बिहार से शुरू हुआ अग्निपथ योजना का विरोध देशभर में फैल गया। कोचिंग संचालकों ने युवकों को हिंसा के लिए उकसाया। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश सहित तेलंगाना तक दर्जनों कोचिंग संचालकों और फर्जी खबरें फैलाने वाले 35 व्हाट्सएप समूहों के खिलाफ हुई कार्रवाई
गत चौदह जून की शाम तीनों सेना के प्रमुखों द्वारा अग्निपथ योजना के अंतर्गत अग्निवीरों की भर्ती की घोषणा की गई। लेकिन अगले ही दिन से इस पर बिहार में उपद्रव शुरू हो गया। बिहार में कुकुरमुत्ते की तरह फैले कोचिंग संस्थानों के संचालकों ने युवाओं को भड़काया और राजनीतिक दलों ने विरोध की चिनगारी को हवा दी। नतीजतन, बिहार से शुरू हुए इस विरोध की आग देखते-देखते 20 राज्यों में फैल गई। देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए। दो लोगों की जान गई और करोड़ों रुपये की सरकारी व निजी संपत्ति फूंक दी गई। उपद्रवियों के निशाने पर मुख्यत: रेलगाड़ियां और रेलवे की संपत्ति रही। इस कारण रेलवे को सैकड़ों ट्रेनें रद्द करनी पड़ी, जिससे उसे 1,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
बिहार के पटना-मसौढ़ी, गया, मुजफ्फरपुर, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, मध्य प्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के सीकर और तेलंगाना के सिकंदराबाद से दर्जनों कोचिंग संस्थानों के खिलाफ हिंसा, उपद्रव और आगजनी के लिए युवाओं को उकसाने के आरोप में कार्रवाई की गई है। हिंसा भड़काने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया गया। ऐसे 35 व्हाट्सएप समूहों की भी पहचान की गई, जिन पर फर्जी खबरें फैलाई जा रही थीं। केंद्र सरकार ने उन सभी व्हाट्सएप समूहों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनके जरिए भड़काऊ वीडियो और संदेश भेजे गए। केवल बिहार और उत्तर प्रदेश में ही 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए और अब तक 1500 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
बिहार से भड़की आग
पूरे बिहार में 16 जून से अब तक कुल 161 प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी हैं और 922 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका हैं। पटना में सबसे ज्यादा 200 से अधिक गिरफ्तारी हुई है। इस जिले में सबसे अधिक हंगामा आगजनी मसौढ़ी, बख्तियारपुर, खगौल, रानी तालाब, खिरीमोड़ आदि थाना क्षेत्रों में हुआ। सैकड़ों उपद्रवी ऐसे हैं, जिनकी पहचान नहीं हो पाई। हिंसा के दौरान ट्रेनें जलाई गर्इं, रेलवे स्टेशन और सड़कों पर तोड़फोड़ की गई, बसों और निजी वाहनों को आग के हवाले कर दिया दिया। इसके कारण रेलवे को सैकड़ों ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं। आरोपियों पर दंगा, हत्या के प्रयास, सरकारी काम में बाधा डालने, अवैध रूप से हथियार रखने आदि के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। भादंसं की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज ये मामले गैर-जमानती हैं।
राज्य में हिंसा भड़कने के बाद 20 जिलों में इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ीं। इसके अलावा, हालात पर नियंत्रण पाने के लिए प्रशासन को पुलिस बल के अलावा अर्द्धसैनिक बलों की पांच कंपनियां सड़कों पर उतारनी पड़ी। बता दें कि बिहार में 16 से 18 जून को हिंसक प्रदर्शन के दौरान 27 रेलवे स्टेशनों पर तोड़फोड़ और आगजनी की गई तथा 15 ट्रेनों के अलावा कई निजी वाहन फूंक दिए गए। हिंसा के बाद राज्य में स्कूल-कॉलेज और कोचिंग संस्थानों को पहले 20 जून, फिर 23 जून तक बंद करने का आदेश जारी किया गया। मसौढ़ी में हुई हिंसा और आगजनी में मुख्य रूप से यथार्थ, पैराडाइज, आरक्षण, बीडीएस कोचिंग का नाम आया है। फिलहाल इनमें तीन के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। जिला प्रशासन के राडार पर 7 कोचिंग संस्थान हैं। हिंसा में शामिल लोगों के साथ-साथ व्हाट्सएप समूह के व्यवस्थापकों के सोशल मीडिया खाते भी खंगाले जा रहे हैं।
पटना के जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने बताया कि मसौढ़ी मामले में 6-7 कोचिंग संस्थानों की संदिग्ध भूमिका सामने आई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये युवकों को भड़काया गया। गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों के मोबाइल में कुछ कोचिंग सेंटरों के वीडियो फुटेज और व्हाट्सएप संदेश मिले हैं। इनके आधार पर कोचिंग संस्थानों की भूमिका की जांच की जा रही है। दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कोचिंग संस्थानों के निबंधन की भी जांच की जा रही है। इसके अलावा, पटना, मुजफ्फरपुर और आरा के 6 कोचिंग संचालक कर चोरी को लेकर आयकर के निशाने पर आ गए हैं।
आयकर विभाग ने इनके ठिकानों पर छापेमारी कर कई दस्तावेज बरामद किए हैं, जिसमें करोड़ों रुपये की कर चोरी की बात सामने आई है। ये कोचिंग संस्थान पिछले कई साल से सेना के अलावा पुलिस, रेलवे और बैंकिंग जैसी नौकरियों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करा रहे हैं। इनमें पटना का चर्चित कोचिंग संचालक गुरु रहमान भी है। रहमान ने युवाओं को हिंसा के लिए भड़काया। पटना के एसएसपी डॉ. मानवजीत सिंह ढिल्लों के मुताबिक, हिंसा में शामिल युवकों के मोबाइल से कुछ वीडियो मिले हैं, जिसमें रहमान उन्हें उकसाते हुए दिख रहा है। इसके बाद रहमान के खिलाफ दानापुर में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है। 20 जून को जब पुलिस ने गोपाल मार्केट स्थित उसके कोचिंग सेंटर पर छापा मारा तो रहमान फरार हो गया।
उत्तर प्रदेश से सिकंदराबाद तक उपद्रव
इधर, उत्तर प्रदेश पुलिस ने भी अब तक लगभग 50 मामले दर्ज कर 500 से अधिक अराजक तत्वों को गिरफ्तार किया है। 17 जून को उपद्रवियों ने वाराणसी में रोडवेज और निजी सहित 36 वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया था। जिला प्रशासन के अनुसार 12,97,000 रुपये की आर्थिक क्षति हुई, जिसकी पूर्ति उपद्रवियों से की जाएगी। हिंसा भड़काने को लेकर अलीगढ़ के 11 कोचिंग संचालकों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है, जबकि अन्य जिलों में कोचिंग संस्थानों की संलिप्तता की जांच की जा रही है। उपद्रवियों ने अलीगढ़ के यमुना एक्सप्रेस-वे पर जाम लगाकर 5 बसें फूक दी थीं, तथा दो बसों में तोड़फोड़ के अलावा जट्टारी पुलिस चौकी में भी आग लगा दी थी। प्रदर्शनकारियों द्वारा 20 जून को आहूत भारत बंद के कारण नोएडा एक्सप्रेस-वे पर महामायापुल से लेकर नोएडा गेट तक 2 किमी. लंबा जाम लग गया था। हालांकि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए प्रदेशभर में सुरक्षाबलों की 11 कंपनियों की तैनाती की गई थी। वहीं, मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी पुलिस ने 5 कोचिंग संचालकों को हिरासत में लेकर उनसे मुचलका भरवाया। इनकी भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी, लेकिन उससे पहले इनसे पंजीयन के लिए आवेदन और छात्रों की सूची मांगी गई है।
शुरुआती जांच में पता चला है कि इन कोचिंग संचालकों ने युवाओं को भड़काया और थाने व कलेक्ट्रेट को आग के हवाले करने वाले भड़काऊ संदेश भेजे। प्रदर्शनकारियों ने शहर के गोले का मंदिर, बिरला नगर स्टेशन, ग्वालियर स्टेशन, गांधीनगर और हजीरा में उत्पात मचाया था। इस मामले में जीआरपी और ग्वालियर पुलिस ने पांच एफआईआर दर्ज कर 34 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया है। पुलिस ने एक कोचिंग संचालक के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। जबकि कोचिंग संचालक फरार है। पुलिस उस पर इनाम घोषित करने की तैयारी में है। साथ ही, अन्य शारीरिक प्रशिक्षण केंद्रों और कोचिंग संचालकों पर भी पुलिस की नजर है। इस बीच, ग्वालियर के जिलाधिकारी ने जिले में संचालित सभी शारीरिक प्रशिक्षण केंद्रों और कोचिंग संस्थानों के लिए एसडीएम की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया है।
उधर, सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर 17 जून को हुई हिंसा और आगजनी के मुख्य आरोपियों की पहचान कर ली गई है। तेलंगाना के कामारेड्डी जिले के येल्लारेड्डी का 20 वर्षीय मधुसूदन आरोपियों की सूची में पहले स्थान पर है। पुलिस ने अदालत में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अग्निपथ योजना के विरोध में हुई हिंसा पूर्व नियोजित थी। कुछ कोचिंग संस्थानों ने सेना में नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों को हिंसा के लिए उकसाया। युवाओं को भड़काने और प्रदर्शन के लिए जुटाने के उद्देश्य से व्हाट्सएप समूह बनाए गए थे, जिनमें बिहार में रेलवे स्टेशनों पर हुई हिंसा के वीडियो और संदेश प्रसारित किए जा रहे थे। इन समूहों में युवाओं को निर्देश दिए गए कि विरोध प्रदर्शन के लिए कहां और कब पहुंचना है। हिंसा भड़काने में साई रक्षा अकादमी नामक एक कोचिंग संस्थान के संचालक ए. सुब्बा राव के अलावा उसके कई छात्रों को भी गिरफ्तार किया गया है। सुब्बा राव पूर्व सैनिक है और आंध्र प्रदेश-तेलंगाना में इसके 8 कोचिंग सेंटर हैं।
सर्वोच्च अदालत पहुंचा मामला
देशभर में प्रशासनिक सख्ती के बाद हिंसा का दौर तो थम गया है, लेकिन ‘अग्निपथ’ योजना का विरोध थमा नहीं है। इस योजना के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में तीन याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं। ये याचिकाएं तीन वकीलों विशाल तिवारी, एम.एल. शर्मा और हर्ष अजय सिंह ने दाखिल की हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने भी कैविएट याचिका दाखिल कर दी है। इसमें केंद्र ने कहा है कि न्यायालय ‘अग्निपथ’ मुद्दे पर कोई भी फैसला लेने से पहले उसका पक्ष भी अवश्य सुने।
टिप्पणियाँ