आए दिन हम और आप देखते हैं कि कुछ लोग मेहनत नहीं करना चाहते हैं और वेतन में एकाध दिन देर हो जाए तो हंगामा करने लगते हैं। इस माहौल में बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित नीतीश्वर महाविद्यालय में हिंदी के सहायक अध्यापक डॉ. ललन कुमार एक नई रोशनी दिखाने का काम कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि डॉ. कुमार ने दो वर्ष नौ महीने का अपना वेतन बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ. आरके ठाकुर काे लौटा दिया है। उनके द्वारा लौटाई गई कुल राशि है 23,82,228 रु।
यह राशि उन्होंने यह कह कर लौटाई है कि वे इस दौरान छात्रों को पढ़ा नहीं सके। उनका कहना है कि हिंदी विभाग में 131 छात्रों का नामांकन है, लेकिन छात्र न के बराबर आते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वे पढ़ाने के लिए आते हैं, लेकिन छात्रों के न रहने से वे पढ़ा नहीं पाते हैं। उनका यह भी कहना है कि ऐसा खराब शैक्षणिक वातावरण होने के कारण हो रहा है। छात्र कॉलेज ही नहीं आते हैं। इसलिए उन्होंने अब तक वेतन के रूप में मिली राशि को लौटा दिया है।
बता दें कि इस महाविद्यालय में डॉ. ललन कुमार की नियुक्ति 25 सितंबर, 2019 को हुई थी। सितंबर, 2019 से मार्च, 2022 तक उन्हे जो भी वेतन मिला उसे लौटा दिया। जब उनके इस कदम की जानकारी विश्वविद्यालय के कुलसचिव को हुई तो उन्होंने पैसा वापस लेने से मना कर दिया, लेकिन डॉ. कुमार की जिद्द के आगे उन्हें झुकना पड़ा।
डाॅ. ललन कुमार ने यह भी कहा है, ”मैं नीतीश्वर महाविद्यालय में अपने अध्यापन कार्य के प्रति कृतज्ञ अनुभव नहीं कर पा रहा हूं। ऐसे में वेतन लेना अनैतिक है। इसलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बताए ज्ञान और अंतरात्मा की आवाज पर नियुक्ति की तिथि से अब तक के पूरे वेतन की राशि विश्वविद्यालय काे समर्पित करता हूं।”
डॉ. ललन कुमार वैशाली के रहने वाले हैं और एक किसान परिवार से हैं। बिहार से बारहवीं करने के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वे अध्यापन में लग गए। अब उन्होंने ऐसे लोगों को एक राह दिखाने का प्रयास किया है, जो मेहनत के बिना पैसा कमाना चाहते हैं।
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