यूक्रेन-रूस युद्ध को आज करीब 120 दिन हो चुके हैं, लेकिन आज भी दोनों पक्ष यूक्रेन के विभिन्न भागों पर अपनी-अपनी पकड़ दमदार होने और अपने पलड़े को भारी दिखाने की होड़ में लगे दिखते हैं। रूसी आक्रमण जहां अपने कब्जे के यूक्रेनी भागों में अपना परचम लहराता दिखा रहा है तो वहीं फौजी टीशर्ट पहने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की अलग अलग मंचों से दावे कर रहे हैं कि उनके ‘सैनिक और नागरिक ‘नये जोश’ से भरे रूसी सेना को मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं। यूक्रेनी अपने इलाकों को किसी कीमत पर रूस को हथियाने नहीं देंगे’।
विदेशी मीडिया जहां रूस के सैनिकों के युद्ध अपराधों और अत्याचारों की खबरों और वीडियो फुटेज से भरा पड़ा है, रूस आक्रामकों के टैंकों द्वारा यूक्रेन के एक के बाद एक शहरों को रोंदते हुए दिखा रहा है। तो वहीं यह पश्चिमी मीडिया यूरोप के तमाम बड़े नेताओं के कीव जाकर जेलेंस्की से विचार—विमर्श करते दिखा रहा है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन, फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों, जर्मनी के चांसलर ओलोफ शोल्ज आदि एक नहीं कई मौकों पर कीव जाकर जेलेंस्की को और हथियार और सैनिक उपकरण और पैसे देने के वायदे करते दिखाए गए हैं।
इतना ही नहीं तो, जेलेंस्की कई यूरोपीय देशों की संसदों, नाटो बैठकों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों के मंचों और संयुक्त राष्ट्र महासभा तक में अपने वीडियो संदेशों अथवा भाषणों को प्रसारित करवाकर वाहवाही के साथ ही सहानुभूति लूट चुके हैं। रह—रहकर अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन जेलेंस्की को सैनिक मदद बढ़ाने की बात करते रहे हैं। अनेक तटस्थ विशेषज्ञों को तो कई मौकों पर ऐसा भी लगा कि अमेरिका की अगुआई में पश्चिमी देश रूस के विरुद्ध जानबूझकर यूक्रेन को उकसाए हुए हैं। यहां हमें ध्यान रखना होगा कि रूस उर्जा और तेल का एक बहुत बड़ा स्रोत है। खाड़ी देशों कुवैत, ईरान, इराक और मध्य एशियाई देश सीरिया में अमेरिकी सैन्य दखल और उसके बाद से उन देशों की लगातार होती गई बर्बादी को भी ध्यान में रखने की जरूरत है।
इस सब युद्धोन्माद के बीच भारत की तटस्था की सबने तारीफ की है। भारत का हमेशा से यही कहना रहा है कि युद्ध रोककर वार्ता से विवाद सुलझाए जाएं। युद्ध से किसी भी पक्ष को लाभ नहीं होता, तबाही दोनों ओर होती है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दोनों देशों के प्रमुखों को सलाह दे चुके हैं कि भारत एक सकारात्मक माहौल में दोनों पक्षों की वार्ता में भूमिका निभा सकता है। और सिर्फ मोदी ही नहीं, विदेशों के कई राजनेता भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वयं रेखांकित कर चुके हैं।
यूक्रेन के दो सीमांत क्षेत्रों दोनेत्सक और लेवांस्क पर कब्जे की मंशा से शुरू हुआ रूसी आक्रमण उस देश के प्रमुख शहरों कीव, खारकीव, मारियुपोल, क्रीमिया, बर्दियांस्क, खेरसॉन तक बढ़ता गया और इन इलाकों से सैनिकों व नागरिकों के बड़े पैमाने पर हताहत होने के समाचार खूब छाए रहे हैं पश्चिमी मीडिया में।
लेकिन यूक्रेन में गैर—यूक्रेनियों के साथ कैसा व्यवहार हो रहा है, यह जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। UkraineNews नामक ट्विटर हैंडल से एक के बाद एक कई वीडियो फुटेज डाले गए हैं जो सादे कपड़े पहने एक कथित यूक्रेनी पुलिस वाले को पूरी बेशर्मी के साथ कैमरे के सामने चार भारतीय महिलाओं को घेरकर ‘सैक्स टॉय’ से बर्बरता से पीटते और यूक्रेनी भाषा में बुरा—भला कहते दिखाते हैं।
कई वीडियो ऐसे हैं जिनमें नाजियों को भी शर्मसार कर देने वाली हैवानियत के साथ यूक्रेन के कई अन्य जवान, वृद्ध नागरिकों को पेड़ या बिजली के खंबे के साथ टेप या रस्सियों से बांधकर, शरीर उघाड़कर कोड़ों या बेल्ट से पीटा जा रहा है। महिला पुलिस भी इस पशुता में पीछे नहीं है। वे भी आम महिलाओं, लड़कियों के शरीर के निचले हिस्से को उघाड़कर बेल्ट से पीटती दिख रही हैं।
लेकिन हैरानी और दुख की बात है कि जेलेंस्की को ‘हीरो’ की तरह दिखाता आ रहा पश्चिमी मीडिया इन जैसी सैकड़ों खबरों और वीडियो से मुंह फेरे बैठा है। रूसी सैनिकों के ‘युद्ध अपराधों’ की बात करने वाले जेलेंस्की की पुलिस की पशुता पर मुंह सिले बैठे हैं। तमाम विदेशी टीवी चैनलों पर ‘रूसी अत्याचार’ पर लंबी—लंबी बहसें चलाने वाले ‘विशेषज्ञ’ यूक्रेन में बर्बर पुलिस के हाथों आम नागरिकों और मूलत: दूसरे देश के लोगों के साथ जिस तरह का सलूक किया जा रहा है उस पर नजर नहीं डालते।
वीडियो लिंक
https://twitter.com/i/status/1518045080656953349
यहां दिए वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे राजधनी कीव में यूक्रेन का एक पुलिस वाला चार ‘भारतीय महिलाओं’ को किस तरह बीच सड़क पर घेरकर कैमरे के साथ सैक्स टॉय से पीट रहा है, उन्हें दुत्कार रहा है। सड़क पर गाड़ियों आ-जा रही हैं, लोग आ-जा रहे हैं, लेकिन उन सबसे बेपरवाह पुलिस वाला महिलाओं को पीटते हुए अपने साथी से उसका वीडियो बनवा रहा है।
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