जामताड़ा के मुस्लिम—बहुल क्षेत्रों के 100 से अधिक सरकारी विद्यालयों में रविवार को नहीं शुक्रवार यानी जुम्मे के दिन साप्ताहिक अवकाश होता है। इस संबंध में जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी बोले, ”क्या फर्क पड़ता है कि शुक्रवार को छुट्टी हो या रविवार को!”
झारखंड के मुस्लिम—बहुल इलाकों में संविधान और सरकारी नियमों की ऐसी की तैसी की जा रही है। जामताड़ा जिले के मुस्लिम—बहुल क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों में रविवार की जगह शुक्रवार यानी जुम्मे के दिन साप्ताहिक अवकाश होने लगा है। हंगामा होने पर राज्य सरकार ने कहा है कि इसकी जांच कराएंगे। झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने 10 जुलाई को एक बैठक कर पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। वहीं दूसरी ओर सरकार की सहयोगी पार्टी कांग्रेस के विधायक इरफान अंसारी इसे गलत नहीं मानते। उनका कहना है कि वहां तो बहुत पहले से शुक्रवार को छुट्टी होती रही है।
अंसारी उसी जामताड़ा के विधायक हैं, जहां के 100 से अधिक सरकारी विद्यालयों में कागजों पर रविवार को छुट्टी दिखाई जा रही है, लेकिन असलियत में शुक्रवार को ही छुट्टी की जा रही है। इसके पीछे के कारणों का पता चला कि उन स्थानों पर मुस्लिम समाज की जनसंख्या बढ़ चुकी है इसीलिए विद्यालयों पर दबाव बनाकर सारे कायदे—कानून उन्हीं के अनुसार बनाए जा रहे हैं।
ऐसा नहीं है कि जामताड़ा में यह पहली बार हो रहा है। आज से 10 महीने पहले 14 अक्तूबर,2021 को पाञ्चजन्य में ऐसी ही खबर छापी गई थी। इसमें बताया गया था कि कर्माटांड़ प्रखंड स्थित बिराजपुर के एक सरकारी उच्च विद्यालय में नमाज पढ़ने के लिए कट्टरवादियों ने स्कूल में ताला लगा दिया। यह ताला 1 अक्तूबर, 2021 को लगाया गया था और वह दिन था शुक्रवार यानी जुम्मे का दिन। उस क्षेत्र में मुस्लिमों की आबादी काफी अधिक संख्या में है। इसीलिए इसके पीछे तर्क दिया गया कि विद्यालय में मुसलमानों की संख्या सबसे अधिक है इसीलिए शुक्रवार को नमाज पढ़ने के लिए स्कूल में छुट्टी दे दी जाए और रविवार के दिन स्कूल खोल दिया जाए।
स्थानीय समाजसेवी अनूप राय ने बताया कि पाञ्चजन्य में छपी उस खबर के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया था और स्कूल फिर से अपने कायदे—कानून के तहत चल रहा था। इसके बाद कट्टरवादियों ने एक बार फिर से वही किया। इस बार उन लोगों ने हंगामा करके 100 से अधिक विद्यालयों में शुक्रवार की छुट्टी करवा दी है। यहां रविवार की जगह शुक्रवार यानी जुम्मे के दिन साप्ताहिक छुट्टी की घोषणा अधिकारियों की जानकारी के बगैर कर दी गई है। इसके साथ ही कई विद्यालयों के नाम के आगे जबरन उर्दू स्कूल लिख दिया गया है। इसके पीछे यह तर्क दिया गया है कि स्कूल में पढ़ने वाले अधिकतर बच्चे मुस्लिम समाज से आते हैं, इसके साथ ही पूरे गांव की आबादी 70% से ज्यादा मुसलमानों की है। यही वजह है कि विद्यालयों का नियम भी उन्हीं के हिसाब से बनाया जाना चाहिए।
इस मामले पर जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने अपनी आदत के अनुसार कहा है कि इस समस्या के पीछे भाजपा है। उनसे यह पूछने पर कि कई विद्यालयों में शुक्रवार को छुट्टी और रविवार को कक्षाएं ली जा रही हैं! इस पर उन्होंने कहा कि यह तो शुरू से चला रहा था, क्योंकि वहां पर मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। उनका यह भी कहना था कि बाद में अन्य समुदायों के बच्चों के नामांकन के बाद यह विवाद बढ़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि क्या फर्क पड़ता है कि शुक्रवार को छुट्टी हो या रविवार को। पूरे सप्ताह में 1 दिन की छुट्टी तो मिल ही रही है।
अब इन बातों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जामताड़ा में कट्टरपंथी किसके इशारे पर चल रहे होंगे। अगर आंकड़ों की बात करें तो सरकारी विभाग के अनुसार पूरे जिले में 1084 सरकारी स्कूल हैं और इनमें से 15 विद्यालयों को उर्दू स्कूल की मान्यता प्राप्त है। इसके बाद भी दर्जनों ऐसे स्कूल हैं जिनके नाम के आगे उर्दू स्कूल लिख दिया गया है। इनमें से अधिकतर स्कूल जिले के नारायणपुर, करमाटांड और जामताड़ा प्रखंड में स्थित हैं। कुछ स्कूल शिक्षकों के अनुसार शुरुआती दौर में कुछ बच्चों के अभिभावकों ने शुक्रवार को स्कूल में छुट्टी देने का दबाव बनाया था, लेकिन बाद में स्कूल प्रबंधन कमेटी की बैठक में शुक्रवार को अवकाश और इसके बदले में रविवार को स्कूल खोलने का निर्णय ले लिया गया। आपको जानकारी दे दें कि यह मामला कुछ विद्यालयों में तो पिछले दो-तीन साल से निरंतर जारी है। कुछ शिक्षकों के अनुसार विद्यालय में छुट्टी शुक्रवार को ही दी जा रही है, लेकिन आधिकारिक आंकड़ों में रविवार को ही छुट्टी दर्शाई जा रही है।
इस मामले पर झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि वर्तमान झारखंड सरकार पूरे राज्य में ‘शरीया’ कानून लागू कर देना चाहती है, तभी तो सरकार द्वारा संचालित विद्यालयों में भी मदरसे की तरह शुक्रवार को छुट्टी दी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यह सरकार कभी राज्य के लोगों पर उर्दू थोप देती है, सरकारी विद्यालयों के भवनों को हरे रंग में करने का आदेश देती है, तो कभी छात्रों को हरी पोशाक पहनने का फरमान जारी करती है। यही कारण है कि आज पूरे राज्य में कट्टरपंथियों का मनोबल बढ़ता जा रहा है। ऐसे मामलों पर तुरंत लगाम लगाने की आवश्यकता है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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