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चीन से चिढ़ा पाक‍िस्‍तान! क्या शाहबाज सरकार देगी बीजिंग के सैनिकों को अपने यहां तैनाती की अनुमति!

पाकिस्तान में चीनी परियोजनाओं में जुटे चीनी नागरिकों की जान पर खतरा मंडराता रहा है। पिछले दिनों कुछ घटनाएं हुई हैं जिनमें चीनी नागरिक मारे गए हैं। इन्हीं का हवाला देकर चीन वहां अपने फौजी तैनात करना चाहता है

by Alok Goswami
Jun 30, 2022, 02:00 pm IST
in विश्व
कराची में महिला विद्रोही के फिदायीन हमले में क्षतिग्रस्त हुई गाड़ी जिसमें चीनी शिक्षक बैठे थे

कराची में महिला विद्रोही के फिदायीन हमले में क्षतिग्रस्त हुई गाड़ी जिसमें चीनी शिक्षक बैठे थे

दुनियाभर में चीन का प्यादा समझा जाने वाला पाकिस्तान आजकल कम्युनिस्ट बीजिंग से चिढ़ा बैठा है। कारण? चीन उस इस्लामी देश में उसे राजी किए बिना जबरदस्ती अपने सैनिकों को वहां अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए तैनात करने को उतावला है।

लेकिन अपने ‘आका’ को उसकी यह मनमानी करने देने में पाकिस्तान की शाहबाज सरकार अड़ंगे डाल रही है, जिससे चीन के नेता और रणनीतिकार कसमसाए हुए हैं। फिलहाल कम्युनिस्ट सरकार इस मुद्दे पर गहन चुप्पी ओढ़े है, लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, यह ड्रैगन का कोई पैंतरा हो सकता है। कुछ का मानना है कि संभवत: पाकिस्तान चीन से ‘कर्जे’ के नाम पर कुछ पैसा पाना चाहता है। वजह जो भी हो, फिलहाल तो पाकिस्तान के हुक्मरान और फौज दोनों चीन के इस कदम से बिलबिलाए हुए हैं।

इस बात में दोराय नहीं है कि पाकिस्तान में चीनी परियोजनाओं में जुटे चीनी नागरिकों की जान पर खतरा मंडराता रहा है। पिछले दिनों कुछ घटनाएं हुई हैं जिनमें चीनी नागरिक मारे गए हैं और चीन की अवसंरचना को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें की गई हैं। इन्हीं हालात का हवाला देकर चीनी नेता वहां अपने फौजी तैनात करना चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान का गृह मंत्रालय बाधा बनकर खड़ा हो गया है।

सूत्र बताते हैं कि शाहबाज सरकार को लगता है कि चीन के इस कदम से दुनिया में उसकी किरकिरी हो जाएगी, यह संदेश जाएगा कि पाकिस्तान की इतनी कुव्वत नहीं है कि चीन के नागरिकों की जान की रक्षा कर सके। इस्लामी देश का यह डर भी है कि चीन के सैनिकों के वहां तैनात होने से कहीं उसकी संप्रभुता खतरे में न पड़ जाए।

‘पैसे वाले साहब’ और उसके ‘मातहत’ के बीच मामला गर्मा गया है। और इस तनाव की जड़ पाकिस्तानी जनरल कमर जावेद बाजवा की पिछली बीजिंग यात्रा में है। उस दौरे के दौरान कम्युनिस्ट नेताओं ने बाजवा पर खूब दबाव डाला था कि उसके फौजियों को पाकिस्तान में तैनात होने दिया जाए, बाजवा इस बाबत अपने नेताओं को समझाएं।

लेकिन इस कदम के नतीजों को लेकर पाकिस्‍तान के नेता आश्वस्त नहीं हो पाए हैं, इसलिए सरकार चीन के ऐसे किसी भी प्रयास का खुलकर विरोध कर रही है। हालांकि चीन ने स्पष्ट कहा था कि बलूचिस्‍तान और पाकिस्‍तान के दूसरे इलाकों में उसके नागरिकों पर जानलेवा हमले हो रहे हैं।

मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि पाकिस्‍तान के गृह मंत्रालय ने चीन के रक्षा मंत्रालय की इस अपील पर कड़ा विरोध दर्ज कराया है। पाकिस्‍तान ने चीन को अपने दो टूक जवाब में कहा है कि उसकी सेना चीनी नागरिकों और संस्थानों की बखूबी हिफाजत कर सकती है।

चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्‍ता ने कल इस मुद्दे पर कहा है कि बीजिंग इस्‍लामाबाद के साथ संपर्क में है। चीनी नागरिकों और संस्थानों की सुरक्षा को लेकर बातचीत चल रही है।

उल्लेखनीय है कि सीपीईसी परियोजना के नाम पर चीन का पाकिस्‍तान में 60 अरब डॉलर का निवेश है। अभी पिछले दिनों एक बलूच महिला ने कराची विश्वविद्यालय में एक गाड़ी पर फिदायीन हमला करके तीन चीनी शिक्षकों की जान ले ली थी। इस घटना के बाद चीन के तमाम शिक्षक उस देश से स्वदेश लौट गए थे। बलूच विद्रोही पहले भी सीपीईसी से जुड़ी अनके परियोजना पर कई हमले बोल चुके हैं। हालांकि पाकिस्तान में कार्यरत चीन के नागरिकों की हिफाजत के लिए वहां अलग से एक दस्ता तो बनाया गया है, लेकिन वह पर्याप्त साबित नहीं हो रहा है।

Alok Goswami
Journalist at Bahrat Prakashan | Web |  + postsBio ⮌

Delhi-based journalist with 25+ years of experience, covering India and abroad. Interests include foreign relations, defense, socio-economic issues, diaspora, and Indian society. Enjoys reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, and wildlife.

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