पूरे भारतवर्ष में आजकल मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग खासा चर्चा में हैं। यह कोई गर्व का विषय नहीं है क्योंकि कुछ लोग मजहब के नाम पर समाज में जिस प्रकार अराजकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, उससे समूचे मुस्लिम समुदाय का सिर नीचा हो चुका है। देशविरोधी गतिविधियों में शामिल उन तमाम मुस्लिम भाइयों से मैं सवाल करना चाहता हूं कि आखिर आपको दिक्कत किस चीज़ से है? कोई आपके समाज में सुधार की बात करे तो आप उसे ही अपने कौम के दुश्मन क्यों मान लेते हैं? पिछले दिनों उदयपुर की जो घटना सामने आयी है, भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया उसके वीडियो देखकर दहल उठी थी। फिर यह Popular Front of India (PFI) के ‘मिशन 2047’ का होश उड़ा देने वाला सच सामने आया है। ऐसा बताया जा रहा है कि इस षड्यंत्र के तहत भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की साजिश रची जा रही थी! आखिर क्यों आप ऐसा चाहते हैं कि भारत एक मुस्लिम राष्ट्र ,बन जाए? क्या भारत मुसलमानों का भी देश नहीं है? भारत के संविधान ने मुसलमानों को आजतक किस हक से वंचित रखा है? क्या इस देश के मुसलमानों को तालीम हासिल करने से रोका गया है? क्या मुसलमानों को सरकारी नौकरियों से वंचित किया गया है? चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, छोटे से लेकर बड़े पदों में कहां नहीं हैं मुसलमान? राजनीति में, मीडिया में, औद्योगिक क्षेत्रों में, खेलों में- कहां बराबरी का हक नहीं दिया गया है? फिर भी क्यों सही रास्ते पर चलने से भटक रहे हैं लोग?
आप भारत जैसा एक भी ऐसा राष्ट्र दिखा दीजिए जहां के लोग भारत के मुसलमानों से बेहतर जिंदगी जी रहे हैं? मुझे पक्का यकीन है कि आपको ऐसा आदर्श राष्ट्र ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेगा, जहां अल्पसंख्यकों को भी हर मामले में बराबरी का दर्जा दिया गया है। पश्चिमी एशियाई देश तो इस्लामिक कानून से चलते हैं, वहां की वास्तविक स्थिति क्या आपसे छिपी है? पाकिस्तान जो इस्लाम के दंभ पर हिंदुस्तान से अलग हुआ था आज दर-दर की ठोकरे खा रहा है। कभी पाकिस्तान का हिस्सा रहनेवाला बांग्लादेश आज तरक्की की राह पर बढ़ चला है क्योंकि उसने भारत को अपना आदर्श माना। इस प्रकार पूरी दुनिया की नजर आज भारत पर है। क्योंकि भारत ही एक ऐसा देश है जो विश्वगुरु बन सकता है। वक्त पर हर बार हमने यह साबित करके भी दिखाया है कि भारत विश्व गुरु है। ऐसे आदर्श राष्ट्र की छाती पर चोट पहुंचाने के बारे में कोई सोच भी कैसे सकता है? अपनी मातृभूमि को नीचा दिखानेवाले व्यक्ति खुद कैसे महान बन सकता है? राष्ट्रगान नहीं गाएंगे, वन्दे मातरम नहीं दोहराएंगे, संसद द्वारा पारित कानून नहीं मानेंगे, फिर आप कैसे कह पाएंगे कि आप उसी देश के सच्चे नागरिक हैं? इमानदारी से बताइए कि आपने आज तक एक सच्चे नागरिक का कौन सा फ़र्ज अदा किया है?
अफजल गुरु, धारा 370, एनआरसी, सीएए, शाहीनबाग सबकुछ याद हैं। आपको इन मामलों में सरकार के साथ खड़ा होना चाहिए था, विरोध में नहीं। क्योंकि ये सब राष्ट्रहित के विषय हैं। लेकिन आपने जो किया उससे पूरे मुस्लिम समुदाय को शर्मसार होना पड़ा है। तीन तलाक, हिजाब, मदरसा का आधुनिकीकरण- इस प्रकार के जिन मुद्दों पर संवाद के लिए आपको बुलाया जाता रहा है आपने उन्हें भी ठुकराया ही होगा। जनसंख्या वृद्धि पर जो आपसे बात करना चाहे आप उसे धर्म-विरोधी मान लेते हैं। इस समय पूरी दुनिया बढ़ती जनसंख्या को लेकर चिंतित है और आप इस विषय पर बात करने को भी तैयार नहीं हैं! उल्टा इसके लिए भी मोदी सरकार को ही कसूरवार ठहराया जा रहा है।
वर्तमान केंद्र में एक ऐसी विचारधारा की सरकार है जो कांग्रेस की तरह तुष्टिकरण की राजनीति को कभी प्रश्रय नहीं देगी। वर्षों तक सत्ता पर काबिज रहने के लिए कांग्रेस पार्टी ने वामदलों के साथ सांठगांठ करके देश की दूसरी सबसे बड़ी आबादी को अपने वश में करके रखा था। उसके लिए मुस्लिम समुदाय के कुछ छोटे-मोटे नेताओं को उनकी मनमर्जी चलाने की पूरी छूट भी दी गयी थी। आज उनकी काली करतूतों का हिसाब हो रहा है। आम मुस्लिम जनता इस बात से हमेशा बेखबर ही रह जातीं हैं कि उनके तथाकथित हितैशी नेता कहां-कहां और किस-किस चीज़ के लिए उनका सौदा करते फिरते हैं! इसलिए यह वक्त सचेत होने का है।
लोकतंत्र में विरोध प्रदर्शन का सबसे ऊंचा स्थान है। यदि आपको लगता है कि आपके साथ कोई गलत कर रहा है तो आंदोलन कीजिए। लेकिन हर चीज़ को मजहब के नजरिए से देखेंगे तो गलत होगा। क्योंकि मजहब हमारे समाज-जीवन का एक हिस्सा है और हमारा देश उससे संचालित नहीं हो रहा है। हमारा देश संविधान और उसके द्वारा प्रदत्त कानून से चलता है। हम सबके हितों की रक्षा की जिम्मेदारी हमारे संविधान की है। इसलिए मैं अपने मुस्लिम समुदाय से निवेदन करना चाहूंगा कि आप तरक्की की राह पर आगे बढ़ें, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दें ताकि आगे जाकर वह देश का अच्छा नागरिक बन सके। संविधान और कानून पर सबसे ज्यादा भरोसा करें, जनता द्वारा लोकतांत्रिक पद्धित से चुनी हुई सरकार की नीतियों पर भरोसा करें। हमें मुस्लिम के रूप में अलग पहचान ही क्यों चाहिए। हम भारतीय हैं और यहीं हमारी सबसे बड़ी पहचान है। संविधान आपके व्यक्तिगत मामलों पर हस्तक्षेप करने का अधिकार किसी को नहीं देता बशर्ते आप भी किसी के निजी मामले में दखलंदाजी न करें।
(लेखक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएचडी तथा भारतीय समाज विज्ञान अनुसंधान परिषद से पोस्ट-डॉक्टरेट हैं। भाषा, साहित्य, संस्कृति के अध्येयता के होने साथ अल्पसंख्यक मामलों के विश्लेषक भी हैं।)
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