मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनसंख्या नियंत्रण की कोशिशों के साथ-साथ जनसांख्यकीय संतुलन बनाए रखने की जरूरत बताई है। सोमवार को विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि जब बात परिवार नियोजन की हो, जनसंख्या स्थिरीकरण की हो तो हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास सफलतापूर्वक जरूर हो, लेकिन कहीं भी जनसांख्यकीय असंतुलन की स्थिति न पैदा होने पाए। ऐसा न हो कि किसी एक वर्ग की आबादी बढ़ने की रफ्तार ज्यादा हो और जो मूल निवासी हों, उन पर जनसंख्या स्थिरीकरण की कोशिशों से, इंफोर्समेंट से और जागरुकता प्रयासों से उनकी आबादी को नियंत्रित कर दिया जाए।
सीएम ने कहा कि जिन देशों की जनसंख्या ज्यादा होती है वहां जनसांख्यकीय असंतुलन चिंता का विषय बनता है। क्योंकि रिलिजियस डेमोग्राफी पर विपरीत असर पड़ता है तो एक समय के बाद वहां अव्यवस्था, अराजकता जन्म लेने लगती है। इसलिए जनसंख्या स्थिरीकरण के प्रयासों से सभी मत मजहब, वर्ग, सम्प्रदाय पर एक समान रूप से जोड़ा जाना चाहिए। वहीं, मातृ-शिशु मृत्यु दर के आंकड़े साझा करते हुए उन्होंने कहा कि मैटरनल एनीमिया, मातृ, शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने की कोशिशों के बीच हमारे सामने एक और चुनौती होती है। एक वर्ग विशेष में मातृ और शिशु मृत्यु दर दोनों ही ज्यादा है। अगर दो बच्चों के जन्म के बीच अन्तराल कम है तो इसका खमियाजा मातृ और शिशु मृत्यु दर पर भी पड़ेगा और इसकी कीमत समाज को भी चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा जनसंख्या स्थिरीकरण के कार्य में आशा बहनें, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्री, शिक्षक गण, त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रतिनिधि महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। धर्मगुरुओं का भी सहयोग लिया जाना चाहिए। इसमें सामूहिक प्रयास से ही सफलता मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण के बारे में व्यापक जागरूकता कार्यक्रम विगत 5 दशकों से चल रहे हैं। इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। उन्होंने कहा कि एक निश्चित जनसंख्या वृद्धि दर का होना उपलब्धि है। विशाल जनसंख्या एक संसाधन भी है। लेकिन यह उपलब्धि तभी है, जब लोग स्वस्थ हों, आरोग्य हों। जहां चिकित्सकीय संसाधनों का अभाव हो, बीमारियां हों, वहां जनसंख्या की अबाध बढ़ोतरी बड़ी चुनौती है। विश्व जनसंख्या दिवस इसी चुनौती का अनुभव कराता है। मानव को 100 करोड़ तक होने में लाखों वर्ष लगे लेकिन 100 से 500 करोड़ होने में 183-185 वर्ष ही लगे। इस वर्ष के अंत तक विश्व की आबादी 800 करोड़ होने की संभावना है। आज का भारत 135-140 करोड़ जनसंख्या का देश है। उत्तर प्रदेश सबसे अधिक आबादी का राज्य है। यहां अभी 24 करोड़ की आबादी है, जो कि कुछ ही समय में 25 करोड़ की संख्या को पार कर जाएगी। यह स्पीड एक चुनौती है। हमें इसके नियंत्रण के लिए प्रयास करना होगा। अंतर्विभागीय समन्वय पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि जनसंख्या स्थिरीकरण में जागरूकता का सबसे अधिक महत्व है। यह जागरुकता केवल स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी ही नहीं है। नगर विकास, ग्राम्य विकास, शिक्षा आदि विभागों को भी इससे जुड़ना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश ने बीते 5 वर्ष में बेहतरीन परिणाम दिए हैं। मैटरनल एनीमिया में आज यह 51.1% से घटकर 45.9% रह गया है। 5 वर्ष में फुल इम्यूनाइजेशन 51.1% से बढकर लगभग 70% तक पहुंच गया है। संस्थागत प्रसव की दर जो पहले 67-68% थी, वह आज 84% की ओर जा रहा है। मातृ-शिशु मृत्यु दर को नियन्त्रित करने की कोशिशों के अच्छे परिणाम मिले हैं। अंतर विभागीय समन्वय और जागरूकता की कोशिशों से प्रदेश अपने लक्ष्यों में निश्चित ही सफल होगा।
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