पिछले कई महीनों से श्रीलंका की डगमगाती अर्थव्यवस्था ढह चुकी है, अब इसकी पुष्टि श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भी कर दी है। विक्रमसिंघे के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह ढह गई है और अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ समझौता करना ही मात्र विकल्प है। उन्होंने कहा कि देश गंभीर आर्थिक हालात का सामना कर रहा है।
प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे के अनुसार देश पेट्रोलियम, गैस, बिजली और खाद्यान्न जैसी समस्या से जूझ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी मुद्रा की कमी के चलते देश के पास अब पेट्रोलियम पदार्थ खरीदने की क्षमता नहीं है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका को अब सिर्फ नए वित्तीय उपाय और समझौते ही देश को बचा सकते हैं। वर्तमान में श्रीलंका को 6 अरब डॉलर की जरूरत है जिससे कि वह मूलभूत चीजें खरीद सके, आयात का बिल भर सके और अपनी मुद्रा को स्थिर रख सके। श्रीलंका ने आईएमएफ के साथ बातचीत शुरू कर दी है।
विक्रमसिंघे ने कहा कि हमें उम्मीद है कि जुलाई के अंत तक हमारा आईएमएफ के साथ आधिकारिक समझौता हो जाएगा। इसके अलावा श्रीलंका मित्र देशों के साथ क्रेडिट ऐड कॉन्फ्रेंस का भी प्लान बना रहा है। इसमें भारत, जापान, चीन और अन्य देश शामिल हो सकते हैं। इस समय श्रीलंका के सामने अब तक का सबसे बड़ा संकट खड़ा है। एक तरफ आर्थिक संकट और दूसरी तरफ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन की वजह से सियासी अस्थिरता भी जारी है।
श्रीलंका का 250 मिलियन डॉलर से ज्यादा का रिजर्व रखने वाले हैमिल्टन रिजर्व बैंक लिमिटेड ने 25 जुलाई को न्यूयॉर्क फेडरल कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने मूलधन और ब्याज की पूरी वापसी की मांग की थी।
(सौजन्य सिंडिकेट फीड)
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