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असंग्रहीत प्लास्टिक बड़ी समस्या : प्रकाश जावड़ेकर

पाचजन्य द्वारा नई दिल्ली में 14 जून, मंगलवार को आयोजित पर्यावरण संवाद

by पाञ्चजन्य ब्यूरो
Jun 25, 2022, 10:45 am IST
in भारत
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पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। परंतु हमारी असल समस्या असंग्रहीत प्लास्टिक कचरा है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान से बच्चों में स्वच्छता का संस्कार बन रहा है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में वन घटे हैं, वहीं भारत में वन्यक्षेत्र बढ़ा है

पाचजन्य द्वारा नई दिल्ली में 14 जून, मंगलवार को आयोजित पर्यावरण संवाद में पहला सत्र चक्रीय अर्थव्यवस्था (सर्कुलर इकोनॉमी) पर रहा। इस सत्र में पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जीवन के हर क्षेत्र में गतिविधि शुरू की, कार्यक्रम किए। परंतु पर्यावरण के क्षेत्र में श्री गोपाल आर्य के नेतृत्व में पेड़, पानी और प्लास्टिक पर शुरू किया गया कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है।

श्री जावड़ेकर ने कहा कि जब प्लास्टिक का उपयोग शुरू हुआ तो बहुत सुविधा हुई। परंतु हर सुविधा एक नया प्रश्न खड़ा करती है। प्लास्टिक से भी प्रश्न खड़ा हुआ। आज देश में प्रतिदिन 20 हजार टन प्लास्टिक का प्रयोग होता है। इसके बाद यह कचरा हो जाता है। भारत में प्रति व्यक्ति प्लास्टिक कचरा 12 किलो प्रति वर्ष है। यह अमेरिका में प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 120 किलो के मुकाबले काफी कम है। परंतु अमेरिका में प्लास्टिक कचरा संग्रह की अच्छी व्यवस्था है। भारत में भी संग्रहीत प्लास्टिक कचरा की रीसाइक्लिंग हो जाती है। हमारी समस्या असंग्रहीत 10 हजार टन प्लास्टिक कचरा है। यही असल समस्या है।

श्री जावड़ेकर ने कहा कि अगर कोई मुझसे पूछे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का सबसे बड़ा काम है, तो मैं स्वच्छ भारत की मुहिम को सबसे बड़ा काम मानूंगा जिसे जनता ने हाथों-हाथ लिया। इससे असंग्रहीत कचरा कुछ कम हुआ। स्वच्छ भारत अभियान की सफलता यह है कि पिछले चार साल में सड़कों पर प्लास्टिक फेंकने की आदत में सुधार हुआ है। यदि कोई फेंकता है तो कोई टोकता है या उसे उठाता है। परिवार के छोटे बच्चे बड़ों को मना कर रहे हैं। स्वच्छता संस्कार बन रही है। उन्होंने कहा कि चक्रीय अर्थव्यवस्था में कचरा प्रबंधन महत्वपूर्ण है। हमने प्लास्टिक कचरा, इलेक्ट्रॉनिक कचरा, निर्माण कचरा, ठोस कचरा, खतरनाक कचरा प्रबंधन नियमों का पुनरुद्धार किया। हमने निर्माताओं को उनके वस्तुओं से पैदा होने वाले कचरे के संग्रह का दायित्व सौंपा है।

श्री जावड़ेकर ने बताया कि बीते 20 वर्ष में दुनिया भर में बहुत जंगल कटे हैं। दुनिया के लगभग हर देश में पेड़ कम हुए परंतु भारत में 17 हजार वर्ग किमी वन क्षेत्र बढ़ गया है। हमने एक प्रौद्योगिकी का उपयोग कर जंगलों में जलसंग्रह क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया। वहां जल कैसे जमा हो सकता है, इसके लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाकर राज्य सरकारों को दी। जंगल का पानी बचाना हमारा लक्ष्य है। सबसे ज्यादा पानी लगभग 80 प्रतिशत, कृषि क्षेत्र में उपयोग होता था। इसलिए फसल बदलाव, ड्रिप सिंचाई का उपयोग कर इसका प्रबंधन किया। इसके अलावा खेत पर मेड़, खेत तालाब योजना के जरिए बारिश के पानी के संग्रह को बढ़ावा दिया।

Topics: पर्यावरण संवादप्लास्टिक कचराइलेक्ट्रॉनिक कचरानिर्माण कचराठोस कचराखतरनाक कचरा प्रबंधन
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