महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरी झिरवल पर शिवसेना के बागी गुट ने 21 जून को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। शिवसेना ने बागी 12 और 4 विधायकों को अवैध करार देने के लिए उपाध्यक्ष को खत लिखा था। इस याचिका पर कुछ कारवाई करने से पहले निर्दलीय विधायक विनोद अग्रवाल और महेश पालधी ने उपाध्यक्ष को खत लिख कर अविश्वास प्रस्ताव का जिक्र करते हुए उन्हे विधायकों पर कारवाई करने से बचने की चेतावनी दी है।
उच्चतम न्यायालय के फैसले का जिक्र करते हुए दो विधायकों ने लिखा है कि विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष पर अगर किसी विधायक ने पहले से अविश्वास जताया हो तो उसका फैसला होने तक वे अपने अधिकार का प्रयोग कर विधायकों पर कोई कारवाई करते हैं तो वह असंवैधानिक होगा।
महाराष्ट्र विधानसभा में अध्यक्ष का पद 15 महिनों से खाली है। नाना पटोले ने इस्तीफा देने के बाद नए अध्यक्ष का चुनाव अभी नही हुआ है। उपाध्यक्ष नाना झिरवल कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। नाना झिरवल एनसीपी के विधायक हैं।
इस कानूनी पहल के कारण बागी विधायकों पर कारवाई का डर दिखा कर उन्हे रोकने की शिवसेना की कोशिशे नाकाम हो गयी हैं। अब एकनाथ शिंदे के खेमे मे दो तिहाई से ज्यादा विधायक शामिल हो गए हैं। गुवाहाटी मे शिवसेना के बागी लगभग 40 विधायक शिंदे गुट में जुट गए हैं। इसके अलावा 9 निर्दलीय विधायक भी समर्थन देते हुए गुवाहाटी में शामिल हुए हैं। वहीं अब शिवसेना के सांसद भी बागी गुट में शामिल हो रहें है। भावना गवली, महेश शिंदे जैसे दस सांसदों के इस गुट मे जुट जाने की संभावना जताई जा रही है।
बता दें कि शिवसेना ने शिंदे गुट के 12 विधायकों पर कारवाई करने के लिए उपाध्यक्ष को खत लिखा था। बाद में और चार विधायकों पर भी कारवाई करने की मांग जोड दी थी। शिवसेना विधायक दल के नेता और चीफ वीप को बदलने जैसे कई विषय अब उपाध्यक्ष के पास निर्णय के लिए लंबित हैं उनपर सवालिया निशान लग गया है।
सरकारी आदेश रोकने की मांग
भारतीय जनता पार्टी ने गवर्नर से मांग की है कि महविकास आघाडी सरकार को महत्त्वपूर्ण फैसले लेने और आदेश जारी करने पर रोक लगाए। यह सरकार अब अल्पमत में है और पिछले दो दिनों मे लगभग 160 आदेश निकालें गए हैं जिसमे तबादले, मंजूर जैसे महत्त्वपूर्ण विषय हैं। इन सभी आदेशों पर रोक लगाने की मांग करनेवाला खत विधानपरिषद के नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर ने गवर्नर को दिया है।
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