प्रवीण कुमार की कंपनी ‘स्किलंग यू’ गांवों में डिजिटल माध्यम से न केवल रोजगारोन्मुखी शिक्षा का प्रसार कर रही, बल्कि जरूरतमंदों को मुफ्त शिक्षा भी दे रही
इंटरनेट, प्रौद्योगिकी और तकनीक के इस दौर में रोजमर्रा कामकाज के साथ शिक्षा भी डिजिटल हो गई है। कोरोना महामारी में लॉकडाउन के दौरान डिजिटल शिक्षा का चलन तेजी से बढ़ा। प्रवीण कुमार का स्टार्टअप ‘स्किलिंग यू’ भी इससे अछूता नहीं रहा।
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले प्रवीण स्नातक की पढ़ाई के बाद अन्य युवाओं की तरह बेहतर करियर के लिए दिल्ली आ गए थे। यहां 12 साल बहुराष्ट्रीय कंपनियों में नौकरी की, लेकिन गांव के लिए कुछ करने का जुनून दिमाग पर हावी रहा।
प्रवीण कहते हैं, ‘‘मेरी परवरिश ग्रामीण परिवेश में हुई और वहीं पढ़ा। आर्थिक हालात के कारण आगे की पढ़ाई नहीं कर सका। बाकी ग्रामीण युवाओं की तरह ही मुझ पर भी सरकारी नौकरी हासिल करने का दबाव था, लेकिन मेरा मन नहीं था और इसी जिद ने मुझे दिल्ली बुला लिया। समस्या यह थी कि मुझे अंग्रेजी बोलना नहीं आता था। लेकिन असफल होकर लौटना स्वीकार नहीं था। मैंने सोचा कि जो समस्याएं मेरे सामने आईं, उनसे दूसरे युवाओं को जूझना न पड़े, इसलिए स्टार्टअप के माध्यम से रोजगार कौशल पर काम करने की ठानी। लेकिन पहला विचार यही आया कि घर कैसे चलेगा?
मैंने कुछ पैसे बचा रखे थे ताकि अपना खर्च निकाल सकूं। लिहाजा, 2017 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया। घर वालों को यह सोचकर नहीं बताया कि समय पर उन्हें पैसे भेजता रहूंगा। लेकिन कुछ दिन बाद पता चला कि माताजी को ब्रेस्ट कैंसर है। उसी समय पिताजी को दिल का दौरा पड़ा। उनकी बाइपास सर्जरी करानी पड़ी, जो सफल नहीं हुई। 30 दिन में दूसरी बार सर्जरी करानी पड़ी। एक साथ दो-दो अस्पतालों के चक्कर लगने लगे। पूरी योजना ध्वस्त हो गई। पूरी जमा-पूंजी इलाज पर खर्च हो गई। लेकिन इन विषम परिस्थितियों में 19 जनवरी, 2018 को कंपनी का पंजीकरण कराया। जनवरी 2019 में माताजी का स्वर्गवास हो गया। इन सब में दोस्तों और क्रेडिट कार्ड की लाखों रुपये की उधारी आ गई। लेकिन स्टार्टअप को लेकर जुनून कम नहीं हुआ। एक कंपनी के लिए पहला प्रेजेंटेशन मैंने दिल्ली एम्स में बनाया था।’’
प्रवीण कहते हैं कि जब आप कुछ बड़ा करने के बारे में सोचते हैं तो ईश्वर आपकी परीक्षा जरूर लेता है। इसलिए तमाम मुश्किलों के बावजूद काम शुरू किया। अभी हाल ही में हमारे स्टार्टअप को गूगल और केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय ने देश के शीर्ष 100 प्रोमिसिंग स्टार्टअप की सूची में शामिल किया है। गूगल से हमें सहयोग मिल रहा है। कोरोना काल के दौरान हमने ऑनलाइन सेमिनार किए, जिनकी पहुंच 40 लाख से अधिक लोगों तक थी।
हमारे एप के पहले एक लाख डाउनलोड कोरोना काल में ही हुए, जो अब दो लाख तक पहुंच गया है। सोशल मीडिया के माध्यम से मासिक एक करोड़ से अधिक लोगों तक हमारी पहुंच है। इस कठिन दौर में हमने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 25,000 से अधिक युवाओं को मुफ्त इंग्लिश स्पीकिंग का कोर्स कराया। साथ ही, एनएसएस से जुड़े। मैंने यह कंपनी 8 लाख रुपये और 5 दोस्तों के सहयोग से शुरू की थी, जो अब 50 करोड़ से अधिक की हो गई है। आज कंपनी के पास 25 से अधिक लोगों की टीम है।
हमारा उद्देश्य ग्रामीण युवाओं में कौशल विकसित कर उन्हें रोजगार के लिए तैयार करना है। पाठ्यक्रमों का शुल्क भी ग्रामीण पृष्ठभूमि को देखते हुए रखा गया है। हमारे 99 प्रतिशत पाठ्यक्रम 99 रुपये से 500 रुपये के बीच हैं। सभी पाठ्यक्रमों की वैधता आजीवन है। हमने इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स से शुरुआत की थी, लेकिन आज हमारे पास 50 से अधिक पाठ्यक्रम हैं। इसके अलावा, सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए मॉक टेस्ट सीरीज और लाइव क्लासेज हैं। हमारी कंपनी हजारों बच्चों को मुफ्त आनलाइन शिक्षा उपलब्ध करा रही है।
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