यूपी-उत्तराखंड में शत्रु संपत्तियों पर सालों से कब्जा करके बैठे मुस्लिम बिरादरी की नींद हराम होने लगी है। कानपुर, रामपुर, देहरादून, लखनऊ सीतापुर और नैनीताल सहित कई शहरों में अरबों रुपए की जमीन की सुध लेने केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी दौड़ने लगे हैं।
रामपुर में सपा नेता और विधायक आजम खान ने रामपुर की 13.842 हेक्टेयर शत्रु संपत्ति को अपनी जौहर यूनिवर्सिटी में मिलाकर वहां बिल्डिंग खड़ी कर ली। अब जब मामला योगी सरकार के संज्ञान में आया तो हाई कोर्ट तक बात पहुंची। हाई कोर्ट ने तुरंत ये जमीन और बिल्डिंग को जिला प्रशासन से अपने कब्जे में लेकर उसे कस्टोडियन अधिकारी (शत्रु संपत्ति) को सौंपने के लिए आदेश दिए। मामला चूंकि आजम खान जैसे प्रभावशाली नेता से जुड़ा हुआ है, लिहाजा दिल्ली गृह मंत्रालय के शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक विभाग में संयुक्त सचिव सौरभ रे भी अपनी टीम के साथ रामपुर पहुंचे और करीब डेढ़ घंटे तक ये जमीन अपने विभाग के कब्जे में लेने की प्रक्रिया को देखा। उधर यूपी के कानपुर, सीतापुर, लखनऊ आदि शहरों में भी शत्रु संपतियों को लेकर इन दिनों माहौल गरमाया हुआ है। इन संपतियों पर सैकड़ों मुस्लिम परिवार का अवैध कब्जा है।
उत्तराखंड में नैनीताल में मेट्रोपोल होटल और आसपास की शत्रु संपत्ति पर करीब 10 हजार मुस्लिमों ने अवैध कब्जा कर लिया है, जिस पर नैनीताल हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए इसको खाली करवा कर सरकार से इस पर अपना कब्जा लेने की बात कही है। देहरादून में शत्रु संपत्तियों पर 100 से डेढ़ सौ साल पहले के दस्तावेज सहारनपुर तहसील से निकलवा कर मुस्लिम लोग हिंदू लोगों को परेशान करने में लगे हुए हैं। जबकि इसके मालिक कबके भारत छोड़ गए।
ऐसी शत्रु संपत्तियां और भी कई शहरों में हैं, जिसकी अभी तक गृह मंत्रालय ने सुध नहीं ली थी, किंतु जैसे ही यूपी में पुलिस-प्रशासन ने ऐसी जमीन जायदाद की जांच को बारीकी से देखना शुरू किया तो उसके बाद केंद्र के गृह मंत्रालय से भी अधिकारी हरकत में आने लगे हैं। खबर है कि गृह मंत्रालय के शत्रु संपत्ति विभाग के अधिकारी इन दिनों देशभर अपनी जमीन जायदाद का लेखा जोखा जांचने परखने निकल पड़े हैं। सच ये भी है इन जमीनों पर मुस्लिम समुदाय के लोग अवैध रूप काबिज हैं और ये जमीन जायदाद पगड़ी प्रथा से आगे भी बिकती रही है और इस बात से गृह मंत्रालय अनिभिज्ञ रहा है।
शत्रु संपत्ति है क्या?
ऐसी संपति जिसका मालिक भारत विभाजन के वक्त भारत छोड़ कर पाकिस्तान चला गया। उस संपति को शत्रु संपत्ति कहते हैं। इस पर केंद्र के गृह मंत्रालय का स्वामित्व होता है। विभाजन के दौरान लाखों हिंदू पाकिस्तान से भारत आए उनकी संपत्ति पाकिस्तान सरकार के पास चली गई, जिसे वहां की सरकार ने दुश्मन संपत्ति माना और उसे यहां से गए लोगों में एलॉट कर दिया। ऐसी ही संपत्ति जो भारत में यहां से जाने वाले छोड़ गए, उन्हे भारत सरकार ने अपने से यहां आने वाले हिंदू लोगों में वितरित कर दिया, जो संपत्ति बांटी नहीं जा सकी। उस पर मालिकाना हक गृह मंत्रालय का माना गया।
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