वेब सीरीज में महिलाओं का अपमान
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

वेब सीरीज में महिलाओं का अपमान

हाल के दिनों में ओटीटी पर कई वेब सीरीज प्रदर्शित हुई हैं, जिनमें महिलाओं की गलत छवि का चित्रण करके उनका अपमान किया गया

by सोनाली मिश्रा
Jul 1, 2022, 08:01 am IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

हाल के दिनों में ओटीटी पर कई वेब सीरीज प्रदर्शित हुई हैं, जिनमें महिलाओं की गलत छवि का चित्रण करके उनका अपमान किया गया है। ऐसे ही कई फिल्मों में भी महिलाओं को लेकर घटिया बातें की गई हैं

कहा जाता है कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। समय के साथ यह कहा गया कि सिनेमा समाज का दर्पण है। अब इसका स्थान आवर दी टाप (ओटीटी) पर आने वाली वेब सीरीज ने ले लिया है। ये वेब सीरीज समाज की स्थिति को प्रतिबिम्बित करती हैं। कई वेब सीरीज ऐसी आई हैं, जिनके विषय में यह कहा गया कि ये महिला केंद्रित हैं और महिलाओं के लिए ही हैं। महिलाओं को लेकर लिखी गयी या बनाई गयी वेब सीरीज ने महिलाओं की कामुक और लालची छवि को ही प्रस्तुत किया है।

सबसे अधिक दु:ख की बात यह है कि साड़ी वाली महिलाओं का और चालीस के पार वाली हिन्दू स्त्रियों का चित्रण अत्यंत ही भद्दा एवं कामुक रूप में किया है कि जैसे इनके जीवन में स्नेह, वात्सल्य आदि का विलोप होकर मात्र प्रेम एवं वासना ही शेष है। ऐसे में डॉ. एन. ई. विश्वनाथ अय्यर की अनुवाद की यह परिभाषा ध्यान में आती है कि अनुवाद की प्राविधि एक भाषा से दूसरी भाषा में रूपांतरण करने तक ही सीमित नहीं है। एक भाषा के एक रूप के कथ्य को दूसरे रूप में प्रस्तुत करना भी अनुवाद है। छंद में बताई गयी बात को गद्य में उतारना भी अनुवाद है। इसे आज आगे बढ़ाते हुए कहा जाए कि यह समाज की स्त्रियों की छवि का भी अनुवाद है और यह अनुवाद कर रही हैं ओटीटी सीरीज।

कुछ समय पहले एक वेब सीरीज आई थी ‘तांडव!’ वैसे तो इसका विरोध इस कारण हुआ था कि उसमें महादेव का अपमान किया गया था, परन्तु एक बहुत बड़ी बात जिसके कारण इसका विरोध किया जाना चाहिए था, वह था इसमें दिखाई गयी महिलाओं की स्थिति। यह सीरीज राजनीतिक ड्रामा थी, जिसमें कथित रूप से राजनीति के दांवपेंच थे। फिर भी उसमें स्त्रियों को राजनीति में कैसे दिखाया गया था, वह देखना महत्वपूर्ण था।

 

सबसे अधिक दु:ख की बात यह है कि साड़ी पहनने वाली महिलाओं का और चालीस के पार वाली हिन्दू स्त्रियों का चित्रण अत्यंत ही भद्दा एवं कामुक है कि जैसे इनके जीवन में स्नेह, वात्सल्य आदि का विलोप होकर मात्र प्रेम एवं वासना ही शेष हो।

राजनीति में महिलाएं क्या सार्थक भूमिका निभा सकती हैं या क्या नीतिगत निर्णय ले सकती हैं, यह समस्त परिदृश्य से गायब था। ऐसे ही संध्या मृदुल का जो चरित्र है उसे भी दो पुरुषों के बीच झूलता हुआ दिखाया गया था, एवं छात्र नेता की आकांक्षा लिए हुए सना के चरित्र को तो बार-बार पुरुष देह का ही शिकार दिखाया था।
इस वेब सीरीज में यदि किसी पर विरोध सबसे अधिक होना चाहिए था तो वह था राजनीति जैसे महत्वपूर्ण विषय पर महिलाओं की गलत छवि के चित्रण का! परन्तु छोटी से छोटी निरर्थक बात पर पितृसत्ता का विरोध करने का दावा करने वाली नारीवादी स्त्रियां पूरी तरह से इस प्रकार के अपमान पर मौन थीं। इस पूरी वेब सीरीज में महिलाएं ऐसी दिखाई गई थीं कि वह पुरुषों की देह का सहारा लेकर ही राजनीति में आगे बढ़ती हैं। उनकी अपनी बुद्धि आदि नहीं होती। यह महिलाओं का अपमान था, परन्तु इस पर शोर नहीं हुआ।

अपशब्दों को ही क्रान्ति बताया
‘त्रिभंग’ में स्त्री पात्रों के मुख से अपशब्दों को ही क्रान्ति बताया गया था। स्त्री केंद्रित एक और फिल्म थी, जिसे स्त्रियों के लिए अति क्रांतिकारी बताया गया था। इसमें तीन पीढ़ियों की कहानी थी। एक पीढ़ी थी तन्वी आजमी की, जिसमें वह लेखन को आधार बनाकर अपना जीवन बिताती हैं, परन्तु चूंकि वह अपने पति से अलग हो जाती हैं तो उनकी बेटी काजोल अर्थात् अनुराधा का जीवन असंतुलित हो जाता है। नयनतारा का जीवन संघर्षमय रहता है, परन्तु इसमें जहां एक ओर यह दिखाया गया है कि नयनतारा अर्थात् तन्वी आजमी अपना लेखन का कैरियर बनाने के लिए अपने उस पति और ससुराल को छोड़ आती है, जो उन्हें हर कदम पर समर्थन करता है। उनके पति जहां जीवन भर अपने बच्चों और अपनी पत्नी की प्रतीक्षा में रहते हैं, वहीं नयनतारा अपना कैरियर बनाती हैं। इसमें जो सबसे गंभीर प्रश्न समाजशास्त्रियों को उठाना चाहिए था, वह यह कि क्या घर और परिवार तोड़कर ही कोई भी महिला सफल लेखिका हो सकती है? यदि परिवार समर्थन न दे रहा हो तो बात दूसरी है, परन्तु एक समर्थन देने वाला पति क्या इस प्रकार के त्याग का अधिकारी है?

‘तांडव’ का एक दृश्य। इसमें महादेव का अपमान किया गया है

एक और सीरीज थी ‘बॉम्बे बेगम्स’, उसमें तो एकदम से ही सभी महत्वाकांक्षी स्त्रियों को मात्र देह का आग्रही बनाकर ही प्रस्तुत किया गया है। पूजा भट्ट, जिन्होंने एक सफल व्यावसायिक महिला का चरित्र निभाया था, वह हिन्दू हैं, परन्तु उन्होंने एक मुस्लिम से निकाह किया है, वे करवा चौथ का व्रत रखती हैं पर देह की प्यास बुझाने के लिए किसी और के पास जाती हैं।

इस प्रश्न का उत्तर न ही फिल्म में दिया गया और न ही आलोचकों ने दिया, जबकि इस फिल्म को स्त्रियों के लिए क्रांतिकारी फिल्म कहा गया। क्या ऐसी नायिका जो हर वाक्य में अपशब्द बोले, वह आदर्श हो सकती है?

ऐसी एक नहीं, कई फिल्में आई थीं। और उनमें यदि हम अनुवाद के सिद्धांतों को क्रियान्वित करते हैं तो पाते हैं कि साड़ी पहने स्त्रियों का विध्वंसात्मक अनुवाद कर दिया गया है। ॠील्ल३९’ी१ & ळ८ेङ्मू९‘ङ्म के अनुसार अनुवाद भाषांतरण नहीं, बल्कि एक विषम प्रक्रिया है। अनुवाद करते समय अनुवादक न केवल समय, स्थान, विवाद, ऐतिहासिक और अन्य तथ्यों को ध्यान में रखता है, अपितु वह यह भी ध्यान रखता है कि उसकी अपनी विचारधारा क्या है और उसका जो सोर्स अर्थात् संसाधन है, उसकी विचारधारा क्या है और वह किस प्रयोजन के लिए अनुवाद कर रहा है। फिल्में, धारावाहिक या कोई भी दृश्य माध्यम मात्र विचारों और स्थितियों का अनुवाद है। और इनका मुख्य उद्देश्य भारतीय स्त्रियों की त्यागमयी छवि को विकृत करना भी था।

एक फिल्म आई थी ‘पगलैट!’ इसमें एक युवक की मृत्यु के बाद उपजी स्थितियों को दिखाया गया था। यह एक मध्यवर्गीय परिवार की कहानी थी, जिसमें सभी स्त्रियां साड़ी आदि ही पहनी थीं। इसमें मध्यवर्गीय साड़ी पहनने वाली स्त्री को स्वार्थी, बेकार मां, और बेटे के गुजर जाने पर ईएमआई के लिए रोने वाली मां बताया गया है। अमूमन किसी भी बेटी की मां ऐसी नहीं होगी जो पति के देहांत के बाद उसे ले जाने से इंकार करे और जब पचास लाख का चेक मिल जाए तो वह बेटी को ले जाने के लिए तैयार हो जाए। अपवाद हर स्थिति में हो सकते हैं, परन्तु भारतीय परिवेश में अभी भी ऐसा सोचा नहीं जा सकता।

एक सीरीज थी ‘लाइफ इन शॉर्ट।’ इसमें पहले एपिसोड में एक ऐसी महिला को जेएनयू सरीखे विश्वविद्यालय में जो कथित रूप से आन्दोलन हुए, उनसे प्रेरणा लेते हुए अपने पति को ‘सही’ करते हुए दिखाया गया था।


डिम्पल कपाड़िया अर्थात् अनुराधा किशोर का अस्तित्व राजनीति में प्रधानमंत्री के साथ उनके सम्बन्धों के कारण है। समर अर्थात सैफ अली खान की पत्नी आयशा की भूमिका मात्र समर के साथ चलने, सोफे पर अदा के साथ बैठने और जाम बनाने तक सीमित थी।


इसमें दूसरा एपिसोड था, दिव्या दत्ता और संजय कपूर वाला। इसमें संजय कपूर अपने दोस्त के सामने अपनी पत्नी को ‘स्लीपिंग पार्टनर’ कहता है और दिव्या दत्ता का चरित्र जो बाहर सम्बन्ध बना सकता है परन्तु उसे अपने पति के सामने इतना कमजोर दिखाया था कि बिल्कुल विरोध नहीं करता था।

दरअसल हमारी महिलाओं को एक अजीब प्रकार का उन्मादी और यौन उन्मादी प्रतीक बनाकर रख दिया गया है। एक और सीरीज थी ‘बॉम्बे बेगम्स’, उसमें तो एकदम से ही सभी महत्वाकांक्षी स्त्रियों को मात्र देह का आग्रही बनाकर ही प्रस्तुत किया गया है। पूजा भट्ट, जिन्होंने एक सफल व्यावसायिक महिला का चरित्र निभाया था, वह हिन्दू हैं, परन्तु उन्होंने एक मुस्लिम से निकाह किया है, वे करवा चौथ का व्रत रखती हैं और अपनी देह की प्यास बुझाने के लिए किसी और के पास जाती हैं।

विकृतियों से भरे चरित्र
यहां और एक बात देखने में आई है कि जो सामान्य जीवन जीने वाली महिलाएं हैं उन्हें पिछड़ा घोषित किया जाने लगा है तो वहीं जो विकृत हैं, अर्थात समलैंगिक या ट्रांस महिला, उन्हें सामान्य बताकर उनका महिमामंडन किया जा रहा है। हाल ही में नेटफ्लिक्स पर आई फिल्म ‘बधाई दो’ में भूमि पेडनेकर और शार्दुल दोनों ही समलैंगिक हैं और दोनों ही अपनी-अपनी सचाई को सामने लाने से डरते हैं। और फिर दोनों अपने-अपने समलैंगिक सम्बन्धों को बनाए रखने के लिए शादी की बात करते हैं।

‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ में तो एक ट्रांस महिला अर्थात वह महिला जो जन्म से लड़का थी, और यह अनुभव किए जाने के बाद कि उसमें स्त्रियोचित गुण हैं तो वह सर्जरी के बाद लड़की बन जाती है, और सामान्य पुरुष के साथ प्रेम करती है। अर्थात् जो बातें और जो छवियां अभी तक ठीक नहीं मानी जाती थीं, उन्हें ओटीटी ने वेबसीरीज और फिल्मों के माध्यम से सहज और सुगम बना दिया है। जो शब्द पहले हाईसोसाइटी या कहें, एक विचार विशेष के मध्य ही परिचालित होते थे, उन्हें अब बच्चों के मस्तिष्क तक पहुंचा दिया गया है। परिवार चलाने वाली महिला और पूजापाठ करने वाली महिला पिछड़ी घोषित हो रही है तो वहीं संस्कार को छोड़ने वाली, महात्वाकांक्षा को मात्र देह तक सीमित रखने वाली महिलाएं नायिकाएं बनाई जा रही हैं।

यदि अनुवाद सिद्धांत के अनुसार हम जाते हैं तो यह अत्यंत स्पष्टता से बता सकते हैं कि ओटीटी पर आने वाली अधिकांश वेबसीरीज एवं फिल्में महिलाओं की विकृत छवि का सबसे बड़ा मंच माध्यम बन गई हैं।

Topics: ओटीटी‘बॉम्बे बेगम्स’साहित्य समाज का दर्पण‘तांडव!’‘लाइफ इन शॉर्ट।’‘स्लीपिंग पार्टनर’
Share5TweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

सुप्रीम कोर्ट

OTT और सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट बैन की मांग, नेटफ्लिक्स, उल्लू, ट्विटर, मेटा, ऑल्ट बालाजी, गूगल को नोटिस

ऑनलाइन कंटेंट की अराजकता और समाज

“दूरदर्शन और प्रसार भारती के डिजिटल बदलाव: ओटीटी लॉन्च और मीडिया में सरकारी भूमिका पर गहरी चर्चा”

"सेवक: द कन्फेशंस" वेबसीरीज

पाकिस्तान पर भारत ने फिर की कड़ी कार्रवाई, नफरती वेबसीरीज दिखाने वाले ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लगी रोक

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies