संचार क्रांति से मजबूत हुआ आम आदमी
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम विज्ञान और तकनीक

संचार क्रांति से मजबूत हुआ आम आदमी

170 वर्ष पुरानी दूरसंचार क्षेत्र की यात्रा समय-समय पर कई तरह की क्रांति से गुजर चुकी

by बालेन्दु शर्मा दाधीच
Jun 17, 2022, 05:30 pm IST
in विज्ञान और तकनीक
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

170 वर्ष पुरानी दूरसंचार क्षेत्र की यात्रा समय-समय पर कई तरह की क्रांति से गुजर चुकी है। आज के दौर में इस क्रांति के चलते आम आदमी ताकतवर हुआ

आज से कुछ साल पहले अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट में भारतीय दूरसंचार उद्योग को एक किस्म का आर्थिक चमत्कार कहा गया था। उस रिपोर्ट के मुताबिक एक अरब से ज्यादा आबादी वाली अर्थव्यवस्था को बाकी दुनिया के साथ जोड़ना देश के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिहाज से एक असामान्य उपलब्धि थी। असामान्य यानी बेहद खास और संभावनाओं से भरपूर। आज जब हम 135 करोड़ की आबादी वाले अपने देश को देखते हैं, जिसमें करीब 120 करोड़ मोबाइल कनेक्शन हो चुके हैं, तो समझ में आने लगता है कि हम किस किस्म की क्रांति से गुजर चुके हैं।

दूरसंचार के क्षेत्र में हमारी यात्रा बहुत लंबी रही है। कौन यकीन करेगा कि यह यात्रा करीब 170 साल पुरानी है! अंग्रेजों को दूरसंचार की ताकत बहुत पहले समझ में आ गई थी क्योंकि इतने बड़े देश पर कब्जा बनाए रखने के लिए संदेशों के तेज आदान-प्रदान की व्यवस्था उनके लिए वरदान सिद्ध होने वाली थी। इसीलिए उन्होंने दूरसंचार का जाल बिछाने में बड़ी तेजी दिखाई। इसकी एक मिसाल यह है कि 1876 में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल द्वारा टेलीफोन का आविष्कार किए जाने के सात साल के भीतर ही भारत में बंबई, मद्रास (चेन्नई) और कलकत्ता में टेलीफोन एक्सचेंज स्थापित कर दिए गए थे। हालांकि दूरसंचार की कहानी इससे भी पहले शुरू हो गई थी, लेकिन शुरू में उसका ताल्लुक टेलीग्राफ से था।

सन् 1851 में ब्रिटिश सरकार ने तत्कालीन राजधानी कलकत्ता (कोलकाता) में पहली टेलीग्राफ लाइन बिछाई थी। इसके पांच साल बाद 1856 में कलकत्ता, आगरा, बंबई, पेशावर और मद्रास को जोड़ने वाली 4,000 किलोमीटर लंबी भारतीय टेलीग्राफ प्रणाली शुरू हुई। सन् 1881 में यह सुविधा आम लोगों को भी उपलब्ध हुई और फिर 1883 में इसे भारतीय डाक प्रणाली के साथ मिला दिया गया। इससे पहले, सन् 1912 में भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली आ गई तो दूरसंचार का मुख्यालय भी दिल्ली बन गया। 1947 में आजादी के तुरंत बाद सभी विदेशी दूरसंचार कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया और टेलीफोन, टेलीग्राफ एंड पोस्ट (पीटीटी) की स्थापना हुई जिसे भारत सरकार का दूरसंचार मंत्रालय संचालित करता था। इसके एक साल बाद इंडियन टेलीफोन इंडस्ट्रीज (आईटीआई) नामक टेलीफोन विनिर्माण कंपनी की स्थापना हुई। अब चीजें देसी सरकार के हाथ में थीं। आजाद देश में दूरसंचार के मकसद भी बदल गए थे।

यह सिलसिला कई दशकों तक चला। जब तक दूरसंचार पर पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण था, चीजें धीमे, सरकारी अंदाज में ही आगे बढ़ती रहीं। टेलीफोन स्टेटस सिंबल बना रहा, आम आदमी की पहुंच से बहुत दूर। सन् 1984 के बाद उदारीकरण के साथ सरकारी अंकुश ढीला पड़ा और दूरसंचार क्षेत्र में निजी कंपनियों के कदम पड़े। सही मायने में पिछले चालीस साल की अवधि के दौरान भारतीय दूरसंचार उद्योग का भारी विस्तार हुआ। हालांकि उसका कायाकल्प दस साल बाद, यानी कि 1994 से शुरू हुआ जो आज लाखों-करोड़ के कारोबार वाले दूरसंचार प्रदाताओं और गांव-गांव तक मौजूद कनेक्टिविटी के रूप में दिखाई देता है।

उस दौर में जब इस क्षेत्र पर सरकारी अंकुश ढीला पड़ने लगा तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों से हार्डवेयर की सप्लाई पर निर्भरता हटने लगी। भारतीयों द्वारा विकसित ग्रामीण टेलीफोन एक्सचेंज सामने आए जो कठोर परिस्थितियों में और बिना एयर कंडीशनिंग के काम कर सकते थे। सार्वजनिक क्षेत्र में विकसित तकनीक को खुले दिल से निजी कंपनियों को मुफ्त में हस्तांतरित किया गया। आखिरकार भारत में दूरसंचार के क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एकाधिकार को चुनौती मिली।

हालांकि बहुत सारी सेवाएं पूरी तरह व्यवसाय के तौर पर नहीं चलाई जा सकतीं (जैसे दूरदर्शन और डाक) क्योंकि सरकार के लिए आम आदमी के हितों को ध्यान में रखना भी जरूरी है। निजी क्षेत्र के आने से सेवाएं बेहतर होंगी, कनेक्टिविटी का प्रसार होगा यह तो जाहिर था लेकिन यह भी साफ था कि निजी क्षेत्र से प्रतिद्वंद्विता करने में सरकारी दूरसंचार कंपनियां शायद ज्यादा टिक न सकें। नतीजतन, सरकार ने एक तरफ निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया तो दूसरी तरफ 1986 में प्रतिद्वंद्वी सरकारी निगमों की स्थापना भी की- महानगर टेलीफोन निगम लिमिटेड और विदेश संचार निगम लिमिटेड।

दूरसंचार आयोग भी बना। यह बात अलग है कि कालांतर में वीएसएनएल निजी हाथों में चला गया और एमटीएनएल तथा बीएसएनएल बहुत बड़ा नेटवर्क होने के बावजूद निजी कंपनियों के साथ प्रतिद्वंद्विता में टिक नहीं पाएं। जो भी हो, इस प्रतिद्वंद्विता में आम आदमी को लाभ ही हुआ और संचार की दृष्टि से वह ताकतवर बन गया।
(लेखक माइक्रोसॉफ्ट में ‘निदेशक-भारतीय भाषाएं और सुगम्यता’ के पद पर कार्यरत हैं)

Topics: संचार क्रांतिदूरसंचारमजबूत हुआ आम आदमी
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Representational Image

अमेरिकी डाटा पर चीन का डाका! Chinese Hackers ने किया बड़ा खेल, अब Telecom Companies पर साधा निशाना

विनाश का कारण बन रहा फेक न्यूज

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ

पाकिस्तान बोल रहा केवल झूठ, खालिस्तानी समर्थन, युद्ध भड़काने वाला गाना रिलीज

देशभर के सभी एयरपोर्ट पर हाई अलर्ट : सभी यात्रियों की होगी अतिरिक्त जांच, विज़िटर बैन और ट्रैवल एडवाइजरी जारी

‘आतंकी समूहों पर ठोस कार्रवाई करे इस्लामाबाद’ : अमेरिका

भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर की गति बनाए रखना आवश्यक

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ

भारत को लगातार उकसा रहा पाकिस्तान, आसिफ ख्वाजा ने फिर दी युद्ध की धमकी, भारत शांतिपूर्वक दे रहा जवाब

‘फर्जी है राजौरी में फिदायीन हमले की खबर’ : भारत ने बेनकाब किया पाकिस्तानी प्रोपगेंडा, जानिए क्या है पूरा सच..?

S jaishankar

उकसावे पर दिया जाएगा ‘कड़ा जबाव’ : विश्व नेताओं से विदेश मंत्री की बातचीत जारी, कहा- आतंकवाद पर समझौता नहीं

पाकिस्तान को भारत का मुंहतोड़ जवाब : हवा में ही मार गिराए लड़ाकू विमान, AWACS को भी किया ढेर

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर से लेकर राजस्थान तक दागी मिसाइलें, नागरिक क्षेत्रों पर भी किया हमला, भारत ने किया नाकाम

‘ऑपरेशन सिंदूर’ से तिलमिलाए पाकिस्तानी कलाकार : शब्दों से बहा रहे आतंकियों के लिए आंसू, हानिया-माहिरा-फवाद हुए बेनकाब

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies