लाहौर उच्च न्यायालय ने कल एक ऐसा फैसला सुनाया है कि सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग की चूलें डगमगाती नजर आने लगी हैं। शाहबाज शरीफ के पुत्र पंजाब के मुख्यमंत्री हमजा शाहबाज का चुनाव रद्द करने का फैसला सुनाकर जहां उच्च न्यायालय ने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीके इंसाफ के खेमे में जोश का संचार कर दिया तो वहीं प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के खेमे में अफसोस का आलम बना दिया।
शाहबाज के दुलारे हमजा का अब क्या होगा, इस्लामाबाद में यही सवाल कल से सबकी जबान पर छाया हुआ है। मुस्लिम लीगियों को इस फैसले से ऐसा सदमा लगा कि प्रधानमंत्री शाहबाज फौरन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेताओं से रूबरू हुए और किसी तरह मामला निपटाने की जुगत तलाशने को कहा।
पाकिस्तान के मशहूर अंग्रेजी दैनिक द डॉन ने इस मामले पर रिपोर्ट प्रकाशित की है। रिपोर्ट में फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में चल रही उथलपुथल का खाका खींचा गया है। दरअसल पंजाब सूबे में हाल ही में पुत्र मोह ग्रस्त शाहबाज द्वारा अपने लाड़ले को मुख्यमंत्री बनाया गया था। तलवारें उस वक्त भी खिंची थीं, पार्टी के बड़े वाले नेता शाहबाज से जबानी उलझे भी थे। लेकिन चली शाहबाज की ही, और हमजा को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिली। अब सारा दारोमदार वहां फिर से संभावित मतगणना पर टिका है।
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी की याचिका पर अदालत का यह फैसला आया है। लाहौर उच्च न्यायालय में यह याचिका पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार के विरुद्ध दायर की गई थी। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उच्च न्यायालय का हमजा का चुनाव रद्द करने का यह निर्णय बेशक शाहबाज सरकार के लिए एक बहुत बड़ा सियासी झटका माना जा रहा है।
इस फैसले के बाने के बाद, शाहबाज शरीफ ने पीपीपी के अध्यक्ष तथा विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के साथ पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के दरवाजे पर दस्तक दी। सूत्रों ने बताया कि शाहबाज ने उनसे वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति पर विस्तार से चर्चा की है। बताया गया कि इस चर्चा में पीएमएल-एन के कुछ दूसरे वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।
इस चर्चा के बाद, पीपीपी की तरफ से बयान दिया गया कि बैठक में लाहौर उच्च न्यायालय के फैसले पर मंथन किया गया। बैठक में सभी नेताओं ने निर्णय पर सहमति जताते हुए इस विषय पर गौर किया कि पंजाब विधानसभा में आगे होने वाली मतगणना में क्या कदम उठाया जाए जिससे कि ‘पीटीआई के असंतुष्ट सांसदों के वोट न गिने जाएं’। हालांकि पाकिस्तान के संविधान में इसके लिए कोई प्रावधान नहीं है।
पीपीपी की तरफ से मुख्यमंत्री हमजा के प्रति समर्थन जताते हुए कहा गया है कि उम्मीद है वह वोटों की फिर से होने वाली गिनती में जीत दर्ज कराएंगे। इससे पहले शाहबाज शरीफ ने अपने सहयोगी दलों के बड़े नेताओं के साथ अलग से बैठक करके हालात पर विचार किया था। उनसे मिलने वाले नेताओं में बलूचिस्तान आवामी पार्टी के अध्यक्ष खालिद मग्सी, पीएमएल-क्यू के नेता चौधरी सलीक हुसैन तथा असलम भूटानी शामिल हैं।
टिप्पणियाँ