मनी लांड्रिंग के केस में जेल में बंद महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक मंत्री नवाब मलिक और पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख को मुंबई उच्च न्यायालय ने विधान परिषद चुनाव में वोट देने की इजाजत नहीं दी। इससे एनसीपी की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। महाविकास आघाड़ी को भी इस फैसले से जोर का झटका लगा है। एनसीपी ने चुनाव में रामराजे निंबालकर और एकनाथ खड्से को प्रत्याशी के रूप में उतारा है। कोटा के अनुसार 52 वोट की जरूरत होगी। मलिक और देशमुख के वोट कम होने से अब एनसीपी के पास 53 वोट बचते हैं। राज्यसभा चुनाव में भी मलिक और देशमुख को वोट करने की इजाजत नहीं मिली थी।
उच्च न्यायालय के इस फैसले पर संजय राऊत ने आपत्ति जताई है। अपनी प्रतिक्रिया देते हुए संजय राऊत ने कहा है कि देशमुख और मलिक पर अभी आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं। फिर उन्हें वोट देने से कैसे रोका जा सकता है ? सारे संस्थान केंद्र के दबाव में काम कर रहे हैं। लोकतंत्र के ताला लगाने का वक्त आ गया है। विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष भाजपा के प्रवीण दरेकर ने कहा, ‘न्यायालय के फैसले का सम्मान करना चाहिए। इस फैसले से भाजपा के पांच प्रत्याशियों की जीत की राह खुल गई है।’
जेल में जाने के बावजूद नवाब मलिक ने मंत्रिपरिषद से इस्तीफा नहीं दिया है। इसके कारण पहले से ही नवाब मलिक पर दबाव है। उनके इस्तीफे की मांग हो रही है। नवाब मलिक और दिल्ली के सत्येंद्र जैन, इन दो मंत्रियों के जेल जाने से मंत्रीपद से बर्खास्त करने के लिए उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है। इसी बीच उच्च न्यायालय का यह फैसला आने से मलिक को झटका लगा है।
टिप्पणियाँ