अब सत्ता शिवसैनिकों की
Monday, March 20, 2023
  • Circulation
  • Advertise
  • About Us
  • Contact Us
Panchjanya
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
SUBSCRIBE
No Result
View All Result
  • ‌
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • अधिक ⋮
    • राज्य
    • Vocal4Local
    • विश्लेषण
    • मत अभिमत
    • रक्षा
    • संस्कृति
    • विज्ञान और तकनीक
    • खेल
    • मनोरंजन
    • शिक्षा
    • साक्षात्कार
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • लव जिहाद
    • ऑटो
    • जीवनशैली
    • पर्यावरण
No Result
View All Result
Panchjanya
No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • G20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • संघ
  • My States
  • Vocal4Local
  • Subscribe
होम भारत महाराष्ट्र

अब सत्ता शिवसैनिकों की

हिंदू पदपादशाही के संस्थापक शिवाजी महाराज की धरती महाराष्ट्र ने एक बार फिर केसरिया क्रांति कर डाली है।

राजेश प्रभु साळगांवकर by राजेश प्रभु साळगांवकर
Jul 6, 2022, 07:33 pm IST
in महाराष्ट्र
Share on FacebookShare on TwitterTelegramEmail

हिंदू पदपादशाही के संस्थापक शिवाजी महाराज की धरती महाराष्ट्र ने एक बार फिर केसरिया क्रांति कर डाली है। देश में पहली बार कोई राज्य सरकार इस कारण से गिरी कि वह हिंदुत्व के पथ से भटक गई। इस क्रांति के झंडाबरदारों ने नहीं की धमकियों की कोई परवाह, उड़ा दीं कथित राजनैतिक चाणक्यों की रणनीति की धज्जियां। आखिर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को देना पड़ा इस्तीफा, भाजपा की मदद से एकनाथ शिंदे ने बनाई सरकार

महाराष्ट्र की राजनीति में बुधवार (29 जून) की रात केसरिया क्रांति हो गई। बहुमत खोने के कारण महाविकास अघाड़ी सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने देर रात अपना त्यागपत्र राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को सौंप दिया। इसके बाद राज्य की सत्ता शिवसैनिकों के पास आ गई है। उद्धव ठाकरे शिवसेना की वैचारिक राह से भटक गए थे। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व ने अपने पुराने वैचारिक साथी भाजपा का साथ लेकर सरकार बना ली है और शिवसेना में आ गई परिवारवाद को समाप्त कर दिया है।

हिन्दुत्व के आग्रह को लेकर गिरी पहली सरकार
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार देश की ऐसी पहली सरकार है जो हिंदुत्व की राह से भटकने के कारण गिरी। शिवसेना के 42 विधायकों ने अपने ही दल के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से इसलिए समर्थन वापस लिया, क्योंकि वे हिंदुत्व की राह से हट गए थे। 9 निर्दलीय विधायकों ने भी इस विषय पर उनका साथ देकर सरकार से समर्थन वापस लिया, यह विशेष बात है।

बता दें कि हाल ही में हुए राज्यसभा तथा विधान परिषद चुनावों में भाजपा की मत संख्या से ज्यादा प्रत्याशी जीते थे। तभी से तत्कालीन सत्ताधारी महाविकास अघाड़ी गठबंधन में पिछले ढाई वर्षों से चली आ रही नाराजगी खुलकर सामने आ रही थी।

महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार देश की ऐसी पहली सरकार है जो हिंदुत्व की राह से भटकने के कारण गिरी। शिवसेना के 42 विधायकों ने अपने ही दल के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से इसलिए समर्थन वापस लिया, क्योंकि वे हिंदुत्व की राह से हट गए थे। 9 निर्दलीय विधायकों ने भी इस विषय पर उनका साथ देकर सरकार से समर्थन वापस लिया, यह विशेष बात है।

लेकिन विधान परिषद चुनाव के दिन 20 जून को ही मतदान के तुरंत बाद शिवसेना के 35 विधायक, जिसमें कई मंत्री शामिल थे, वरिष्ठ मंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में गुजरात स्थित सूरत चले गए। राज्य सरकार, मुख्यमंत्री ठाकरे तथा ठाकरे सरकार के असली नियंत्रक, ताकतवर माने जाने वाले शरद पवार, इन सबमें किसी को भी दूसरे दिन सुबह तक इस बात की भनक तक नहीं लगी। इन सबकी राजनीतिक जागरूकता की धज्जियां उड़ते राज्य ने देखी। एकनाथ शिंदे के साथ गए 35 विधायकों ने मीडिया के जरिए अपनी बात रखते हुए मांग रखी कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कांग्रेस एवं राकांपा का साथ छोड़ हिंदुत्व के रास्ते पर वापस आएं और भाजपा के साथ सरकार बनाएं। एकनाथ शिंदे की इस बात से शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा में हड़कंप मच गया। इन विधायकों को वापस लाने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी सहायक मिलिंद नार्वेकर सूरत गए। लेकिन एकनाथ शिंदे से जुड़े विधायक नहीं माने। उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि ठाकरे ने भी फोन पर इन विधायकों को मनाने के नाकाम प्रयत्न किए। लेकिन शिवसेना के सभी विधायक हिन्दुत्व पर अड़े रहे, जिसकी उद्धव ठाकरे खेमा बात ही नहीं कर रहा था।

नाकाम रहीं पवार की धमकियां
दूसरी ओर उद्धव ठाकरे तथा शरद पवार मविआ सरकार बचाने की कोशिशें करते रहे। इसमें नाकामी देख उद्धव ठाकरे और शरद पवार खेमे में अस्वस्थता बढ़ती गई। एकनाथ शिंदे के साथ गए शिवसेना विधायकों की यह साफ मांग थी कि ठाकरे को शरद पवार एवं कांग्रेस से नाता तोड़ना चाहिए, फिर आगे बात होगी। शिवसेना विधायकों के इस आग्रह से पवार खेमा परेशान हो गया था।

एक ओर शिवसेना के ठाकरे गुट के प्रवक्ता संजय राउत शिवसेना विधायकों को धमकियां दे रहे थे, तभी कुछ कार्यकर्ताओं को सूरत भेजा गया। इन्होंने घोषणा की थी कि विधायकों को जबरदस्ती वापस लाएंगे। तब गुजरात सरकार ने शिवसेना विधायक जिस होटल में रुके थे, वहां सुरक्षा बढ़ा दी। फिर एकनाथ शिंदे ने निर्णय लिया कि सुरक्षा के कारण विधायकों को गुवाहाटी ले जाया जाए। रातों-रात सभी विधायक विमान से गुवाहाटी पहुंच गए।

अब ठाकरे और पवार के खेमे में कसमसाहट बढ़ गई। दूसरे दिन से एकनाथ शिंदे के साथ जुड़ने वाले विधायकों की संख्या बढ़ने लगी। मुख्यमंत्री ठाकरे ने अपने आधिकारिक निवास स्थान वर्षा में एक बैठक बुलाई जिसमें केवल 15 विधायक शामिल थे, उसमें से कुछ विधान परिषद के थे। तभी यह साफ हो गया था कि उद्धव ठाकरे बहुमत खो चुके हैं।

इनके लिए चौंकाने वाली बात यह थी कि इस बैठक में शामिल तीन विधायक बैठक के बाद सीधे गुवाहाटी चले गए और एकनाथ शिंदे के खेमे में शामिल हो गए। फिर एक सिलसिला चला जिसमें हर कुछ घंटे में कुछ और विधायक शिंदे गुट में शामिल होते गए, गुवाहाटी पहुंचते गए और देखते ही देखते शिंदे के गुट में जुड़े हुए विधायकों की संख्या 51 हो गई, जिसमें 42 शिवसेना के थे।

इस घटनाक्रम से सबसे ज्यादा किरकिरी हुई शरद पवार की और वह अपना संतुलन खो बैठे। पवार जैसे वरिष्ठ राजनीतिज्ञ ने खुलेआम इन विधायकों को धमकियां देनी शुरू कीं। पहले उन्होंने कहा कि इन सभी विधायकों को परिणाम भुगतने पड़ेंगे। फिर उन्होंने सीधे-सीधे शिवसेना के सामान्य कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे अपनी स्टाइल में रास्ते पर उतारें – शिवसेना स्टाइल से रास्ते पर उतारने का मतलब होता है तोड़-फोड़ करना। इशारा किया गया कि गुवाहाटी गए विधायकों के घरों को निशाना बनाना होगा। फिर ठाकरे गुट के प्रवक्ता सांसद संजय राउत ने खुलेआम धमकी दी कि गुवाहाटी गए सभी विधायकों की लाशें ही वापस आएंगी जिन्हें हवाईअड्डे से सीधे पोस्टमार्टम के लिए भेज जाएगा।

इन धमकियों के बावजूद एकनाथ शिंदे गुट के विधायक टस से मस नहीं हुए। गुवाहाटी से विधायक केसरकर प्रवक्ता के तौर पर बहुत ही शालीनता से लेकिन वजन के साथ अपनी बात रखते रहे। इधर मुम्बई में तीन और पुणे में केवल एक पथराव की घटना हुई जिसमें शिंदे गुट के विधायकों के संपर्क कार्यालय तोड़े गए जो कि शिवसेना के ही थे। जमीनी स्तर पर एकनाथ शिंदे की मांगों को जमीनी शिवसेना कार्यकर्ताओं का समर्थन रहने के कारण राज्य में कही भी अन्य ‘शिवसेना स्टाइल’ ‘राडा’ नहीं हुआ।

शिंदे नए मुख्यमंत्री फडणवीस उपमुख्यमंत्री


महाराष्ट्र की राजनीति में आखिरी मिनट में घटी घटनाएं एक और भूचाल लाईं। तेज गति से घट रही घटनाओं के बाद 42 शिवसेना विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वहीं पार्टी का आदेश मानते हुए 107 भाजपा तथा 13 अन्य को मिलाकर कुल 120 विधायकों के नेता, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पार्टी आलाकमान के निर्देश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सूचना पर देवेंद्र फडणवीस ने उपमुख्यमंत्री का पदभार संभाला है।
गुरुवार दोपहर 3.30 बजे भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस तथा शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने माननीय राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी जी से मुलाकात की। इसके तुरंत बाद प्रेस वार्ता में फडणवीस ने घोषणा की थी की एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री होंगे और भाजपा के विधायक मंत्री परिषद में सम्मिलित होंगे लेकिन फडणवीस खुद उसमें नहीं रहेंगे।

राजनीतिक क्षेत्र के लिए 120 विधायकों के कद्दावर नेता फडणवीस का मुख्यमंत्री न बनने का धक्का जैसे अभी कम था, तब तक भाजपा आलाकमान ने एक और झटका दे दिया जब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक वीडियो ट्वीट करते हुए घोषित किया कि शिंदे सरकार में फडणवीस उपमुख्यमंत्री होंगे। इस झटके से राजनीतिक तथा मीडिया क्षेत्र अचंभित रह गया क्योंकि फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पूरे पांच वर्ष का कार्यकाल पूर्ण करनेवाले वह पिछले तीस वर्षों में पहले मुख्यमंत्री रहे हैं। ठाकरे सरकार के काल में वह नेता, प्रतिपक्ष रहे हैं। शिंदे से वह राजनीतिक कद में कई गुना बड़े हैं। विधायक संख्या के हिसाब से भाजपा विधानसभा में सबसे बड़ा दल है। वहीं एकनाथ शिंदे के विधायकों की संख्या भाजपा की विधायक संख्या से आधी भी नहीं है।

अब शेष मंत्री परिषद का गठन आगामी कुछ दिनों में होगा। यह मंत्रिमंडल अनुभवसिद्ध रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह तथा पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ट्वीट के माध्यम से शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि राज्य के विकास में एकनाथ शिंदे – देवेंद्र फडणवीस की युति का यह मंत्रिमंडल बहुत ही कारगर साबित होगा।

 

न्यायालयन लड़ाई
इधर, एक ओर इन विधायकों को मनाने की कोशिशें कर रहे ठाकरे ने दूसरी ओर इन विधायकों पर कानूनी करवाई शुरू की जिसमें विधानसभा उपाध्यक्ष को पत्र लिख कर 16 विधायकों की विधायकी छीनने का अनुरोध किया गया। (महाराष्ट्र विधानसभा में अध्यक्ष का पद रिक्त पड़ा है। उनके अधिकार उपाध्यक्ष के पास हैं) उसी समय इन विधायकों के पद छीने गए। मंत्रियों के विभाग छीने गए। इसके उत्तर में शिंदे गुट के विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर मांग की कि बहुमत उनके साथ होने के कारण शिवसेना विधायक दल के रूप में शिंदे गुट को ही मान्यता दी जाए। विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरि झिरवळ ने इस पत्र की अनदेखी करते हुए 16 विधायकों को नोटिस जारी किया। वहीं दूसरी ओर दो निर्दलीय विधायकों ने एक पत्र लिखकर विधानसभा उपाध्यक्ष झिरवळ को सावधान किया कि उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव अनिर्णीत है और ऐसी स्थिति में वह विधायकों के बारे में कुछ भी निर्णय नहीं कर सकते। फिर भी उपाध्यक्ष झिरवळ ने 16 शिवसेना विधायकों को अपात्र करने के लिए दो दिन का नोटिस जारी किया।

इसके बाद इन नोटिसों के विरुद्ध एकनाथ शिंदे गुट ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की। सर्वोच्च न्यायालय की इसी याचिका में लिखा गया कि हम लोग ठाकरे सरकार का समर्थन नहीं करते। और, जिस उपाध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव अनिर्णीत पड़ा हो, वह विधायकों के बारे में निर्णय नहीं ले सकता। सर्वोच्च न्यायालय ने इन विधायकों को संरक्षण देते हुए कहा कि अगली सुनवाई तक इन पर उपाध्यक्ष कार्रवाई नहीं कर सकते। अगली सुनवाई 12 जुलाई को रखी गई। तब ठाकरे सरकार और विधानसभा उपाध्यक्ष के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायालय से प्रार्थना की कि 12 जुलाई तक बहुमत परीक्षण पर रोक लगे। इसे न्यायालय ने खारिज करते हुए कहा कि दोनों अलग विषय हैं।

 

धमकियों के बावजूद एकनाथ शिंदे गुट के विधायक टस से मस नहीं हुए। गुवाहाटी से विधायक के सरकर बहुत ही शालीनता से लेकिन वजन के साथ अपनी बात रखते रहे। इधर मुम्बई में केवल तीन और पुणे में केवल एक पथराव की घटना हुई जिसमें शिंदे गुट के विधायकों के संपर्क कार्यालय तोड़े गए जो कि शिवसेना के ही थे। जमीनी स्तर पर एकनाथ शिंदे की मांगों को जमीनी शिवसेना कार्यकतार्ओं का समर्थन रहने के कारण राज्य में कहीं भी अन्य जगह ‘शिवसेना स्टाइल’ ‘राडा’ नहीं हुआ

 

उसी रात विपक्ष के नेता, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी से मुलाकात की और सरकार के बारे में घटी घटनाओं की जानकारी उन्हें दी। उन्होंने राज्यपाल महोदय से प्रार्थना की कि ठाकरे सरकार के बहुमत खोने के कारण विधानसभा में तुरंत बहुमत का परीक्षण हो। इसी विषय में कुल नौ निर्दलीय विधायकों ने भी राज्यपाल महोदय को पत्र लिख कर प्रार्थना की कि ठाकरे सरकार को बहुमत परीक्षण का आदेश दिया जाए। दूसरे दिन, यानी बुधवार 29 जून को राज्यपाल ने ठाकरे सरकार को आदेश दिया कि 30 जून शाम 5 बजे तक विधानसभा में बहुमत प्रस्ताव पारित किया जाए। तब विधानसभा के आपातकालीन अधिवेशन को निमंत्रित किया गया।

तुरंत ठाकरे सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर प्रार्थना की गई कि बहुमत परीक्षण पर रोक लगे। न्यायालय ने तीन घंटे की सुनवाई के बाद देर रात 9 बजे निर्णय दिया कि ठाकरे सरकार को बहुमत परीक्षण करना ही होगा। अगर विधायकों की सदस्यता रद्द होती है, तब ऐसी स्थिति में इस बहुमत परीक्षण का पुरावलोकन किया जा सकता है।

जैसे ही न्यायालय का यह निर्णय आया, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फेसबुक लाइव: के माध्यम से त्यागपत्र देने की घोषणा की और राज्यपाल महोदय से मिलकर उन्हे अपना त्यागपत्र सौंप दिया।

Topics: शिवाजी महाराजशिंदे नए मुख्यमंत्रीफडणवीस उपमुख्यमंत्रीहिंदू पदपादशाहीकेसरिया क्रांतिशिंदे गुट
ShareTweetSendShareSend
Previous News

ब्रिटेन में गहराया राजनीतिक संकट, दो दिन में छह मंत्रियों ने दिया इस्तीफा

Next News

शिवसेना में सांसदों को रोकने की कोशिश शुरू

संबंधित समाचार

वापस लाई जाएगी शिवाजी महाराज की “जगदंबा” तलवार

वापस लाई जाएगी शिवाजी महाराज की “जगदंबा” तलवार

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार ने हासिल किया विश्वास मत

शिवसेना के शिंदे गुट को तलवार और ढाल चुनाव चिह्न आवंटित

हिन्दू साम्राज्य दिवस : जन-जन के नायक शिवाजी महाराज

हिन्दू साम्राज्य दिवस : जन-जन के नायक शिवाजी महाराज

छत्रपति शिवाजी महाराज हिंदू साम्राज्य के निर्माता

छत्रपति शिवाजी महाराज हिंदू साम्राज्य के निर्माता

अपने विचार पर डट कर खड़े रहें

अपने विचार पर डट कर खड़े रहें

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

तिहाड़ से सत्येंद्र जैन का चौथा वीडियो आया सामने

ईडी ने सत्येंद्र जैन की जमानत का किया विरोध, कहा- गवाहों की जान को हो सकता है खतरा

श्रद्धा मर्डर केस : नार्को टेस्ट में सब राज उगलेगा आफताब, कोर्ट ने पुलिस को दिए ये आदेश

“आफताब खोज लेगा और मार देगा”, टुकड़ों में काटने की धमकी देता था, कोर्ट में चला श्रद्धा का वीडियो

महाराष्ट्र के बागी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत

रामसेतु मामले पर जल्द सुनवाई करेगा सु्प्रीम कोर्ट, राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की है मांग

दिल्ली की कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को 4 मार्च तक सीबीआई रिमांड पर भेजा

दिल्ली आबकारी नीति घोटालाः मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 3 अप्रैल तक बढ़ी

गृह मंत्रालय ने हर्ष मंदर के एनजीओ की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा

गृह मंत्रालय ने हर्ष मंदर के एनजीओ की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा

खालिस्तान समर्थकों ने ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका में भारतीय दूतावास को बनाया निशाना, अमृतपाल के समर्थकों ने की तोड़फोड़

खालिस्तान समर्थकों ने ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका में भारतीय दूतावास को बनाया निशाना, अमृतपाल के समर्थकों ने की तोड़फोड़

भारतीय परंपराओं के संरक्षण से ही संभव है प्रभावी जल संरक्षण

भारतीय परंपराओं के संरक्षण से ही संभव है प्रभावी जल संरक्षण

पंजाब: खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के पांच साथियों पर लगा एनएसए, चाचा को भेजा गया असम जेल

पंजाब: खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के पांच साथियों पर लगा एनएसए, चाचा को भेजा गया असम जेल

भतीजा गिरफ्तार, बुशरा बीबी के विरुद्ध जारी हुआ समन, ‘इमरान कांड’ में नया आयाम

भतीजा गिरफ्तार, बुशरा बीबी के विरुद्ध जारी हुआ समन, ‘इमरान कांड’ में नया आयाम

पछुवा देहरादून अतिक्रमण : सरकारी जमीन पर खड़े कर दिए मदरसे और मस्जिद, खुद हटाने के लिए प्रशासन ने दिया वक्त

पछुवा देहरादून अतिक्रमण : सरकारी जमीन पर खड़े कर दिए मदरसे और मस्जिद, खुद हटाने के लिए प्रशासन ने दिया वक्त

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

No Result
View All Result
  • होम
  • भारत
  • विश्व
  • जी20
  • सम्पादकीय
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • संघ
  • राज्य
  • Vocal4Local
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • बिजनेस
  • विज्ञान और तकनीक
  • खेल
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • साक्षात्कार
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • जीवनशैली
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • संविधान
  • पर्यावरण
  • ऑटो
  • लव जिहाद
  • श्रद्धांजलि
  • Subscribe
  • About Us
  • Contact Us
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies