वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित मां श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन को लेकर दायर याचिका में गुरुवार को जिला जज के न्यायालय में लगातार तीसरे दिन भी सुनवाई हुई। कल भी सुनवाई जारी रहेगा। करीब दो घंटे में तक चली सुनवाई में हिंदू पक्ष ने अपना तर्क रखा। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु जैन ने बताया कि देवता की संपत्ति पर कोई कब्जा कर ले तो वो वक्फ बोर्ड की संपत्ति नही हो जाती हैं। मंदिर टूटने के बाद भी वहां पूजा होती रही हैं। मुस्लिम पक्ष ने दावा किया हैं कि परिसर वक्फ बोर्ड की संपत्ति हैं। लेकिन उनकी ओर से कोई भी दस्तावेज न्यायालय के समक्ष नही रखा गया है।
विष्णु जैन ने कहा कि लोगों ने अयोध्या राम मंदिर का भी विवरण अपने बहस के दौरान किया है। साथ ही शिव पुराण और अन्य ग्रंथों का जिक्र कर के बताया कि मंदिर बनाने का संकल्प अमर होता है। कोई आक्रांता उसे तोड़ दे तब भी वो जगह आस्था से सदैव जुड़ी रहती है।
वर्ष 1947 में भी वहां पूजा होती थी। देव विग्रह यदि किसी आक्रांता द्वारा नष्ट कर दिया जाता है। तब भी वह स्थान जीवंत और जागृत रहता है। हिंदू धर्म मे अगर प्राण प्रतिष्ठा हो जाती है, तो हम उस स्थान का निरंतर पूजा करते हैं। तमिलनाडु के भगवान चिदंबरम के मंदिर में बिना किसी मूर्ति के स्थान पर पूजा की जाती हैं।
संपत्ति अगर वक्फ की नहीं हैं तो वाद पोषणीय हैं। हम लोगों का वाद दर्शन पूजन को लेकर है। किसी कब्जे की बात नहीं है। परिसर में स्थित शिवलिंग स्वयंभू हैं और स्वयंभू की प्राण प्रतिष्ठा नहीं की जाती। महादेव वहां स्वयं स्थापित हैं। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में कल भी इस पर सुनवाई जारी रहेगा।
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