मिनी राजधानी बनेगा पंचकूला
पंचकूला के सर्वांगीण विकास के लिए हरियाणा सरकार ने हजारों करोड़ रुपये की अनेक परियोजनाएं शुरू की हैं। विकास के मामले में यह चंडीगढ़ और मोहाली से आगे निकल गया है। आने वाले समय में यह शिक्षा, स्वास्थ्य, आईटी और पर्यटन ही नहीं, आध्यात्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित होगा
पंचकूला में पंजाब और हिमाचल प्रदेश से आने वाले रास्तों पर स्वागत द्वार बनाए जाएंगे। चंडीगढ़ की ओर से आने वाले मार्ग पर भी ऐसा ही द्वार होगा।
हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ है, परंतु केंद्र शासित होने के कारण यह प्रदेश का हिस्सा नहीं है। यह पंजाब की भी राजधानी है, क्योंकि विधानसभा भवन यहीं है। चंडीगढ़ को लेकर हरियाणा और पंजाब के बीच लंबे समय से लड़ाई चली आ रही है, जिसका अंत संभव नहीं दिखता। हरियाणा के समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि चंडीगढ़ का विकल्प क्या हो सकता है? राज्य का प्रमुख प्रशासनिक केंद्र कहां बनाया जाए? प्रशासनिक केंद्र वहीं बन सकता है, जहां सरकार के प्रमुख कार्यालय हों और जिसे सुनियोजित तरीके से बसाया गया हो।
ट्राइसिटी में विकास के मामले में मोहाली दूसरे स्थान पर है, जबकि पंचकूला का स्थान तीसरा है। लेकिन इसे पहले स्थान पर लाने के लिए ठोस योजना बनाई गई है। इस कड़ी में पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण (पीएमडीए) का गठन किया गया। पंचकूला का विकास अब इसी के तहत किया जा रहा है। 48 साल पहले पंचकूला की स्थापना हुई और इसके विकास की पहली योजना 1983 में बनाई गई थी।
पंजाब ने उपराजधानी के तौर पर मोहाली को विकसित कर लिया है। हरियाणा के पास पंचकूला ही है, जिसे उपराजधानी बनाया जा सकता है। पंचकूला को चंडीगढ़ की तर्ज पर ही विकसित किया जाना था। जिले के रूप में इसे 1995 में मान्यता मिली। लेकिन अनदेखी के कारण इसका विकास नहीं हो सका और यह मोहाली से पिछड़ गया। अब मनोहर लाल सरकार की हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाओं की बदौलत यह हरियाणा की मिनी राजधानी के रूप में विकसित हो रहा है। शिक्षा, पर्यटन और उद्योग के मामले में यह चंडीगढ़ और मोहाली से कम नहीं है। हिमाचल प्रदेश में बद्दी के बाद पंचकूला फार्मा क्षेत्र के बड़े केंद्र के रूप में उभर रहा है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि ट्राइसिटी में विकास के मामले में मोहाली दूसरे स्थान पर है, जबकि पंचकूला का स्थान तीसरा है। लेकिन इसे पहले स्थान पर लाने के लिए ठोस योजना बनाई गई है। इस कड़ी में पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण (पीएमडीए) का गठन किया गया। पंचकूला का विकास अब इसी के तहत किया जा रहा है। 48 साल पहले पंचकूला की स्थापना हुई और इसके विकास की पहली योजना 1983 में बनाई गई थी। मौजूदा भाजपा सरकार ने पंचकूला के विकास के लिए नई योजनाएं बनानी शुरू कीं। इसे न केवल मेडिकल, बल्कि शिक्षा, आईटी और पर्यटन केंद्र के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। यहां फूड एंड ड्रग टेस्टिंग लैब बनाई जा रही है। पंचकूला में सड़कों का जाल तो बिछाया जा ही रहा है, इसे हवाईअड्डे से भी जोड़ने का काम चल रहा है। यही नहीं, चंडीगढ़ के इर्द-गिर्द रिंग रोड परियोजना पर भी काम चल रहा है। रेल और हवाई संपर्क के लिहाज से पिंजौर हवाईअड्डे को विकसित किया जा रहा है।
बीते दिनों मुख्यमंत्री ने 5540.23 लाख रुपये की परियोजनाओं की आधारशिला रखी और 7500 सूक्ष्म सिंचाई प्रदर्शनी योजनाओं का लोकार्पण किया।
गुरुग्राम की तर्ज पर विकास
पंचकूला केवल हरियाणा ही नहीं, बल्कि पंजाब और हिमाचल प्रदेश का भी केंद्र बिंदु है। चंडीगढ़, मोहाली और पंचकूला को ट्राइसिटी के नाम से जाना जाता है। चंडीगढ़ से मात्र 11 किलोमीटर दूर पंचकूला में हरियाणा का एकमात्र हिल स्टेशन है-मोरनी। सेक्टर-3 व 4 में हरियाणा लोक सेवा आयोग, शिक्षा सदन, हरियाणा कर्मचारी आयोग, बिजली विभाग आदि बड़े विभागों के मुख्यालय के अलावा कई सरकारी कार्यालय और पश्चिमी कमांड का मुख्यालय भी है। हरियाणा सरकार का उद्देश्य स्मार्ट सिटी के तौर पर पंचकूला को विश्वस्तरीय दर्जा दिलाना है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल इसे मिनी राजधानी के रूप में विकसित करना चाहते हैं, जहां गुरुग्राम की तरह फॉर्चून कंपनियों के कार्यालय हों। पंचकूला रेलवे स्टेशन को विश्व स्तरीय बनाया जा रहा है, जहां हवाईअड्डे जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। 215 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना तीन साल में पूरी होनी है। इस आधुनिकतम रेलवे स्टेशन पर दो मंजिला प्रतीक्षालय और यात्रियों की सुविधा के लिए 6 लिफ्ट और 12 एस्केलेटर लगाए जाएंगे।
भविष्य की जरूरतों को देखते हुए पंचकूला को शिक्षा और लॉजिस्टिक केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। बीते कुछ सालों में यहां बहुमंजिला पार्किंग, बरवाला में ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के अलावा कई निजी विश्वविद्यालय खुल जाएंगे। सरकार ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) और नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ आयुर्वेद के लिए 25 एकड़ जमीन मंजूर कर दी है। 150 करोड़ रुपये की लागत से निफ्ट निर्माणाधीन है। श्रीमाता मनसा देवी मंदिर परिसर में 19.87 एकड़ में बनने वाले इस आयुष एम्स पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें 250 बिस्तर होंगे, जिनमें 100 आयुर्वेद और 150 प्राकृतिक चिकित्सा के बिस्तर होंगे। साथ ही, इसमें हर साल 500 छात्रों को यूजी, पीजी और पीएचडी की शिक्षा दी जाएगी।
पंचकूला ऐतिहासिक ही नहीं, भौगोलिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसे पंचकूला को ‘गेटवे ऑफ हरियाणा’ कहा जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए ही विकास कार्य किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि यहां की सड़कें समकोण पर एक दूसरे को काटती हैं। हर चौराहे पर फूल, सड़कों के किनारे फुटपाथ और हरित पट्टी भी है। चंडीगढ़ की तरह यहां भी यातायात नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है।
इस संस्थान में आयुर्वेद उपचार और शिक्षा के अलावा अनुसंधान भी किया जाएगा। यहां 300 बिस्तरों वाला अस्पताल पहले से ही है। पंचकूला प्रदेश का ऐसा पहला जिला है, जहां 500 बिस्तरों की क्षमता वाला मातृ एवं बाल स्वास्थ्य ब्लॉक उपलब्ध होगा। 94 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस 11 मंजिले ब्लॉक का निर्माण अगले साल तक पूरा हो जाएगा। यह पंचकूला ही नहीं, ट्राइसिटी की सबसे ऊंची इमारत होगी। इसके अलावा, मोरनी क्षेत्र में पर्यटन, हर्बल खेती, जल संरक्षण की अनेक योजनाएं शुरू की गई हैं। तेजी से विकसित होते इस शहर में स्टेडियम, गोल्फ कोर्स, सुपर मल्टीस्पेशिएलिटी अस्पताल, नाडा साहिब गुरुद्वारा, मोरनी हिल रिजॉर्ट, पिंजौर गार्डन और कौशल्या बांध पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
‘खेलो इंडिया’ से वैश्विक पहचान
पंचकूला के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि साल 2021 में इसे ‘मेट्रोपॉलिटन सिटी’ घोषित किया गया। यह उपलब्धि हासिल करने वाला पंचकूला राज्य का तीसरा जिला है। इससे यहां विकास को गति मिली और ढेरों कंपनियां, बिल्डर, उद्योग, फिल्म उद्योग और पर्यटन की ओर आकर्षित हुर्ईं। 2021 में ही 100 करोड़ रुपये की लागत से मोरनी को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रयास शुरू हुए।
यहां पर्यटक ठहरने से लेकर टेÑकिंग, माउंटेन ट्रेल, माउंटेन बाइकिंग, हॉट एयर बलून, पैराग्लाइडिंग, वाटर स्कूटी जैसी साहसिक गतिविधियों का आनंद भी उठा सकेंगे। कुल मिलाकर बीते साल के दौरान 4,000 करोड़ रुपये के विकास कार्य हुए। मोरनी में वन विभाग भी विकास कार्य करेगा। इसके लिए विभाग ने औषधीय तेल वाले पौधे लगाने और उनसे तेल निकाल कर बेचने की योजना बनाई है। राष्ट्रीय राजमार्ग-73 के निर्माण पर ही 1150 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय स्तर का संग्रहालय, नर्सिंग कॉलेज का निर्माण भी किया जाना है। खेलो इंडिया कार्यक्रम के आयोजन के बाद पंचकूला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभर कर सामने आया है।
विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता कहते हैं कि 1 नवंबर, 1966 को हरियाणा का गठन हुआ। लेकिन आज भी राज्य के 13 प्रतिशत हिस्से पर पंजाब का कब्जा है। राज्य विभाजन के समय ही 60:40 के अनुपात में जमीन का बंटवारा होना था। लेकिन 50 वर्ष बाद भी 40 में से 27 प्रतिशत हिस्सा ही हरियाणा को मिल पाया है। 2021 से इस दिशा में भी प्रयास शुरू किए गए। परिणामस्वरूप पंजाब-चंडीगढ़ व हरियाणा के अधिकारियों के बीच सौहार्दपूर्ण वातावरण में तीन बैठकें हुईं। भविष्य में ऐसी और बैठकें होंगी।
मुझे विश्वास है कि हरियाणा के पक्ष में कोई न कोई फैसला जरूर होगा। हालांकि इसमें थोड़ी देरी जरूर हुई है, लेकिन हमें अपना अधिकार मिलना ही चाहिए। हमारे पास जगह की पहले से ही काफी कमी है। लंबे समय तक पंचकूला की अनदेखी हुई। यह मोहाली से किसी भी दृष्टि से कमतर नहीं है। बीते 7 वर्षों में (2021 तक) केंद्र और राज्य सरकार ने इस जिले में लगभग 5,000 करोड़ रुपये के विकास कार्य कराए हैं। अब यह प्रदेश के सभी जिलों के मुकाबले तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है।
फार्मा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बरवाला में फार्मा क्लस्टर बनाने के साथ थापली में एक पंचकर्म केंद्र भी शुरू किया गया है। इसके अलावा, सॉफ्टवेयर टेक्नॉलोजी पार्क के सहयोग से यहां आईटी पार्क भी विकसित किया जाएगा। एचएमटी की 60 एकड़ भूमि पर फिल्म सिटी बन रही है। पंचकूला में आक्सी वन की स्थापना की गई है। इसी तरह, साधना वन, नक्षत्र वन, सुगंध वन स्थापित किए जाएंगे।
पंचकूला ऐतिहासिक ही नहीं, भौगोलिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में बसे पंचकूला को ‘गेटवे ऑफ हरियाणा’ कहा जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए ही विकास कार्य किए जा रहे हैं। खास बात यह है कि यहां की सड़कें समकोण पर एक दूसरे को काटती हैं। हर चौराहे पर फूल, सड़कों के किनारे फुटपाथ और हरित पट्टी भी है। चंडीगढ़ की तरह यहां भी यातायात नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है।
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