जिम कॉर्बेट टाइगर रिजर्व एरिया में बहने वाली राम गंगा नदी में इस बार 50 से ज्यादा घड़ियालों के बच्चे देखे गए हैं। इन बच्चों को सुरक्षित और संरक्षित करने के लिए कॉर्बेट प्रशासन ने अपनी एक विशेष टीम लगाई है।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व यूं तो बाघों के घर के रूप में जाना जाता है, लेकिन इस जंगल में अन्य संरक्षित श्रेणी के वन्य जीव-जंतु भी प्राकृतिक वास में रहते हैं। पार्क के बीचों बीच बहने वाली राम गंगा नदी में इन दिनों दुर्लभ शेड्यूल श्रेणी एक में आने वाले घड़ियालों का कुनबा बढ़ता दिखाई दे रहा है। यहां 50 से ज्यादा बच्चे दिखाए दिए हैं। ये बच्चे दूसरे बड़े जानवरों की निगाह से बचे रहें, इसके लिए एक टीम बनाई गई है। जिस स्थान पर ये बच्चे हैं, उससे कुछ ही दूरी पर वॉच टावर और सीसीटीवी कैमरे भी लगा दिए गए हैं। वन कर्मी बराबर इन पर निगाह रखे हुए हैं।
कॉर्बेट पार्क के वन्य जीव विशेषज्ञ डॉ शाह बिलाल ने बताया कि देश में सबसे ज्यादा घड़ियाल, चंबल और रामगंगा में वास करते हैं और इनकी संख्या इस वक्त ढाई हजार से भी कम हैं। ऐसे में कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 50 बच्चों का दिखना एक अच्छी खबर है। बस हमे इनको बचाने के लिए थोड़ा सतर्क रहना होगा। इन्हे तेज बहते पानी से भी बचाने के लिए काम करना होगा। डॉ बिलाल बताते हैं कि हमें बाघों की तरह इनका भी संरक्षण करना है। ये बच्चे यदि बच गए तो अगले पांच सालों में घड़ियालों की संख्या को तीन गुना बढ़ा सकते हैं।
उत्तराखंड के वन्यजीव प्रतिपालक डॉ पराग मधुकर धकाते ने कहा कि हमने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन को कहा है कि वो इन घड़ियालों के बच्चों के संरक्षण के लिए बराबर काम करें, काम कठिन जरूर है क्योंकि रामगंगा का पानी मानसून में बढ़ता है और इसका वेग भी तेज होता है, ये बच्चे किनारे पर रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे।
टिप्पणियाँ