बिहार के पूर्णिया प्रमंडल में प्रशासन की शह पर ऐसा ‘खेल’ खेला जा रहा है जो आने वाले समय में बहुत ही घातक सिद्ध होने वाला है। उल्लेखनीय है कि पूर्णिया जिले के कस्बा प्रखंड की मोहिनी पंचायत के टीकापुर में एक बहुत ही प्राचीन शिव मंदिर है। इससे कुछ ही दूरी पर मोहिनी मौजा में मंदिर की 250 बीघा जमीन है। इसका मालिकाना हक मंदिर समिति के पास है और यह समिति बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड से पंजीकृत है। मंदिर की जमीन के कई खसरा नंबर हैं। जैसे— 2352, 2353, 2354,2355, 2356 आदि।
मंदिर की जमीन के साथ ही एक कब्रिस्तान है। पिछले दिनों सरकारी पैसे से कब्रिस्तान की चारदीवारी होने लगी तो उसके दायरे में मंदिर की जमीन भी ले ली गई। जैसे ही हिंदुओं को इसकी जानकारी मिली तो उन लोगों ने चारदीवारी के निर्माण का विरोध किया। इसके बाद हिंदुओं ने सभी संबंधित अधिकारियों को इसके बारे में लिखित रूप से जानकारी दी और मंदिर की जमीन के कागजात भी उन्हें उपलब्ध कराया गया। फिर प्रशासन ने मामले की जांच करने का आदेश दिया। जांच के बाद मंदिर की जमीन पर कब्जा कर बनाई गई कुछ दुकानों को तोड़ा भी गया। ये सारी दुकानें स्थानीय मुसलमानों ने बनाई थीं। इस कार्रवाई के बाद कुछ दिनों तक मामला शांत रहा। इसी दौरान स्थानीय प्रशासन ने इस मामले को लेकर शांति समिति की बैठक बुलाई। इसमें दोनों समुदायों के प्रमुख लोगों को बुलाया गया। दोनों पक्षों ने अपनी—अपनी बात रखी और सभी अपने—अपने घर लौट गए। बैठक के कुछ दिन बाद शांति समिति से जुड़े विवेक कुमार लाठ और मंदिर समिति के अध्यक्ष शिवशंकर सरकार को न्यायालय, अनुमंडल दंडाधिकारी, सदर, पूर्णिया से एक नोटिस मिला। इसमें कहा गया है, ”आप लोगों ने कब्रिस्तान की जमीन पर जबरन कब्जा करने का प्रयास किया है। इससे शांति भंग होने का खतरा है।”
इस नोटिस से विमल कुमार लाठ और शिवशंकर सरकार दंग रह गए। विवेक का कहना है कि हम लोग तो मंदिर की जमीन बचा रहे हैं, लेकिन प्रशासन ने यह आरोप लगा दिया कि हम लोग कब्रिस्तान की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं। विवेक का यह भी कहना है कि प्रशासन ने यह सब दबाव पर किया है, ताकि कोई मंदिर की जमीन को बचाने के लिए आगे न आए। विवेक और कस्बा के हिंदुओं का आरोप है कि यह सब बिहार के एक मुस्लिम आईएएस अधिकारी के इशारे पर हो रहा है। उस अधिकारी का नाम लेना उचित नहीं है, पर आजकल बिहार के हर व्यक्ति को पता है कि वह मुस्लिम अधिकारी कौन है।
कस्बा के लोगों का कहना है कि कई साल से मंदिर की जमीन पर जिहादी तत्व नजर गड़ाए हुए हैं। दुर्भाग्य से प्रशासन भी उनके काम में एक प्रकार से सहयोग कर रहा है, परंतु स्थानीय हिंदुओं की सक्रियता के कारण जिहादी तत्व अपने मकसद में सफल नहीं हो पा रहे हैं। अपनी असफलता से चिढ़े इन तत्वों ने कुछ मुस्लिम अधिकारियों के सहयोग से एक ऐसी साजिश रची कि अब वे लोग मंदिर की जमीन को कब्रिस्तान की जमीन बता रहे हैं। विमल कुमार लाठ का कहना है कि कस्बा में जब भी कोई मुस्लिम अंचलाधिकारी आया, उसकी मदद से फर्जी कागज बनवाया गया और मंदिर की जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया गया। जब हिंदुओं को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने प्रशासन से शिकायत की, लेकिन इस मामले में वही हुआ, जो कि अक्सर हिंदुओं के मामले में होता है। प्रशासन ने शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया और दूसरी ओर जिहादी तत्व जमीन पर कुछ मुस्लिम अधिकारियों के सहयोग से कब्जा करते रहे।
लोगों का कहना है कि जब से कांग्रेस के अशफाक आलम कस्बा के विधायक बने हैं, तब से यहां की परिस्थिति काफी बदली है। वे 2015 से यहां के विधायक हैं। कस्बा के अनेक लोगों ने यह भी बताया कि जिहादी तत्वों ने 2017 में इस जमीन को एक मुस्लिम कर्मचारी इकबाल अंसारी के जरिए कब्रिस्तान की जमीन बताना शुरू किया। इकबाल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह जमीन कब्रिस्तान की है। इसके बाद इसकी चारदीवारी बनाने के लिए भी कुछ लोग दौड़—भाग करने लगे। मंदिर पक्ष ने इसका विरोध किया तो प्रशासन ने इन लोगों के विरुद्ध ही कार्रवाई की। मंदिर समिति के अध्यक्ष शिवशंकर सरकार सहित कुछ अन्य लोगों को जेल भेज दिया गया। इस कारण कुछ समय के लिए चारदीवारी का काम बंद हो गया। इसके कुछ समय बाद फिर से काम शुरू कर दिया गया और मंदिर समिति से जुड़े लोग भी अपना विरोध जताते रहे।
गत वर्ष कस्बा के अंचलाधिकारी मो. फहीम अंसारी बने। लोगों का आरोप है कि अंसारी के आने बाद स्थाई रूप से जमीन पर कब्जे की योजना बनी। कहा जाता है कि अंचलाधिकारी की शह पर बांग्लादेशी घुसपैठियों ने मंदिर की जमीन पर 15 से 20 बड़े—बड़े गड्ढे खोद दिए। कुछ गड्ढों में जबरन लाशों को दफ़नाया गया। ये वही अंसारी हैं, जो तिरंगा फहराते समय हाथ हाथ पर रखकर खड़े रहते हैं। इस वर्ष जनवरी में उनका एक ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ था।
कस्बा के हिंदुओं का कहना है कि मो. फहीम ने नई परिस्थिति का हवाला देते हुए घेराबंदी की पहल की। मंदिर समिति ने पुनः विरोध किया। इसके साथ ही इसकी शिकायत धार्मिक न्यास बोर्ड से की गई। बोर्ड ने 26 मार्च, 2022 को अपने पत्रांक 5665 द्वारा प्रशासन को मंदिर की भूमि की घेराबंदी रोकने का निर्देश दिया। इसके बावजूद चारदीवारी का काम चलता रहा। स्थानीय लोग और मंदिर समिति के सदस्य इसकी शिकायत लेकर जिलाधिकारी के पास गए तो जिलाधिकारी ने पटना के निर्देश की बात कही।
मंदिर समिति से जुड़े सदस्य इस प्रकरण में कस्बा प्रखंड के प्रमुख मो. इरफ़ान और पापुलर फ्रंट आफ इंडिया यानी पीएफआई से जुड़े मो. इब्राहिम को प्रमुख षड्यंत्रकारी मानते हैं। मो. इरफ़ान का निवास मोहिनी पंचायत के मिर्जाबाड़ी ग्राम में है। इरफान के बारे में चर्चा है कि वह बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए आवश्यक कागजात बनवाता है। यानी वह बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को भारत में बसा रहा है। वहीं कई लोगों ने बताया कि मो. इब्राहिम की आर्थिक हालत कुछ दिनों पहले तक अत्यन्त सामान्य थी। खाने के लाले पड़े रहते थे, लेकिन पीएफआई से जुड़ने के बाद उसकी आर्थिक समृद्धि बढ़ती चली गई। कहा जा रहा है कि मो. इरफान की शह पर मो. इब्राहिम मंदिर, मठ और सरकारी जमीन पर कब्जा कर वहां बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बसाता है। यह भी चर्चा है कि पीएफआई और एसडीपीआई की गतिविधियों को पूर्णिया प्रमंडल में बढ़ावा देने के लिए उसे विदेश से भी मदद मिलती है।
स्थानीय नागरिकों के अनुसार शिव मंदिर की जमीन पर भी अनेक बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों को बसाया गया है। जब लोग विरोध करते हैं, तो स्थानीय मुस्लिम नेता उनके पक्ष में कूद पड़ते हैं और घुसपैठियों को सड़कों पर उतार देते हैं।
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