दस साल की बलात्कार पीड़ित बच्ची पर महिला जज के अमानवीय फैसले से ब्राजील में जबरदस्त आक्रोश

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WEB DESK

अमेरिका में गर्भपात को गैरकानूनी ठहराने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विरुद्ध वहां एक जबरदस्त बहस छिड़ी है कि यह महिलाओं के अधिकार का हनन है। इसके विरुद्ध महिला संगठन सड़कों पर हैं और गर्भपात का अधिकार वापस पाने को संघर्ष कर रही हैं। इस बीच ब्राजील से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है।

ब्राजील में दस साल की एक बलात्कार पीड़ित बच्ची को इस कानून का दंश भोगने को विवश होना पड़ा है। अदालत की जज ने बलात्कार पीड़ित उस बच्ची के गर्भपात की अनुमति न देते हुए उसे उसके माता—पिता से दूर शेल्टर होम में भेज दिया है।

ब्राजील में इस मामले पर लोग आक्रोश में हैं, वे पूछ रहे हैं कि भला उस बच्ची का क्या कसूर है। हैरानी की बात यह भी है कि इस केस की सुनवाई एक महिला जज ने ही की है। लेकिन उसी ने फैसला सुनाते हुए उस बेचारी किस्मत की मारी पीड़ित बच्ची को उसके घर वालों से अलग करके शेल्टर होम में भेज दिया है। वजह ये कि कहीं बच्ची घर में रही तो गर्भपात के लिए ‘कोई बड़ा कदम उठा सकती है, इसलिए उसे शेल्टर होम भेजना ठीक रहेगा’। मीडिया में आए समाचारों के अनुसार, बच्ची के घर पर ही उसका बलात्कार किया गया था। पुलिस ने आरोपी की पहचान उजागर नहीं की है।

महिला जज के ऐसे ‘संवेदनशून्य’ फैसले को लेकर ब्राजील में हंगामा मचा है। अनेक मानवाधिकार संगठन और कार्यकर्ता तथा अनके एनजीओ संगठन अदालत के विरुद्ध आवाज उठा रहे हैं, विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर इस मामले ने एक जबरदस्त बहस छेड़ दी है।

अमेरिका के मशहूर दैनिक द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट है कि ब्राजील केस की जज रिबेरो जिमर ने पीड़िता बच्ची से गर्भपात न कराने की अपील की तो फैसले के बाद सरकारी वकील ने कहा कि अगर पीड़िता बच्ची चाहे तो गर्भपात की बजाय उस बच्चे को आगे गोद दे सकती हैं।

ऐसे अटपटे फैसले का पता चलते ही आम लोग गुस्से से भरे पड़े हैं। कई जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं। लोग सवाल उठा रहे हैं कि जिस दरिंदे ने उस बच्ची को इस हालत में पहुंचाया उसे जो सजा होगी सो होगी, लेकिन इस बच्ची का जीवन क्यों बर्बाद किया जा रहा है।

ब्राजील का कानून कहता है कि सिर्फ बलात्कार अथवा किसी गंभीर भ्रूण समस्या को झेल रही महिला ही गर्भधारण के 20 हफ्ते तक गर्भपात करा सकती है। गर्भपात के संदर्भ में अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद पश्चिमी जगत में एक बहस शुरू हो गई है। गत 24 जून को अमेरिका के सबसे बड़े न्यायालय ने 50 साल पुराने पुराने ‘रो बनाम वेड’ निर्णय को पलटते हुए गर्भपात की संवैधानिक सुरक्षा समाप्त कर दी थी। इस फैसले के विरुद्ध अमेरिका के अनेक शहरों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं।

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