कभी ‘एमनेस्टी इंडिया’ का भारत के नीति—निर्माताओं पर इतना प्रभाव होता था कि यह संस्था अपने हिसाब से नीति भी बनवा लेती थी। इस कारण वह धीरे—धीरे भारत के कानून को ही नहीं मानने लगी थी। अब उस पर भारत के कानून का डंडा बरसने लगा है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विदेशी मुद्रा विनिमय कानून के उल्लंघन के लिए ‘एमनेस्टी इंडिया’ एवं उसके पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) आकार पटेल पर 61.72 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। हालांकि आकार पटेल ने कहा है कि वे इस आदेश को न्यायालय में चुनौती देंगे।
ईडी ने एक विज्ञप्ति में कहा कि है इन दोनों को जुर्माने के संबंध में नोटिस भेजा गया है। ‘एमनेस्टी इंडिया’ और आकार पटेल पर आरोप है कि गृह मंत्रालय के एफसीआरए लाइसेंस न होने के बावजूद विदेश से पैसा लिया और उसका उपयोग अनेक गतिविधियों में कर दिया। इसकी शिकायत मिलने पर ईडी के विशेष निदेशक स्तर के अधिकारी ने मामले की जांच की। प्राप्त जानकारी के अनुसार बिना एफसीआरए लाइसेंस के यह संस्था 2010 से 2018 तक विदेश से धन मंगाती रही। इस दौरान इस संस्था ने 51.72 करोड़ रु. सेवाओं का निर्यात (आईटी, वित्त आदि) दिखाकर विदेश से प्राप्त किए और उसे मूल कार्यों से इतर खर्च कर दिया। ईडी के पास इसके प्रमाण हैं। ईडी ने इसे फेमा कानून का उल्लंघन माना और यही कारण है कि संस्था पर भारी जुर्माना लगाया गया।
उल्लेखनीय है कि 2014 के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संस्था की देशविरोधी गतिविधियों को देखते हुए उसे एफसीआरए लाइसेंस देने से मना कर दिया था। इसके बावजूद उसने विदेश से पैसा लिया।
मालूम हो कि एमनेस्टी इंडिया 2000 से ही विदेश से चंदा ले रही है। उस समय उसे एफसीआरए लाइसेंस दिया गया था। अब उसका यह लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। इसके बावजूद किसी न किसी बहाने से यह संस्था विदेश से पैसा लेती रही। ऐसा माना जा रहा है कि इस तिकड़म के पीेछे आकार पटेल थे। इन दिनों आकार कई आरोपों से घिरे हुए हैं। दिसंबर, 2021 में सीबीआई ने उन्हें अमेरिका जाने से रोकने के लिए लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी किया था।
इसी आधार पर इस वर्ष अप्रैल महीने में आकार पटेल को बेंगलूरू हवाई अड्डे से देश छोड़कर जाने से रोक दिया गया था।
अप्रैल,2021 में ही केंद्र सरकार ने सीबीआई को ‘एमनेस्टी इंडिया’ और आकार पटेल के विरुद्ध एफसीआरए के कथित उल्लंघन के मामले में मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी।
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