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अगले माह राष्ट्र को समर्पित होगा पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएसी ‘विक्रांत’

स्वदेशी विमान वाहक आईएसी-01 'आत्मनिर्भर भारत' का शानदार उदाहरण है। इसके समुद्री परीक्षण का चौथा चरण सफलतापूर्वक पूरा किया गया

by WEB DESK
Jul 10, 2022, 11:15 pm IST
in भारत, रक्षा
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भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएसी ‘विक्रांत’ अगले माह ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मनाने के लिए राष्ट्र को सौंप दिया जाएगा। आईएसी के लिए समुद्री परीक्षण का चौथा चरण रविवार को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। भारत में ही तैयार यह जहाज नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा। इसी माह के अंत में जहाज की डिलीवरी नौसेना को किये जाने का लक्ष्य रखा गया है।

देश के पहले स्वदेशी विमान वाहक 40 टन वजनी आईएसी विक्रांत ने चारों समुद्री परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किये हैं। पहला परीक्षण पिछले साल 21 अगस्त को, दूसरा 21 अक्टूबर को और तीसरा इसी साल 22 जनवरी को पूरा किया जा चुका है। पहला परीक्षण प्रणोदन, इलेक्ट्रॉनिक सूट और बुनियादी संचालन स्थापित करने के लिए था। अक्टूबर-नवंबर में दूसरे समुद्री परीक्षण के दौरान विभिन्न मशीनरी परीक्षणों और उड़ान परीक्षणों के संदर्भ में जहाज को उसकी गति के माध्यम से देखा गया। तीसरे परीक्षण में जहाज के नेविगेशन और संचार प्रणालियों को देखा गया। इसके साथ ही ऑनबोर्ड पर लगे बड़ी संख्या में विभिन्न उपकरणों और प्रणालियों के भी परीक्षण किए गए।

आईएसी ‘विक्रांत’ का आखिरी और चौथा समुद्री परीक्षण मई में शुरू किया था जो आज सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। भारत में निर्मित सबसे बड़े और जटिल युद्धपोत के समुद्री परीक्षणों में विशाखापत्तनम स्थित डीआरडीओ प्रयोगशाला, नौसेना विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिक भी शामिल हुए। इसके साथ ही विमानवाहक पोत के लिए लड़ाकू विमानों की खरीद को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है। अब तक अमेरिकी एफ-18 सुपर हॉर्नेट और फ्रांस के राफेल-एम के ट्रायल किये जा चुके हैं और इन्हीं दोनों के बीच चयन करने का विकल्प है। भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए नौसेना करीब 26 लड़ाकू विमान लेने की तैयारी कर रही है।

भारतीय नौसेना के लिए कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में निर्मित एयरक्राफ्ट कैरियर की स्वदेशी डिजाइन और 76% से अधिक स्वदेशी सामग्री के साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया इनिशिएटिव’ के लिए राष्ट्र की खोज में एक चमकदार उदाहरण है। इससे भारत की स्वदेशी डिजाइन और निर्माण क्षमताओं में वृद्धि हुई है। इसके अलावा बड़ी संख्या में सहायक उद्योगों का विकास हुआ है, जिसमें 2000 से अधिक सीएसएल कर्मियों और सहायक उद्योगों में लगभग 12 हजार कर्मचारियों को रोजगार के मिले हैं। सभी तरह के समुद्री परीक्षण पूरे होने के बाद अब इसे आजादी की 75वीं वर्षगांठ के समय ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में अगले माह देश को समर्पित किया जाना है।

पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा

इस आधुनिक विमान वाहक पोत के निर्माण के दौरान डिजाइन बदलकर वजन 37 हजार 500 टन से बढ़ाकर 40 हजार टन से अधिक कर दिया गया। इसी तरह जहाज की लंबाई 252 मीटर (827 फीट) से बढ़कर 260 मीटर (850 फीट) हो गई। यह 60 मीटर (200 फीट) चौड़ा है। इसे मिग-29 और अन्य हल्के लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए डिजाइन किया गया है। इस पर लगभग तीस विमान एक साथ ले जाए जा सकते हैं, जिसमें लगभग 25 ‘फिक्स्ड-विंग’ लड़ाकू विमान शामिल होंगे। इसमें लगा कामोव का-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग भूमिका को पूरा करेगा और भारत में ही तैयार यह जहाज नौसेना को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा। विमानवाहक पोत की लड़ाकू क्षमता, पहुंच और बहुमुखी प्रतिभा हमारे देश की रक्षा में जबरदस्त क्षमताओं को जोड़ेगी और समुद्री क्षेत्र में भारत के हितों को सुरक्षित रखने में मदद करेगी।

Topics: National Newsराष्ट्रीय समाचारआईएसी विक्रांतपहला स्वदेशी विमानवाहक पोतIAC Vikrantthe first indigenous aircraft carrier
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