विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी सांध्य महाविद्यालय के सभागार में राष्ट्रोक्ति वेबपोर्टल ,पर्वतीय लोकविकास समितिऔर ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की ओर से एक राष्ट्रीय संगोष्ठी और सम्मान अर्पण समारोह का आयोजन किया गया । गोष्ठी का विषय था -“विश्वगुरु भारत : उद्यमिता से सिद्धि । ” समारोह के अतिविशिष्ट अतिथियों में पंजाब केसरी दैनिक की निदेशक और वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा,वरिष्ठ साहित्यकार और जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. महेंद्र पाल शर्मा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पर्यावरण गतिविधि से जुड़े वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री मल्लिकार्जुन । वक्ताओं के पैनल में वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव,भारतीय जनसंचार संस्थान ,नई दिल्ली के डीन प्रो. गोविंद सिंह और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एडवोकेट नवीन कुमार जग्गी । समारोह का प्रारंभ आचार्य मोहन भट्ट,महावीर नैनवाल और आचार्य रमेश भट्ट द्वारा प्रस्तुत गायत्री मंत्र और वैदिक मंगलाचारण के साथ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। कॉलेज के थींम सॉन्ग के बाद महाविद्यालय की छात्रा कुमारी आकांक्षा ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
पीजीडीएवी सांध्य महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो रवींद्र कुमार गुप्ता ने स्वागत वक्तव्य के साथ “विश्वगुरु भारत : उद्यमिता से सिद्धि” विषय पर राष्ट्रीय गोष्ठी का विषय प्रवर्तन किया। समारोह की अतिविशिष्ट अतिथि पंजाब केसरी दैनिक की निदेशक और वरिष्ठ नागरिक केसरी क्लब की चेयरपर्सन श्रीमती किरण चोपड़ा ने कहा कि भारत विश्वगुरू था ,है और भविष्य में भी रहेगा। आज आदिवासी क्षेत्र से पाठशाला से वंचित एक महिला शिक्षिका बनकर,पंचायत चुनाव जीतकर,विधानसभा में प्रतिनिधि बनकर राज्यपाल बनती हैं और फिर देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति के लिए नामांकित हो रही हैं तो यह नए भारत के विश्वगुरु होने का ही तो संकेत है।
गोष्ठी के विषय पर अपना बीज वक्तव्य रखते हुए वरिष्ठ पत्रकार श्री राहुल देव ने कहा कि यह महत्त्वपूर्ण विषय है। भारत का भविष्य बनाने वाला युवा श्रोता यहाँ मौजूद है ,हम लोग अब भविष्य नहीं,अतीत हैं ।वास्तव में तो विश्व गुरु की जो कल्पना है उसमें उद्यमिता उतनी नहीं जितना कि ज्ञान आता है , सिद्धि साधना से ही आती है ।ज्ञान में भी उद्यम होता है, उद्योग होता है ,जीसे अध्यवसाय कहते हैं ,ज्ञान के लिए साधना और समृद्धि के लिए उद्यमिता बहुत आवश्यक है। स्वामी विवेकानंद और श्री अरविंद का विचार हमें आत्मविश्वास से भरता है। श्री अरविंद ने 1947 में ,15 अगस्त को अपने जन्मदिवस पर पांच सपनों की बात की थी। उनकी स्पष्ट मान्यता थी कि भारत केवल अपने आध्यात्मिक ज्ञान के कारण पुनः विश्व में प्रतिष्ठा को प्राप्त होगा। उनका जो अंतिम संदेश है भारत के लिए उसको हमको बार -बार पढ़ना चाहिए।,श्री अरविंद ने पिछले 300 वर्ष पूर्व के भारत में जो मनस्वी,सिद्ध,आध्यात्मिक विभूतियां,चिंतक और दार्शनिक हुए वैश्विक चेतना और मानवीय चेतना का जितना बड़ा महत्त्वाकांक्षी और भविष्य का चित्र अंकित किया। उनका स्पष्ट विचार था कि उस महद चेतना (super Mind ) का अवतरण होगा इस धरती पर,हमें अपनी चेतना का विकास करके उस तक पहुंचना है,तब मनुष्य दैवीय चेतना से युक्त बन जायेगा।
निश्चित रूप से हमारा अतीत अद्वितीय रूप से गौरवशाली रहा है ,इस पर कोई विवाद नहीं है।हम जानते हैं कि इस सृष्टि में उत्थान और पतन का एक चक्र क्रमशः चलता रहता है। कोई भी चीज अनंत काल के लिए एक ही स्थिति में टिकी नहीं रहती। हम आर्थिक और भौतिक,लौकिक-अलौकिक,पार्थिव और आध्यात्मिक सब प्रकार की शक्तियों से पूर्ण थे,ज्ञान विज्ञान की प्रथम वैश्विक लहर भारत से ही निकली। शून्य,गणित,खगोल शास्त्र,धातु विज्ञान,आयुर्वेद,योग और बहुत सारे ऐसे क्षेत्र हैं जहां हम अग्रणी रहे। लेकिन ये भी सच है कि भारत जब आक्रांत नहीं था तब भी अंतर्मुखी हो गया था। भविष्य की नींव वर्तमान पर ही रखी जाती है ,सपनों पर नहीं। भारत के सामने अभी ज्ञान ग्रहण और ज्ञान निर्माण की चुनौती है। हमें एक सशक्त,समर्थ और समृद्ध राष्ट्र बनाना है तो ज्ञान, विज्ञान, अर्थशास्त्र, भौतिकी, आर्थिकी, तकनीकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर जोर देना होगा और ऐसे प्रयास हो रहे हैं। आज हमारी सारी भाषाएं बहुत संकट में हैं, 60 या 70 करोड़ लोगों वाली हिंदी भी अजर अमर नहीं रहेगी, हमारे पास केवल दो पीढ़ियों का समय है। भारत की गुरूता,भारत की श्रेष्ठता और उसका भारतीयत्व तो संस्कृत आदि इन्हीं भाषाओं में निहित है। जब हमारे बच्चों के बच्चे न रामचरित मानस पढ़ पाएंगे, न महाभारत, न गीता, न सुर, कबीर, प्रेमचंद या आज जो लिखा जा रहा है वो, तो फिर कैसा भारत बनेगा। भारत की असली प्रगति की पहली शर्त यही है कि जब हर भारतीय को उसकी अपनी भाषा में काम करने का मौका मिलेगा।प्राथमिक कक्षा से लेकर उच्चतर स्तर तक भारतीय भाषाओं को केंद्र में रखा जाए। बहुत सारी चीजें हो भी रही हैं,नई शिक्षा नीति में सारी भाषाएं केंद्र में रखी गई है ।इंजीनियरिंग में 8 भारतीय भाषाओं में प्रथम वर्ष के लिए 250 किताबें तैयार की गई हैं । एनआईटी, आईआईटी और मेडिकल के साथ ही कानून, मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में होना शुभ संकेत है ।अपनी भाषाओं को पढ़ाइए,उनको बढ़ाइए,ज्ञान की सिद्धि से हमारी अपनी भाषाओं के समृद्धि बढ़ेगी।
विचार गोष्ठी के विषय पर अपना पक्ष रखते हुए प्राचार्य प्रो.रवींद्र कुमार गुप्ता ने कहा कि आज से 7-8 वर्ष पूर्व पीछे झांकने पर हम देखते हैं ,तब भी सेमिनार होते थे,गोष्ठियां होती थीं इसी तरह लेकिन उस समय इस प्रकार के विषय नहीं होते थे। उस समय ये बात तो होती थी कि भारत विश्वगुरू था,लेकिन विश्वगुरु की ओर बढ़ने की बात तो दूर ये देश कभी नहीं सुधर सकता,यहां का कुछ नही हो सकता,दीमक लग गया है,भगवान भी आ जाए ऊपर से तब भी इस देश का कुछ नहीं हो सकता,ऐसी बातें होती थीं।आज हम कह रहे हैं भारत विश्व गुरूता की ओर बढ़ रहा है,हमारा मानस ही बदल गया है। हमारे अंदर जो निराशा की भावना थी,वह आशा में बदल गई है, Mind set बदल गया है,हमारे सोचने की ,चिंतन की दशा बदल गई है,आशा की किरण के साथ Intellectual Imperialism समाप्ति की ओर है।
हम आज देख रहे हैं कि विश्व गुरु कोई Political concept नहीं कि सारी दुनिया पर हमारा राज होगा ,जैसे ब्रिटिश साम्राज्य का सूर्यास्त नहीं होगा इस तरह,सैन्यशक्ति बनकर हम सबको दताएंगे अथवा अमेरिका की तरह पैसे के बल पर आर्थिक प्रभुता दिखाएंगे। न संपत्ति के बल पर, न सैन्य शक्ति और न ही आर्थिक शक्ति इसका मानक है। विश्वगुरु के मायने ये हैं कि अपना भारत देश पहले सभी मामलों में और आयामों में आत्मनिर्भर हो। दुनिया संकट के समय भारत से मार्ग पूछे,समाधान पूछे ,यही विश्वगुरु होना है। ऐसा धीरे धीरे ही होगा,जो सिद्धि होनी है वह होगी उद्यमिता से ही।इसी से यह स्थिति आ रही है। रूस और यूक्रेन में युद्ध हो रहा है,अनेक देश कह रहे हैं कि यदि यह लड़ाई रुक सकती है तो भारत के रोकने से। जब वहां भारतीय बच्चे फंसे थे तो ऑपरेशन गंगा के माध्यम से इनको सुरक्षित निकलवाने के लिए दोनों ही देशों ने चार घंटे युद्ध रोककर एक सुरक्षित कोरिडोर उपलब्ध करवाया। गोष्ठी में अतिविशिष्ट अतिथि जामिया मिल्लिया विश्व उद्यालत के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो.महेंद्र पाल शर्मा,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पर्यावरण गतिविधि से जुड़े श्री मल्लिकार्जुन सहित विशिष्ट वक्ता भारतीय जनसंचार संस्थान के डीन प्रो.गोविंद सिंह ने भी अपने विचार रखे। दोनों ही देश हमारी बात मान लें ,यह असभव बात थी,तो क्या यह विश्वगुरु होना नहीं है। संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए शीर्ष शिक्षाविद,प्रशासक,मीडिया विशेषज्ञ और हरियाणा उच्चतर शिक्षा आयोग के अध्यक्ष प्रो.बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि भारत बुलेट ट्रेन की गति से विश्वगुरु बनने की ओर बढ़ रहा है।
पर्वतीय लोकविकास समिति की ओर से जिन विभूतियों को राष्ट्र गौरव सम्मान प्रदान किया गया उनमें पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी और नरसिम्हा राव के निजी सचिव रहें श्री ख्यालीराम पांडेय,कानूनविद एडवोकेट नवीन कुमार जग्गी,शिक्षाविद और पीजीडीएवी महाविद्यालय सांध्य के प्राचार्य प्रो.रवींद्र कुमार गुप्ता ,शिक्षाविद और लेखिका प्रो.मालती घाड़गे प्रमुख हैं। दिल्ली गौरव से सम्मानित लोगों में राष्ट्रपति के विशेष कार्याधिकारी राकेश दुबे, सामाजिक कार्यकर्त्री और ऋतम डिजिटल नेटवर्क की निदेशक वृंदा खन्ना, वरिष्ठ पत्रकार और संसद टीवी के एंकर मनोज वर्मा, वरिष्ठ स्तंभकार और लेखिका सर्जना शर्मा, शिक्षाविद डॉ.अर्जुन चौधरी आदि सम्मिलित हैं। राष्ट्रोक्ति वेब पोर्टल की ओर से वरिष्ठ इतिहासकार और लिपिकार नरेंद्र पिपलानी को देवेंद्र स्वरूप स्मृति सम्मान, शीर्ष कवि और गगनांचल के संपादक आशीष कंधवे और प्रसिद्ध कवि,साहित्यमृत के संयुक्त संपादक और डीयू के श्यामलाल कॉलेज के प्राचार्य प्रो.हेमंत कुकरेती को विद्यानिवास मिश्र स्मृति सम्मान, प्रदान किया गया। अतिथियों और सम्मानित विभूतियों का स्वागत पर्वतीय लोकविकास समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री वीरेंद्र दत्त सेमवाल ने और धन्यवाद ज्ञापन ऑथर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के महासचिव प्रो.शिव शंकर अवस्थी ने किया। समारोह का संचालन प्रो.सूर्य प्रकाश सेमवाल ने किया।
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