आपने यह अवश्य देखा होगा कि हेमंत सोरेन सावन के महीने में भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते हैं, लेकिन उनकी पार्टी के नेता एक शिव मंदिर का इसलिए विरोध कर रहे हैं कि उसे चर्च के लोगों ने तोड़ दिया है।
झारखंड में एक तरफ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शिवभक्त बनकर अपनी पत्नी के साथ भगवान भोलेनाथ को दूध और जल अर्पित करते नजर आते हैं, वहीं दूसरी ओर जब खूंटी में शिवलिंग खंडित होता है और भगवान शिव के स्थापित मंदिर को हटाने की बात कही जाती है, उस वक्त हेमंत सोरेन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आती है। इतना ही नहीं जिस समय इसी शिव मंदिर को हटाने के लिए बैठक होती है, उस वक्त झामुमो की ओर से तोरपा विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सुदीप गुड़िया भी भगवान शिव के मंदिर का विरोध करने के लिए चर्च के लोगों द्वारा बुलाई गई सभा मे नजर आते हैं। अब सवाल यह उठता है कि हेमंत सोरेन की शिव—भक्ति और उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं की गतिविधियों में आखिर समानता क्यों नहीं दिखाई दे रही है? अगर इस सवाल का जवाब ढूंढने चलें तो आपको इसके पीछे वोट की राजनीति यानी तुष्टिकरण की राजनीति के अलावा कुछ नहीं दिखाई देगी।
ताजा मामला खूंटी जिले के कर्रा प्रखंड स्थित चांपी गांव का है। यहां 16 जुलाई को एक बैठक रखी गई थी, जिसमें गुमी सरना और देवस्थान पर शिवलिंग और शिव मंदिर स्थापित करने का विरोध किया जा रहा था। विरोध करने वालों का मानना है कि जिस स्थल पर शिवलिंग स्थापित है वहां पर जनजातीय समाज का अपना पूजा स्थल है। इस सभा में खासतौर पर झामुमो की ओर से तोरपा विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी सुदीप गुड़िया भी शामिल रहे। सभा में कहा गया कि मंदिर कहीं भी बन सकता है, लेकिन सरना स्थल को कोई स्थापित नहीं कर सकता है। इस सभा में मौजूद कई लोगों में सरना और सनातन को अलग-अलग बताने और दोनों संस्कृतियों को मानने वाले लोगों के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश की गई। इतना ही नहीं, बैठक में जनजातीय समाज से आने वाले स्थानीय विधायक कोचे मुंडा को भी बैठक में शामिल लोगों ने भला—बुरा कहा।
इस पूरे घटनाक्रम की पड़ताल में यह पता चला कि सभा में मौजूद लोगों में 80% से ज्यादा चर्च के लोग शामिल थे, जबकि कई ग्रामीणों को तो इस बात का पता ही नहीं था कि उन्हें वहां क्यों बुलाया जा रहा है।
इस मामले की शुरुआत तब हुई जब 9 जुलाई को चांपी गांव के दीवरी पतरा में स्थित शिवलिंग को असामाजिक तत्वों द्वारा क्षतिग्रस्त किया गया। इस घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। इस दौरान तोरपा विधानसभा के विधायक कोचे मुंडा ने खुद वहां पहुंचकर आक्रोशित भीड़ को समझाते हुए स्थानीय प्रशासन को इस मामले पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की थी। पुलिस अपना काम कर ही रही थी कि अचानक 16 जुलाई को चर्च के माध्यम से एक बैठक तब रखी गई जब प्रशासन शिवलिंग को खंडित करने वालों पर दबिश बनाने का काम कर रहा था।
इसी बैठक में शामिल स्थानीय समाजसेवी सुधीर सिंह ने बताया कि चर्च द्वारा एक रणनीति के तहत जनजातीय सामुदाय और हिंदू समुदाय को अलग-अलग बताने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही जिस भूमि पर शिवलिंग स्थापित है उस पर भी चर्च द्वारा कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने स्थानीय मीडिया पर भी निशाना साधा और कहा कि जानबूझकर ऐसी खबर छापी गई है बाकी लोगों के बीच मतभेद पैदा हो सके। सुधीर सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा कि इस बैठक में 80 फ़ीसदी भीड़ चर्च द्वारा बुलाई गई थी। उनमें से भी अधिकतर लोग बाहर से ही आए थे।
इन बातों से अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि झारखंड में चर्च और मिशनरी संस्थाएं कभी जनजातीय समाज की जमीन, तो कभी देवभूमि की जमीन को कब्जा करने की नीयत से षड्यंत्र रचने का काम कर रही हैं।
सुधीर सिंह के अनुसार उस गांव में काफी संख्या में जनजातीय समाज के लोग रहते हैं। किसी भी पर्व त्योहार में ऐसा कभी प्रतीत नहीं हुआ कि जनजातीय संस्कृति और हिंदू संस्कृति अलग है। इसके बाद भी चर्च के लोग हिंदू संस्कृति के अंदर जहर घोलने का काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले 7 साल में भगवान शिव के इस मंदिर को तीन बार खंडित करने का प्रयास किया जा चुका है। इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ चर्च का ही हाथ है।
इसी मामले पर झामुमो नेता सुदीप गुड़िया से पूछने पर उन्होंने किसी और काम का बहाना बनाकर जवाब देने से बचते हुए नजर आए।
अब आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जो मिशनरी हिंदू और जनजातीय संस्कृति को समाप्त कर देना चाहती है, स्थापित शिव मंदिर को हटाने की कोशिश में लगी है, उसके द्वारा बुलाई गई सभा में झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता मौजूद रहते हैं। जबकि दूसरी ओर झामुमो के सुप्रीमो जो झारखंड के मुख्यमंत्री भी हैं, उनके द्वारा भगवान शिव के लिंग पर दूध चढ़ाने की तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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