अमरावती में जिहादियों द्वारा की गई उमेश कोल्हे की हत्या को साधारण लूटपाट की घटना बताकर पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे सरकार ने एक ऐसा पाप किया है, जिसका प्रायश्चित कभी नहीं किया जा सकता। इसी तरह के कुछ अन्य पापों के बोझ से दबकर यह सरकार समय से पहले गिर गई
इस समय महाराष्ट्र में अमरावती कांड की चर्चा के साथ-साथ उद्धव ठाकरे की सरकार के पतन की भी चर्चा हो रही है। राज्य के लोग उस पाप को जानकर चकित हैं, जिसे पूर्ववर्ती उद्धव ठाकरे की सरकार ने किया है। वह पाप है एक आतंकवादी घटना को साधारण घटना बताना। उल्लेखनीय है कि अमरावती में गत दिनों कुछ जिहादियों ने दवा कारोबारी उमेश कोल्हे की हत्या कर दी थी। लेकिन जब तक उद्धव की सरकार रही, तब तक इस घटना पर पर्दा डाला गया। संयोग से उद्धव की सरकार गिर गई। इसके बाद अमरावती पुलिस ने बताया कि उमेश की हत्या इसलिए कर दी गई कि उन्होंने नूपुर शर्मा का समर्थन किया था। अब सवाल उठता है कि जो उद्धव अपने को हिंदुत्व का झंडाबरदार बताते हैं, उन्होंने किसके इशारे पर इस घटना पर पर्दा डाला? राज्य के अधिकतर लोगों का कहना है कि उद्धव ठाकरे ने अपनी सरकार बचाने के लिए यह पाप किया। लोगों का यह भी मानना है कि ऐसे ही कुछ पापों के कारण शिवसेना में विद्रोह हुआ और उनकी सरकार गिर गई।
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अब बात उमेश कोल्हे की हत्या की। उनकी हत्या का षड्यंत्र उनके दोस्त यूसुफ खान ने ही रचा था, जो पेशे से पशु चिकित्सक है। यूसुफ बराबर कोल्हे की दुकान से दवाई लेता था। इस कारण इन दोनों में लगभग 16 साल से दोस्ती थी। दोनों एक-दूसरे के सुख-दुख में भाग लेते थे। इसके बावजूद यूसुफ ने उमेश की हत्या के लिए कुछ जिहादियों को उकसाया। अब एन.आई.ए. इस हत्या कांड की जांच कर रही है।
लोग कह रहे हैं कि यदि महाराष्ट्र की सरकार नहीं बदलती तो शायद उमेश की हत्या के पीछे का षड्यंत्र बाहर नहीं आता। इस षड्यंत्र को उजागर करने में भाजपा प्रवक्ता शिवराय कुलकर्णी तथा राज्यसभा सांसद अनिल बोंडे की बड़ी भूमिका रही। इन दोनोें ने उमेश की हत्या के पीछे मुस्लिम आतंकवादियों का हाथ होने की आशंका जताकर पुलिस से आग्रह किया कि इस दृष्टि से भी इसकी जांच होनी चाहिए। जब पुलिस ने चार दिन कुछ नहीं किया तब शिवराय कुलकर्णी ने 25 जून को मृतक उमेश कोल्हे के घरवालों से भेंट की। तत्पश्चात् एक प्रेस वार्ता कर उन्होंने इस हत्या में मुस्लिम आतंकवादी गिरोह के शामिल होने की बात एक बार फिर से दुहराई। शिवराय कुलकर्णी ने कहा कि इस घटना के संबंध में पुलिस ने लूट-पाट की जो बात सामने रखी है, उसमें दम नहीं है, क्योंकि मृतक उमेश कोल्हे के पास जो पैसा था और उन्होंने जो आभूषण पहन रखे थे, वे वैसे के वैसे थे। उन्होंने यह भी कहा कि हमलावरों ने जैसे ही उमेश को पकड़ा वैसे ही उनके गले में चाकू घोंप दिया। बाद में उनके गले को काट दिया गया।
दो वर्ष में देशभर में जिहादी तत्वों ने 55 से ज्यादा हिंदुओं की हत्या की है। इनमें से अनेक लोग ऐसे थे, जिनकी हत्या उनके किसी नजदीकी ने की है। ठीक वैसे ही जैसे कोल्हे की हत्या में उनके दोस्त यूसुफ का हाथ रहा। फिलहाल इस हत्या कांड की जांच लय पकड़ चुकी है। उम्मीद है कि उमेश के हत्यारों को जल्दी ही कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।
इस प्रेस वार्ता के बाद ‘लीगल राइट्स ऑब्जर्वेट्री’ नामक एक संस्था ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर तथा ईमेल के माध्यम से अमरावती के इस घिनौने अपराध की ओर केंद्रीय गृह मंत्री का ध्यान आकार्षित किया। इसके बाद गृह मंत्रालय ने इसकी जांच की जिम्मेदारी एन.आई.ए. को सौंप दी।
जैसे ही एन.आई.ए. ने जांच शुरू की, पुलिस ने छह हत्यारों को अमरावती शहर तथा आसपास के गांवों से धर दबोचा। इस हत्या कांड के मुख्य साजिशकर्ता शेख इरफान को नागपुर से पकड़ा गया। वह नागपुर में ‘रहबर’ नाम से एक गैर-सरकारी संगठन चलाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस संगठन के माध्यम से वह जिहादी गतिविधियां करता है। पकड़े गए जिहादियों से पूछताछ के बाद पुलिस भी मान रही है कि उमेश कोल्हे की हत्या भी उन्हीं तत्वों ने की है, जो ‘सर तन से जुदा’ करने की धमकी दे रहे हैं।
उमेश कोल्हे के भाई महेश ने बताया कि उमेश कोल्हे तथा यूसुफ खान 2006 से दोस्त थे। उमेश ने कई बार यूसुफ की आर्थिक मदद की थी। यहां तक कि यूसुफ की बहन की शादी के लिए भी उमेश ने उसे बहुत बड़ी रकम दी थी। इसके बावजूद यूसुफ ने उमेश की हत्या इसलिए करवा दी कि उन्होंने रिश्तेदारों तथा करीबी मित्रों के व्हाट्सअप ग्रुप में नूपुर शर्मा के समर्थन में एक पोस्ट डाली थी। उसमें से एक ग्रुप में यूसुफ खान भी था। उसने उस पोस्ट को कई मुस्लिम समूहों में भेजकर उमेश कोल्हे को ‘सबक’ सिखाने की बात कही। इसके बादशेख रहीम और शेख इमरान के गुट ने इस हत्या की योजना पर काम करना शुरू किया। हत्या में शामिल मुदस्सर अहमद उर्फ सोनू, शेख इब्राहिम, शाहरुख पठान उर्फ बादशाह हिदायत खान, अब्दुल तौफीक उर्फ नानू शेख तस्लीम, शोएब खान उर्फ भुर्या साबिर खान, आतिब राशिद उर्फ आदिल राशिद को पकड़ा गया है।
महेश कोल्हे ने बताया कि उमेश कोल्हे समाज में अनेक जरूरतमंद लोगों की मदद किया करते थे। यूसुफ खान के इस विश्वासघात से कोल्हे परिवार बहुत आहत है। यूसुफ ने अपने को बचाने के लिए बहुत तरीके अपनाए। वह उमेश के अंतिम संस्कार में भी गया था, ताकि उस पर कोई शक न करे।
भाजपा प्रवक्ता शिवराय कुलकर्णी ने इस संवाददाता को बताया कि अमरावती शहर पिछले कुछ वर्षों से जिहादियों का अड्डा बन चुका है। इसके बावजूद पुलिस और अपने को सेकुलर मानने वाले राजनीतिक दलों के नेता कह रहे हैं कि अमरावती में सब कुछ ठीक है। अभी हाल तक उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में चली सरकार के कार्यकाल में तो पूरे राज्य में मानो जिहादी तत्वों को छूट दे दी गई थी। यह सरकार लगभग ढाई साल चली।
इस दौरान अमरावती सहित अनेक शहरों में दंगे हुए। इसके साथ ही अन्य जिहादी गतिविधियां हुर्इं। अनेक बार पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी तथा तत्कालीन ठाकरे सरकार से अनुरोध करने के बाद भी उन दंगों की आजतक कोई जांच नहीं हुई। अमरावती शहर प्रतिबंधित संगठन ‘सिमी’ के गुर्गों का गढ़ बन चुका है। इसके अलावा और भी कई आतंकवादी संगठन अमरावती और उसके आसपास अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बावजूद ठाकरे सरकार के दबाव में उमेश कोल्हे की हत्या को मामूली चोरी की घटना बताकर दबा दिया गया। राज्यसभा सांसद अनिल बोंडे भी इस बात से सहमत हैं कि अमरावती शहर तथा जिले में मुस्लिम आतंकवादी संगठनों की गतिविधियां पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हैं तथा ठाकरे सरकार की तुष्टीकरण नीति से इनका हौसला बढ़ा है।
एक रपट के अनुसार पिछले दो वर्ष में देशभर में जिहादी तत्वों ने 55 से ज्यादा हिंदुओं की हत्या की है। इनमें से अनेक लोग ऐसे थे, जिनकी हत्या उनके किसी नजदीकी ने की है। ठीक वैसे ही जैसे कोल्हे की हत्या में उनके दोस्त यूसुफ का हाथ रहा। फिलहाल इस हत्या कांड की जांच लय पकड़ चुकी है। उम्मीद है कि उमेश के हत्यारों को जल्दी ही कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी।
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