जैसे कि कयास लगाए जा रहे थे कि जर्मनी में संपन्न जी—7 देशों की बैठक में यूक्रेन—रूस युद्ध के संदर्भ में कुछ कड़े निर्णय लिए जाएंगे, कल शाम ठीक वही हुआ। जी—7 देशों ने रूस के विरुद्ध नए प्रतिबंधों के लिए कमर कसी तो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए यूक्रेन के राष्ट्रपति ने और मदद की गुहार लगाई।
जर्मनी में इकट्ठे हुए जी—7 देशों के नेताओं के बीच वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपनी बात रखते हुए जेलेंस्की ने खुलकर अपनी भड़ास निकाली। इतना ही नहीं तो उन्होंने जी—7 देशों को सिर्फ दूर से तमाशा देखने की बजाय जमीनी स्तर पर मदद करने करने को भी कहा।
तीन दिन की इस बैठक में जहां रूस से मिलने वाले तेल की कीमतों पर लगाम कसने की बात हुई तो वहीं रूस की अर्थव्यवस्था पर चोट करने वाले कड़े प्रतिबंधों पर भी अंतिम दौर की बात हुई। पता चला है कि जी-7 देशों के वित्त मंत्री अपने स्तर पर इन विषयों पर चर्चा कर रहे हैं। इस मौके पर अमेरिका ने तो अपनी तरफ से रूस से आने वाले 570 प्रकार के उत्पादों पर नए टैक्स लगाने की भी मुनादी कर दी।
उल्लेखनीय है कि जी—7 यानी दुनिया की सात सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के नेताओं से कल जब यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने वीडियो लिंक के द्वारा बात की तो उन्हें सीधे सीधे पर्यवेक्षक ठहरा दिया जो दूर बैठे युद्ध पर नजर भर रख रहे हैं। जेलेंस्की ने यूक्रेन को फिर से खड़ा करने की प्रतिबद्धता जताई और रूस पर नए और कड़े प्रतिबंध लगाने की जरूरत पर बल दिया।
पता चला है कि अमेरिका रूस के विरुद्ध युद्ध में यूक्रेन की मदद के लिए सतह से हवा में मार करने वाली आधुनिक मिसाइल प्रणाली देने की घोषणा करने ही वाला है। इतना ही नहीं, जी-7 देशों के अन्य नेता भी रूस के विरुद्ध कुछ नए प्रतिबंध घोषित कर सकते हैं। लेकिन यहां जेलेंस्की की इस बात से उनमें पनप रही एक निराशा भी झलकती है कि युद्ध लंबा चलने की वजह से पश्चिम के देश अब थक चुके हैं।
इधर अमेरिका रूस से आने वाले 570 तरह के उत्पादों पर नए टैक्स लगाने की घोषणा के साथ ही, रूस की रक्षा आपूर्ति पर चोट करने के लिए कुछ और प्रतिबंध लगाने का मन बना चुका है।
बाइडेन प्रशासन यूक्रेन सरकार को 7.5 अरब डॉलर की सहायता राशि भी देने को तैयार है जो यूक्रेन को दिए जाने वाले 40 अरब डॉलर के हथियारों तथा आर्थिक पैकेज के अंतर्गत दी जाएगी। बता दें कि जी-7 बैठक में यूक्रेन पर गौर करने के साथ ही, कल सत्र की शुरुआत दुनिया की पांच उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं—भारत, इंडोनेशिया, सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका तथा अर्जेंटीना—के साथ जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई।
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