यह किस्सा पिछले हफ्ते न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी में द कश्मीर फाइल्स फिल्म के प्रदर्शन को लेकर हुआ था। हाल ही में वहां इस फिल्म को लेकर छात्रों की एक बैठक आयोजित की गई थी। उस बैठक में हिन्दू और मुस्लिम छात्र दोनों अपनी अपनी राय दे रहे थे। इतने में ‘हिंदूफोबिक’ टिप्पणी करते हुए एक छात्र महमूद ने सवाल उठज्ञया कि कश्मीर में कितने हिंदुओं को दमन सहना पड़ा और कितने हिंदू मारे गए थे। बार-बार वह यही सवाल करता जा रहा था। लेकिन मामला इतने पर ही नहीं थमा।
दरअसल, यूनिवर्सिटी में हिंदू सोसाइटी के छात्रों ने कश्मीरी हिंदुओं के उत्पीड़न और पलायन पर बनी फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ की स्क्रीनिंग का कार्यक्रम तय किया था। लेकिन मुस्लिम छात्र इसके विरोध में उतर आए और उन्होंने हिन्दू छात्रों का धमकाना शुरू कर दिया।
एक कश्मीरी हिन्दू छात्र संदीप बदला हुआ नाम ‘ऑस्ट्रेलिया टुडे’ से इस प्रकरण पर बात करते हुए कहा कि 1990 में जब कश्मीर में हिंदुओं का नरसंहार और पलायन हुआ था, तब उसके दादा-दादी और माता-पिता को बहुत कुछ झेलना पड़ा था। उस छात्र का कहना था कि उस दौर की बातें ध्यान आते ही वह आज भी रात को डरकर जाग जाता है। संदीप ने बताया कि उस दौर में ही उसकी माता जी की तरफ के दो रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई थी। वह कश्मीर की ऐसी दर्दनाक कहानियों को सुन-सुनकर बड़ा हुआ है।
कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार के पीछे की सच्चाई पर चर्चा के लिए यूनिवर्सिटी की हिंदू सोसाइटी ने गत 9 जून को परिसर के कोलंबो थिएटर में फिल्म द कश्मीर फाइल्स की स्क्रीनिंग कराने के लिए वोट डाले थे। सोसाइटी ने इस बात को अपने इंस्टाग्राम खाते पर भी साझा किया था।
लेकिन इस कार्यक्रम के आयोजन की खबर लगते ही मुस्लिम सोसाइटी के छात्रों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। हिंदू सोसाइटी ने इस मामले पर कोई रास्ता निकालने की कोशिश की। दोनों सोसाइटी ने तय किया कि 7 जून को इस बारे में वर्चुअल मीटिंग करके बात करेंगे। लेकिन मीटिंग में फिल्म की स्क्रीनिंग को लेकर मुस्लिम छात्र बौखला गए और हिन्दू छात्रों को धमकाने लगे।
जैसा पहले बताया, छात्र उस्मान महमूद ने तरह—तरह के सवाल ही नहीं किए, बल्कि हिंदू छात्रों को डराने के लिए कई मजहबी नेताओं, पत्रकारों और राजनेताओं का नाम लिया। इतना ही नहीं, हिंदू छात्रों को धमकाया गया कि फिल्म की स्क्रीनिंग को रोका जाए।
वर्चुअल मीटिंग में महमूद ने हिन्दू छात्रों को धमकाते हुए कहा, ‘अगर तुम (हिंदू) इस फिल्म की स्क्रीनिंग रोक दो तो बहुत अच्छा होगा, मुस्लिम सोसाइटी दुनिया के मुस्लिम समाज की तरफ से इसकी तारीफ करेगी। अगर तुम नहीं माने तो इसके विरुद्ध कार्रवाई होगी। कड़ा एक्शन लिया जाएगा और यह एक्शन कोई नरमाई वाला नहीं होगा।’
महमूद ने हिन्दू छात्रों को और धमकाते हुए ऑस्ट्रेलिया की ग्रीन्स पार्टी के सीनेटर महरीन फारुकी, पत्रकार मुस्तफा रचवानी, ऑस्ट्रेलिया के ग्रैंड मुफ्ती अबू मोहम्मद, एबीसी न्यूज की मोसिकी आचार्य, ऑस्ट्रेलियाई राष्ट्रीय इमाम परिषद के शेख विसम, यूनाइटेड मुस्लिम एसोसिएशन के शेख उमर अल-ग़ज़ का नाम लिया। उसने कहा कि ये सारे लोग इसमें उसक साथ खड़े होंगे।
उस दिन के बाद से ही मुस्लिम छात्र हिन्दू छात्रों को डराते—धमकाते आ रहे हैं। बहरहाल इस घटना को लेकर यूनिवर्सिटी ने बयान दिया कि उसके परिसर में मजहबी उत्पीड़न स्वीकार्य नहीं है। नौ जून को इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद यूनिवर्सिटी ने बयान जारी करके कहा कि फिल्म का प्रदर्शन बिना किसी अप्रिय घटना के संपन्न हुआ।
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