दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने फैक्ट चेक से जुड़ी वेबसाइट आल्ट न्यूज के संस्थापक मोहम्मद जुबैर की जमानत याचिका खारिज करते हुए उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट स्निग्धा सरवरिया ने ये फैसला सुनाया। इससे पहले आज कोर्ट ने जुबैर की जमानत याचिका और दिल्ली पुलिस की 14 दिनों की न्यायिक हिरासत की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान जुबैर की ओर से पेश वकील वृंदा ग्रोवर ने कोर्ट को उन इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की सूची बताई, जो जब्त किए गए थे। उन्होंने कहा कि अभी तक साइबर क्राइम विभाग ने उन डिवाइस का प्रतिरूप (क्लोन) तैयार नहीं किया। तब दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर पेश वकील अतुल श्रीवास्तव ने कहा कि जुबैर स्पेशल सेल के दफ्तर फोन के साथ आया था। जब फोन का परीक्षण किया गया तो पाया गया कि एक दिन पहले वो दूसरा सिम इस्तेमाल कर रहा था। उसे जब नोटिस मिला तो उसने वो सिम निकाल लिया और नये मोबाइल में डाल दिया। जांच अभी अहम मोड़ पर है। अतुल श्रीवास्तव ने एफसीआरए की धारा 35 का जिक्र करते हुए कहा कि अगर आप विदेश के किसी व्यक्ति से चंदा लेते हैं तो आप इस कानून का उल्लंघन करते हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि जुबैर ने रेजर गेटवे के जरिये पाकिस्तान, सीरिया इत्यादि से धन हासिल किया। अभी इसकी जांच चल रही है। हमें आगे और हिरासत की जरूरत पड़ सकती है।
वृंदा ग्रोवर ने कहा कि पूरी प्रक्रिया गलत है। ये मामला अभियोजन के लायक नहीं है। पहले धारा 153ए और 295 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। क्या मोबाइल फोन का सिम कार्ड बदलना अपराध है। क्या फोन को फार्मेट करना अपराध है। क्या चालाक होना अपराध है। ग्रोवर ने कहा कि स्पेशल सेल ने कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है। स्पेशल सेल जनवरी 2022 में खरीदे गए फोन की टैक्स रसीद ले ली। क्या फोन खरीदने की मनाही है। यह किस तरीके से संदेहास्पद हो गया। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक डाटा का परीक्षण जरूर होना चाहिए लेकिन वो कानून के मुताबिक होने चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से छेड़छाड़ और बदलाव किया जा सकता है। ग्रोवर ने कहा कि जुबैर को बुलाया गया दूसरे मामले में और गिरफ्तार किया गया किसी दूसरे मामले में। स्पेशल सेल की जांच दुर्भावनापूर्ण है। इस पर कोर्ट को गौर करना चाहिए। शिकायत किसी गुमनाम ट्विटर अकाउंट से की गई। उन्होंने जुबैर को जमानत देने की मांग की।
आज जुबैर की पुलिस हिरासत खत्म हो रही थी, जिसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जुबैर के खिलाफ नई धाराएं जोड़ी हैं। स्पेशल सेल ने जुबैर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 201 और एफसीआरए की धारा 35 की धाराओं को भी जोड़ा है।
28 जून को कोर्ट ने जुबैर को आज तक की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया था। जुबैर को 27 जून को गिरफ्तार किया गया था। जुबैर ने पुलिस हिरासत के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया था। 1 जुलाई को जुबैर की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया था। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था।
दिल्ली पुलिस ने कहा था कि आजकल फेमस होने के लिए धार्मिक विरोध का ट्रेंड बन गया है। दिल्ली पुलिस ने कहा था कि आरोपित के मोबाइल से सारे ऐप डिलीट कर दिए गए हैं। ये खाली फोन लेकर आए थे। तब ग्रोवर ने कहा था कि ये दूसरा केस है वो दूसरा था। हर केस में आरोपित को सुरक्षा मिली हुई है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस अगर आरोप लगा रही है तो उसे बताएं।
दिल्ली पुलिस ने कहा था कि शिकायतकर्ता महज एक सूचनाकर्ता है। वो अनाम नहीं है। उसका पूरा डिटेल मौजूद है। बिना डिटेल के कोई ट्विटर अकाउंट नहीं चला सकता है। दिल्ली पुलिस ने कहा कि उसे लैपटॉप और वो उपकरण रिकवर करना है, जहां से ये पोस्ट की गई है। आरोपित जांच में सहयोग नहीं कर रहा है। इसलिए पुलिस को पूछताछ के लिए पांच दिनों की रिमांड दी जाए।
पुलिस के मुताबिक जुबैर को 27 जून को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। पूछताछ के बाद 27 जून की शाम को जुबैर को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके बाद रात में ही ड्यूटी मजिस्ट्रेट के बुराड़ी स्थित आवास पर पेश किया गया था, जहां ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया था।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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