महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक और दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर याचिका में कहा है कि दो दिन से अधिक न्यायिक हिरासत में रहने पर जज, आईएएस, आईपीएस अस्थायी रूप से पद से हटा दिए जाते हैं लेकिन लंबे समय से बंद मंत्री पद पर बने हुए हैं। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट लॉ कमीशन को निर्देश दे कि वो विकासशील देशों के कानूनों की पड़ताल करे ताकि संविधान की धारा 14 के मुताबिक मंत्रियों, विधायकों और लोकसेवकों की गरिमा बनाए रखी जा सके।
याचिका में कहा गया है कि मंत्री भारतीय दंड संहिता की धारा 21 और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 2 (सी) के तहत न केवल एक लोकसेवक होता है बल्कि वो संविधान की अनुसूची 3 के तहत मंत्री पद का पवित्र शपथ लेता है। मंत्री को सैलरी मिलती है, मुफ्त रेल टिकट, मुफ्त हवाई टिकट और उसे आईएएस, आईपीएस और जजों की तरह जीवन भर कई सारे भत्ते और सुविधाएं मिलती हैं। ऐसे में एक मंत्री आईएएस, आईपीएस और जजों की तरह का पूरा वेतन पानेवाला लोकसेवक हैं लेकिन नवाब मलिक और सत्येंद्र जैन न्यायिक हिरासत में रहने के बावजूद संवैधानिक पदों पर हैं।
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