अमेरिका की ओर से आया ताजा बयान श्रीलंका के दूसरे देशों को धराशायी करने के मंसूबे की कलई खोलने वाला है। अमेरिकी गुप्तचर संस्था सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स का कहना है कि विश्व के तमाम देशों को श्रीलंका में आज जो हालात हैं उन पर गौर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन के जबरदस्त कर्जे देकर श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया क्योंकि वह देश उसके कर्जों के बोझ तले दबता चला गया। चीन से कर्जे लेकर श्रीलंका ने अपना बहुत कुछ दाव पर लगा दिया।
सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के निदेशक का यह बयान उन देशों के लिए आंखें खोलने वाला होना चाहिए जो कम्युनिस्ट चीन के पैसे के रौब में आकर अपनी अर्थव्यवस्था उसके हाथ गिरवी रख देते हैं। इनमें दक्षिण अफ्रीका के कई गरीब देश शामिल हैं। आजकल चीन नेपाल पर आर्थिक डोरे डाल रहा है। पाकिस्तान को तो सीपीईसी के बहाने ढेरों पैसा देकर चीन उसका आका ही बन चुका है।
सीआईए प्रमुख का साफ कहना है कि श्रीलंका के ढहने में चीन की बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि लंबे—चौड़े कर्जे वाले चीन के निवेश पर कोलंबो ने बिना सोचे—समझे दांव लगाकर मुसीबत मोल ले ली। बर्न्स गत 20 जुलाई को एस्पेन सिक्योरिटी फोरम में बोल रहे थे।
उन्होंने संकेत में कहा कि चीन के पास देने को पैसा बहुत ज्यादा है; चीन वाले अपने निवेश के लिए आकर्षक पैकेज बनाकर पेश करते हैं। श्रीलंका ने अपने आर्थिक भविष्य के संदर्भ में कुछ बहुत ही बिना विचारे निर्णय लिए जिसका परिणाम आर्थिक और राजनीतिक दोनों तरह से विनाशकारी साबित हुआ है।
सीआईए निदेशक ने एक महत्वपूूर्ण चेतावनी भी दी कि श्रीलंका में जो हुआ वह अन्य देशों के लिए एक सबक होना चाहिए। उनका कहना है कि लगता है, न केवल मध्य पूर्व या दक्षिण एशिया में, बल्कि दुनिया भर में कई अन्य देशों को इससे समझ आनी चाहिए। वे इस प्रकार के सौद करने से पहले अपनी आंखें खुली रखें।
उल्लेखनीय है कि श्रीलंका इन दिनों जबरदस्त आर्थिक तथा राजनीतिक संकट का सामना कर रहा है। कर्ज में डूबे में उस देश में ईंधन सहित तमाम जरूरी चीजों की भारी किल्लत है। आर्थिक संकट से निपटने में सरकार नाकाम रही और लोग सड़कों पर उतर आए। जनता के भारी विरोध प्रदर्शन को देखते हुए गोतबाया राजपक्षे देश से पलायन कर चुके हैं और राष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे चुके हैं।
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