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सरकार देश में तैयार कर रही नया रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र : प्रधानमंत्री

पिछले चार-पांच वर्षों में हमारे रक्षा आयात में लगभग 21 प्रतिशत की कमी आई है

by WEB DESK
Jul 19, 2022, 08:18 am IST
in भारत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय सेनाओं में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को 21वीं सदी के भारत के लिए बेहद जरूरी बताया और कहा कि आज हम सबके प्रयास की ताकत से नया रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र विकसित हो रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले चार-पांच वर्षों में हमारे रक्षा आयात में लगभग 21 प्रतिशत की कमी आई है और हम एक प्रमुख रक्षा आयातक से बड़े निर्यातक बनने की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री सोमवार को नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (एनआईआईओ) के सेमिनार ‘स्वावलंबन’ को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने भारतीय नौसेना में स्वदेशी प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सोमवार को ‘स्प्रिंट चैलेंज’ का अनावरण किया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे भी व्यापक हो गए हैं, युद्ध के तौर-तरीके भी बदल रहे हैं। पहले हम सिर्फ भूमि, समुद्र, आकाश तक ही अपने डिफेंस की कल्पना करते थे। अब दायरा अंतरिक्ष की तरफ बढ़ रहा है, साइबरस्पेस की तरफ बढ़ रहा है, आर्थिक, सामाजिक स्पेस की तरफ बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत ग्लोबल स्टेज पर खुद को स्थापित कर रहा है, वैसे-वैसे गलत सूचना, दुष्प्रचार, अपप्रचार के माध्यम से लगातार हमले हो रहे हैं। खुद पर भरोसा रखते हुए भारत के हितों को हानि पहुंचाने वाली ताकतें चाहे देश में हों या फिर विदेश में, उनकी हर कोशिश को नाकाम करना है। राष्ट्ररक्षा अब सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि बहुत व्यापक है। इसलिए हर नागरिक को इसके लिए जागरूक करना, भी उतना ही आवश्यक है।

भारतीय सेनाओं में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य, 21वीं सदी के भारत के लिए बहुत जरूरी है। ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के दौरान 75 स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का शुभारंभ रक्षा में आत्मनिर्भरता के हमारे लक्ष्य की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि 75 स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का निर्माण एक तरह से पहला कदम है। हमें इनकी संख्या को लगातार बढ़ाने के लिए काम करना है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य होना चाहिए कि भारत जब अपनी आजादी के 100 वर्ष का पर्व मनाए, उस समय हमारी नौसेना एक अभूतपूर्व ऊंचाई पर हो।

रक्षा क्षेत्र में भारत के गौरवमय इतिहास का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज़ादी से पहले भी भारत का रक्षा क्षेत्र काफी मजबूत हुआ करता था। उस समय देश में 18 आयुध कारखाने थे, जहां तोपखाने की बंदूकों समेत कई तरह के सैनिक साजो-सामान बना करते थे। दूसरे विश्व युद्ध में रक्षा उपकरणों के हम एक अहम आपूर्तिकर्ता थे। हमारी होवित्जर तोपों, इशापुर राइफल फैक्ट्री में बनी मशीनगनों को श्रेष्ठ माना जाता था। हम बहुत बड़ी संख्या में एक्सपोर्ट किया करते थे। लेकिन फिर ऐसा क्या हुआ कि एक समय में हम इस क्षेत्र में दुनिया के सबसे बड़े आयातक बन गए?

बीते दशकों की अप्रोच से सीखते हुए आज हम ‘सबका प्रयास’ की ताकत से नए रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र का विकास कर रहे हैं। आज रक्षा अनुसंधान एवं विकास को निजी क्षेत्र, अकादमिक, एमएसएमई और स्टार्ट-अप के लिए खोल दिया गया है। अपनी पब्लिक सेक्टर डिफेंस कंपनियों को हमने अलग-अलग सेक्टर में संगठित कर उन्हें नई ताकत दी है। आज हम ये सुनिश्चित कर रहे हैं कि आईआईटी जैसे अपने प्रमुख संस्थान को भी हम रक्षा अनुसंधान और नवाचार से कैसे जोड़ें।

देश के रक्षा बजट में बढ़ोतरी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि बीते 8 वर्षों में रक्षा बजट ने देश में ही रक्षा विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। रक्षा उपकरणों की खरीद के लिए तय बजट का बहुत बड़ा हिस्सा आज भारतीय कंपनियों से खरीद में ही लग रहा है। उन्होंने कहा कि बीते 4-5 सालों में हमारा रक्षा आयात लगभग 21 प्रतिशत कम हुआ है। आज हम सबसे बड़े रक्षा आयातक के बजाय एक बड़े निर्यातक की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं।

(सौजन्य सिंडिकेट फीड)

Topics: प्रधानमंत्री मोदीभारत सरकारSPRINT Challengesdefense ecosystemडिफेंस इको सिस्टमरक्षापारिस्थितिकी तंत्रपीएम मोदीPM Modi
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