श्री काशी विश्वनाथ बाबा को सावन का यह माह अति प्रिय है। काशी के घाटों से लेकर सड़कों तक आस्था का जनसैलाब देखने को मिल रहा है। कोरोना महामारी से उबरने के करीब दो साल बाद भक्तों को सावन में दर्शन और जलाभिषेक का अवसर मिला है। हजारों की संख्या में हर बार की तरह यादव बंधु केदार घाट से गंगा जल लेकर विश्वनाथ दरबार पहुंचे। श्रद्धालुओं की भीड़ काशी-विश्वनाथ धाम कॉरिडोर की वजह से होने वाले सुगम दर्शन को लेकर भी बढ़ी है। पहली बार बाबा के भक्त गंगा घाट से जल भर कर सीधे रेड कारपेट से होते हुए गर्भ गृह तक जा रहे हैं। भीड़ को देखते हुए हालांकि गर्भ गृह में किसी को प्रवेश नहीं मिल रहा। बाहर से ही जल चढ़ाने की व्यवस्था की गई है।
दो वर्ष बाद कावड़ यात्रा शुरू होने से अद्भुत उत्साह देखते ही बन रहा है। भोर से दशाश्वमेध, अहिल्याबाई, दरभंगा, राजेंद्र प्रसाद, शीतला, ललिता, अस्सी राजघाट समेत अन्य घाटों पर शिवभक्तों की काफी भीड़ है। कुछ घाटों पर जल में गहराई अधिक होने की वजह से स्नान वर्जित किया गया है। लक्सा से लेकर गोदौलिया तक दर्शनार्थियों का हुजूम देखने को मिल रहा है। गोदौलिया, दशाश्वमेध, मैदागिन और चौक के मार्गो पर डेढ़ किमी से लंबी लाइने लगी हैं।
रथयात्रा से मैदागिन तक स्प्रिंकलर्स लगाए जा रहे, ताकि भक्तों के पैर न जले। मार्गों को सैनिटाइजेशन भी किया जा रहा है। दशाश्वमेध घाट के चितरंजन पार्क में कावड़ियों के लिए शिविर का भी आयोजन किया गया है। विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा का कहना है कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण लेकर न आएं। पेयजल की समुचित व्यवस्था के साथ मेडिकल टीमें भी तैनात हैं। खोया पाया केंद्र भी बनाया गया है। भक्तों के पैर न जले इसलिए कालीन और टेंट भी लगाया गया है।
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