उइगर मुसलमानों के दमन पर बुरी तरह घिरा चीन, 47 देशों ने की संयुक्त राष्ट्र से रिपोर्ट प्रकाशित करने की मांग

संयुक्त राष्ट्र में डच राजदूत पॉल बेकर्स ने तो संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद से साफ कहा है कि वे चीन के सिंक्यांग प्रांत में उइगर स्वायत्त क्षेत्र में मानवाधिकार हनन के मामलों को लेकर बेहद चिंतित हैं

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आलोक गोस्वामी

चीन में उइगर मुसलमानों का लगातार उत्पीड़न हो रहा है। इसे लेकर दुनिया के तमाम नेताओं और मीडिया चैनलों ने चिंता व्यक्त की है। संयुक्त राष्ट्र में डच राजदूत पॉल बेकर्स ने तो संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार परिषद से साफ कहा है कि वे चीन के सिंक्यांग प्रांत में उइगर स्वायत्त क्षेत्र में मानवाधिकार हनन के मामलों को लेकर बेहद चिंतित हैं।

लेकिन यह चिंता सिर्फ डच राजदूत ने नहीं जताई है। दुनिया के 47 देश हैं जिन्होंने ने चीन के पश्चिमी सिंक्यांग प्रांत में अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार हनन पर गहन चिंता व्यक्त की है। इन देशों ने यह मांग भी की है कि संयुक्त राष्ट्र की तरफ से उइगरों के दमन पर एक लंबे समय से रुकी पड़ी रिपोर्ट प्रकाशित की जाए। नीदरलैंड के राजदूत पॉल बेकर्स की आवाज इन्हीं 47 देशों के प्रतिनिधियों की भावना को झलकाती है।

राजदूत पॉल बेकर्स ने अनेक देशों की तरफ से साझा बयान दिया है और उसमें सिंक्यांग से मिल रहीं अनेक दस्तावेजी रिपोर्ट का भी उल्लेख किया है। जिन देशों की चिंता बेकर्स के बयान से झलकी है उनके प्रमुख हैं, अमेरिका, इस्राइल, स्पेन, स्विट्जरलैंड, जापान, इटली, स्वीडन, फ्रांस, जर्मनी, आयरलैंड, डेनमार्क, ब्रिटेन, कनाडा, बेल्जियम आदि।

उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की अध्यक्ष मिशेल बाचेलेट पिछले महीने चीन के दौरे पर थीं। उनके उस दौरे से पहले और उस दौरान भी उन्हें चीन के विरुद्ध कुछ न बोलने को लेकर लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी थी। उस दौरे के बारे में तैयार की गई उनकी रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित नहीं की गई है। लेकिन सामने आईं कई विश्वसनीय रिपोर्ट से साफ झलकता है कि सिंक्यांग में लाखों उइगर मुस्लिम जबरन हिरासत में रखे गए हैं। एक रिपोर्ट तो कैद में रह रहे उइगरों की संख्या 10 लाख तक बताती है।

अभी पिछले ही दिनों 157 पृष्ठों का चित्रमय दस्तावेज लीक हुआ था। उसमें ऐसे दर्दनाक चित्र भरे पड़े थे जो उइगरों की पीड़ा साफ दर्शाते हैं। कैदखाने में खींचीं उइगर पुरुषों और महिलाओं के चेहरों से साफ दिखता था कि उनसे वहां जोर—जबरदस्ती की जा रही है। उनके बच्चों को उनसे अलग ‘प्रशिक्षण कैंपों’ के रखा गया है। उनकी संतति बढ़ने से जबरन रोकी जा रही है। महिलाओं की नसबंदियां की जा रही हैं। ये सब दुनिया के सामने आ चुका है। लेकिन कम्युनिस्ट चीन के नेता ऐसे तमाम आरोपों को सिरे से नकारते आ रहे हैं।

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