इस वर्ष के बजट सत्र से बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने नियम बनाया है कि विधानसभा के सत्र का प्रारंभ राष्ट्रगान और समापन राष्ट्रगीत से होगा। कल यानी 30 जून को ग्रीष्मकालीन सत्र का समापन था। इसलिए इस सत्र के अंत में राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम्’ का गायन हुआ, लेकिन राजद के विधायक सउद आलम अपने स्थान पर बैठे रहे। आलम मुस्लिम—बहुल जिले किशनगंज के ठाकुरगंज विधानसभा का प्रतिनिधित्व करते हैं।
सदन से बाहर निकलने पर जब आलम से पत्रकारों ने पूछा कि ‘वंदे मातरम्’ के दौरान वे खड़े क्यों नहीं हुए! इस पर उन्होंने कहा कि यह हिंदू राष्ट्र नहीं है। इतना कहकर वे तेजी से निकल गए। इसके बावजूद पत्रकारों ने उनका पीछा किया, लेकिन वे कोई उत्तर दिए बिना चलते बने।
आलम की इस हरकत पर सबसे पहले लालगंज से भाजपा विधायक संजय कुमार सिंह का ध्यान गया। उन्हें लगा कि सउद आलम गलती से बैठे रह गए हैं। इसलिए उन्होंने उन्हें खड़े होने के लिए इशारा किया। इसके बाद भी सउद आलम खड़े नहीं हुए।
ऐसी बात नहीं है कि इस मानसकिता से ग्रसित केवल सउद आलम ही हैं। इससे पहले भी वंदे मातरम् को लेकर AIMIM के मुखतारुल ईमान ने सदन का बहिष्कार किया था।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सउद आलम का यह तेवर शायद इसलिए देखने को मिल रहा है कि हाल ही में AIMIM के पांच विधायकों में से चार ने राजद का दामन थाम लिया है। उन्हें राजद में शामिल कराने में सउद की बड़ी भूमिका मानी जाती है। इसलिए अब उन्हें लग रहा है कि राजद में उनका कद बढ़ गया है और इस नाते वे कुछ भी कर सकते हैं, क्योंकि राजद नेतृत्व इन मामलों में उनसे कुछ भी नहीं कहेगा।
दरअसल, विधानसभा के पिछले चुनाव में राजद को पूर्णिया प्रमंडल में सिर्फ ठाकुरगंज की ही सीट पर जीत मिली थी। पहले इस प्रमंडल के कटिहार, अररिया, किशनगंज और पूर्णिया जिले में राजद की अच्छी पकड़ थी। मुसलमान खुलकर राजद के साथ खड़े होते थे, लेकिन 2020 के चुनाव में इस क्षेत्र के मुस्लिम मतदाता ओवैसी की पार्टी AIMIM की ओर चले गए थे। इस कारण इस क्षेत्र की पांच सीटों में AIMIM को सफलता मिली थी। AIMIM की इस सफलता से सबसे अधिक परेशान राजद नेतृत्व यानी लालू यादव का कुनबा परेशान था। इसलिए यह कुनबा काफी समय से AIMIM को तोड़ना चाहता था और उसे सफलता भी मिली।
शायद सउद मान रहे हैं कि इस सफलता के पीछे वही हैं और इस कारण उनका दुस्साहस इस कदर बढ़ गया है कि वे भारत का ही अपमान करने लगे हैं। यह सोच किसी जहर से कम नहीं है। समय रहते इस सोच को खत्म नहीं किया गया तो आने वाले समय में ऐसे लोगों की बाढ़ आ सकती है।
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