जम्मू-कश्मीर में जी-20 की प्रस्तावित बैठक पर चिढ़े चीन ने कहा, मुद्दे को राजनीतिक रंग न दें
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जम्मू-कश्मीर में जी-20 की प्रस्तावित बैठक पर चिढ़े चीन ने कहा, मुद्दे को राजनीतिक रंग न दें

पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर में ड्रैगन की चल रही सीपीईसी परियोजना को लेकर उठे प्रश्न पर प्रवक्ता ने काटी कन्नी

Alok Goswami by Alok Goswami
Jul 1, 2022, 12:00 pm IST
in विश्व
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

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आखिरकार चीन ने जम्मू कश्मीर में होने जा रही जी-20 की आगामी बैठक पर पाकिस्तान की ही तर्ज पर या कहें उसे शह देते हुए आंखें तरेरी हैं। लेकिन ऐसा करते हुए, बीजिंग ने संभले शब्दों में जम्मू कश्मीर को द्विपक्षीय मुद्दा भी बताया जिसमें किसी तीसरे देश की दखल नहीं है।

चीन के विदेश विभाग का कहना है कि इस मुद्दे से जुड़े दोनों पक्षों को कोई एकतरफा कदम न उठाते हुए, मामले को और उलझाने से बचना चाहिए। यानी बीजिंग को इस बात पर एतराज है कि भारत अपने ‘अभिन्न अंग’ जम्मू कश्मीर पर बैठक आयोजित करने का फैसला ‘अकेले’ नहीं ले सकता। अगली ही सांस में चीन के विदेश विभाग के प्रवक्ता ने यह भी जोड़ा कि हमें वार्ता तथा संवाद से विवादों को निपटाना होगा, साथ मिलकर शांति और स्थिरता लानी होगी। लेकिन इस मौके पर पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर में ड्रैगन की चल रही सीपीईसी परियोजना को लेकर उठे प्रश्न पर प्रवक्ता कन्नी काट गए।

सीपीईसी परियोजना के तहत ‘विकसित’ हो रहा ग्वादर बंदरगाह

चीन ने जम्मू कश्मीर में होने जा रही जी-20 की बैठक को लेकर शिकायत करते हुए कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र का ही राग दोहराया। ड्रैगन ने अपने पिछलग्गू देश पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाया और कहा कि दोनों पक्ष इसे मुद्दे को राजनीतिक रंग न देें। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाउ लिजियान ने उक्त बयान कल एक प्रेस कांफ्रेंस में दिया।

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चीनी प्रवक्ता ने कहा कि हमने इस मुद्दे से जुड़े सभी विषयों पर गौर किया है। कश्मीर पर हमारा मत साफ और सतत रहा है। यह मुद्दा भारत तथा पाकिस्तान के बीच पहले से चला आ रहा है। इसका हल भी संयुक्त राष्ट्र के इस विषय पर आए प्रस्तावों तथा आपसी सहमति के हिसाब से निकालना होगा।

चीनी प्रवक्ता का कहना है कि जी-20 वैश्विक आर्थिक सहयोग का एक प्रमुख मंच है। इसलिए हम संबंधित पक्षों से कहना चाहते हैं कि आर्थिक विकास पर ध्यान दें, इस मुद्दे को राजनीतिक रंग न दें।

उल्लेखनीय है कि चीन पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू कश्मीर (पीओजेके) में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे पर काम कर रहा है जबकि भारत ने उसकी इस हरकत पर आपत्ति भी जताई है। इसलिए इस पर सवाल पूछा जाना तो बनता था, लेकिन चीनी प्रवक्ता ने इस विषय पर टालमटोल की नीति अपनाई। उन्होंने कहा कि ये दोनों विषय आपस में बिल्कुल अलग तरह के हैं। इस विषय में प्रवक्ता ने आगे कहा कि कुछ परियोजनाएं ‘कश्मीर के उस हिस्से में हैं जो पाकिस्तान के नियंत्रण में है’। लेकिन तो भी कश्मीर पर हमारा मत नहीं बदला है। हमने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने और स्थानीय निवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने वाली परियोजनाएं चलाई हैं।

पीओजेके में सीपीईसी परियोजना के विरुद्ध सड़कों पर उतरते रहे हैं स्थानीय निवासी (फाइल चित्र)

यह बीजिंग की ओर से बोला गया सफेद झूठ ही है, क्योंकि सीपीईसी से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलना तो दूर रहा, उन पर पाकिस्तान सरकार के अत्याचार और बढ़ गए हैं। उस क्षेत्र में आएदिन इसे लेकर प्रदर्शन होते रहे हैं। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस क्षेत्र पर चीन का शिकंजा कसता जा रहा है और स्थानीय लोगों को बुनियादी सुविधाएं तक उपलब्ध नहीं हैं।

भारत की तरफ से जम्मू कश्मीर उमें 2023 में जी-20 की बैठक प्रस्तावित है। जम्मू कश्मीर के प्रशासन ने इस बैठक की तैयारी के समन्वय के लिए पांच सदस्यों वाली एक उच्चस्तरीय समिति बना दी है। उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद यह प्रस्तावित बैठक पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठक होगी।

Alok Goswami
Journalist at Bahrat Prakashan | Website

A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth  of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.

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