भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का कहना है कि झारखंड सरकार मुकदमों की पैरवी के लिए प्रतिदिन 50 लाख रु से अधिक खर्च करती है। इसमें सरकारी मुकदमों के अलावा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मामले भी शामिल हैं।
झारखंड पूरे देश में गरीबी के मामले में दूसरे स्थान पर है, लेकिन झारखंड सरकार के कुछ निर्णयों को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि अभी हाल ही में पता चला है कि हेमंत सोरेन सरकार एक जनहित याचिका 4290/2021 मामले में राज्य सरकार की ओर से उच्च न्यायालय में बहस के लिए देश के महंगे वकीलों में से एक पूर्व कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल को प्रति सुनवाई के लिए 22,00,000 रुपए भुगतान करने वाली है।
कहा जा रहा है कि इस मामले में कपिल सिब्बल अब तक राज्य सरकार की ओर से 6 बार पेश हो चुके हैं। दो बार सर्वोच्च न्यायालय के सामने और 4 बार झारखंड उच्च न्यायालय के सामने। इस तरह से सरकार कुल 1.32 करोड़ रुपए का भुगतान करेगी। अभी भी मामला समाप्त नहीं हुआ है।
आपको बता दें कि महाधिवक्ता राजीव रंजन भी राज्य सरकार की ओर से पेश होते हैं और उन्हें राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार प्राप्त है। इसके बाद भी झारखंड सरकार की ओर से कपिल सिब्बल को उच्च न्यायालय में बहस के लिए बुलाया जा रहा है। लोगों का कहना है कि जब झारखंड सरकार द्वारा महाधिवक्ता का चयन किया है तो फिर अलग से इतने महंगे वकील लाने की क्या आवश्यकता पड़ गई?
गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा है, ”जो पैसा झारखंड की जनता का है उसे सोरेन परिवार दलालों, भ्रष्टाचारियों और बिचौलियों को बचाने के लिए खर्च कर रहा है। इसके लिए झारखंड सरकार प्रत्येक दिन 50,00,000 रु से भी ज्यादा खर्च कर रही है।”
झारखंड की जनता का पैसा,सोरेन परिवार,दलालों ,भ्रष्टाचारी व बिचौलियों को बचाने के लिए,सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट में केवल वकीलों को झारखंड सरकार प्रत्येक दिन 50 लाख से ज़्यादा खर्च कर रही है ।ठीके है माल महाराज का मिर्ज़ा खेले होली https://t.co/54dgPxA53z
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) June 20, 2022
ऐसा नहीं है कि हेमंत सरकार की ओर से इस तरह के खर्चे पहली बार किए जा रहे हों। पहले भी कई बार इस तरह की खबरें आती रही हैं। कुछ समय पहले खबर आई थी कि झारखंड के मुख्यमंत्री को महंगी गाड़ियों का भी शौक है। इसीलिए मुख्यमंत्री के लिए बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज कार होने के बाद भी 95,00,000 रु की ऑडी क्यू 7 कार खरीदी जाने वाली है। पिछले वर्ष भी अक्तूबर महीने में झारखंड सरकार के 11 कैबिनेट मंत्रियों को 70 करोड़ रुपए में 11 बंगले बनाए जाने की घोषणा की गई थी। इसके पहले 5 करोड़ रुपए में झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो और हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन के सरकारी आवास को ‘हेरिटेज बिल्डिंग’ बनाने की भी घोषणा की गई थी।
इतना ही नहीं, आपको यह भी बता दें कि झारखंड में पिछले महीने तक सैकड़ों चिकित्सकों को पिछले 3 महीनों से वेतन नहीं मिल रहा था। इसके बाद चिकित्सकों ने आंदोलन करने की धमकी दी तो उन्हें वेतन दिया गया। एक और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 400 मलेरिया कर्मियों को भी चार माह से वेतन नहीं मिल पाया है। कर्मियों के अनुसार गैर योजना मद के तहत कार्यरत कर्मियों को वेतन का भुगतान हो गया है। वहीं, योजना मद के कर्मियों को वेतन नहीं दिया गया है। इस योजना मद के तहत रांची, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा, पूर्वी-पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, साहेबगंज, जामताड़ा जिले के मलेरिया कर्मियों को वेतन नहीं मिला है। बताया गया कि कई कर्मी ऐसे हैं, जिनका पैसे के अभाव में इलाज नहीं हो पा रहा है।
इन बातों से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि झारखंड सरकार किस तरह से प्रदेश को चलाना चाह रही है। झारखंड में आम जनता गरीबी और जरूरी सुविधाओं के अभाव में जी रही है, वहीं दूसरी ओर झारखंड के मुख्यमंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए और अपनी सुख-सुविधाओं के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रहे हैं।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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