यूपी में शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव की रार अब सड़कों पर आने लगी है। राष्ट्रपति चुनाव में सपा द्रोपदी मुर्मू की जगह यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रही है तो शिवपाल ने अखिलेश के इस फैसले के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया है। अखिलेश को खुला पत्र लिखकर शिवपाल ने कहा है कि यशवंत सिन्हा ने कभी ( मुलायम सिंह यादव ) को आईएसआई एजेंट बताया था और सपा उनके साथ खड़ी हो रही है। इससे समाजवादी पार्टी जैसे मजाक का पात्र बनकर रह गई है।
पहला मौका नहीं है, जब शिवपाल ने भतीजे अखिलेश पर सार्वजनिक रूप से हमला बोला है। कुछ ही दिन पहले उन्होंने अखिलेश के राजनैतिक फैसलों को लेकर उन्हें खुले तौर पर अपरिपक्व बताया था। और अब शिवपाल ने खुली चिट्ठी लिखकर अखिलेश के फैसलों पर बेहद तल्ख सवाल उठाए हैं। शिवपाल यादव ने 2017 के चुनाव में भतीजे अखिलेश से विवाद के चलते प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ( लोहिया) बना ली थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अखिलेश की सपा के खिलाफ अपने प्रत्याशी भी मैदान में उतारे थे। इसके बाद भी कई मौके आए, जब शिवपाल यादव अपनी राह अलग चलते दिखाई दिए थे। शिवपाल यूपी विधानसभा 2022 में अखिलेश के मनाने पर फिर सपा के साथ आ गए। हालांकि चाचा-भतीजे की दूरियां इसके बाद भी नजदीकियों में नहीं बदल सकीं।
असेंबली इलेक्शन में शिवपाल ने अखिलेश से खुद चुनाव लड़ने के अलावा राज्य में अपने करीबी चेहरों को भी टिकट देने की मांग की थी मगर उनकी एक न चली। अखिलेश ने सभी करीबियों को बेटिकट कर दिया था और अकेले शिवपाल को जसबंत नगर से टिकट थमाकर अपने तेवर दिखा दिए थे। शिवपाल उस वक्त मन मारकर रह गए। उन्हें चुनाव भी अपनी प्रसपा छोड़ सपा की टिकट पर ही लड़ना पड़ा। अखिलेश की करारी हार के बाद से शिवपाल चुप नहीं बैठे हैं और अपने दिल की बात सामने रखने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उप चुनाव में सपा की लुटिया डूबने के बाद शिवपाल अब अखिलेश पर और हमलावर दिखाई दे रहे हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में शिवपाल खुलकर एनडीए समर्थित उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू का समर्थन कर रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर सपा प्रमुख अखिलेश यादव विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा का झंडा उठा रहे हैं। अखिलेश के इस निर्णय से चाचा शिवपाल खासे नाराज हैं। शनिवार को शिवपाल ने अखिलेश को ऐसा पत्र लिखकर उसे सोशल मीडिया पर साझा कर दिया कि सपा बिग्रेड में खलबली मच गई है। शिवपाल ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि अजीब बिडंबना है कि समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रपति चुनाव में उस व्यक्ति का समर्थन किया है, जिसने हमारे अभिभावक नेताजी (मुलायम सिंह यादव ) को उनके रक्षामंत्रित्व काल में पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आईएसआई का एजेंट बताया था। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सपा को राष्ट्रपति प्रत्याशी के तौर पर एक अदद समाजवादी विरासत वाला नाम न मिला…। शिवपाल यादव लिखते हैं कि जो समाजवादी कभी नेताजी के अपमान पर आगबबूला हो जाते थे, आज उसी विरासत के लोग नेताजी को अपमानित करने वाले व्यक्ति का राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन कर रहे हैं। ऐसा लगने लगा है कि पूरी पार्टी मजाक का पात्र बनकर रह गई है। शिवपाल ने अपने अंदाज में अखिलेश को फैसले पर पुर्नविचार करने की नसीहत भी दी है। फिलहाल शिवपाल के पत्र पर अखिलेश का कोई जवाब सामने नहीं आया है।
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