस मामले में 26 लोगों को नामजद आरोपित बनाया गया था।
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